देश के सैनिक कर्तव्य पारायणता के मिशाल होते हैं।एक सैनिक में देश प्रेम की भावना कुट कुट के भरी होती है। जिस जुनूनी जज़्बे के साथ देश की सम्मान की रक्षा में, विपरीत परिस्थितियों का परवाह किए बगैर, कर्तव्यनिष्ट होकर तन से , मन से और वचन से निर्भीकतापूर्वक होकर अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। सैनिक कभी अपने निर्णय से पीछे नहीं हटते चाहे परिणाम कुछ भी हो जाए । अनुशासन और कर्मबद्धता सैनिक की पहचान होती है। सैनिकों वाली विशेषता अन्यत्र किसी व्यक्ति में नहीं मिल सकती। आदिवासी सहयोग समिति इसको बखूबी समझती है।इसीलिए जब कभी भी कोई सैनिक अपने सेवा समाप्त करके सकुशल गृह वापसी करता है तो उसके सम्मान में शानदार सांस्कृतिक स्वागत समारोह के द्वारा अभिनन्दन करती हैं। जीवन के दूसरे अध्याय की शुरुवात करने से पहले अपने शारीरिक कुशलता और समाज के उत्थान के लिए मुडमा शक्ति स्थल में सामूहिक पूजा अर्चना की जाती हैं। जिस तन्मयता और कर्तव्य निष्ठा के साथ देश सेवा की, उसी तन्मयता और कर्तव्य निष्ठा के साथ ये योद्धा, सामाजिक उत्थान के लिए अपने आप को समर्पित कर देते हैं। वह दिन दूर नहीं,जब सरना समाज इनके मार्गदर्शन से एक अलग पहचान बनाएगा ।आदिवासी सहयोग समिति पूरे देश के लिए एक बहुत ही सुंदर उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
कुछ अविस्मरणीय झलकियां
श्री बलराम उरांव दादा हमारे स्कूली बच्चे आज दिनांक 1 मई 2022 को सेवानिवृत्त ASSRB के सदस्य सेना के यूनिफॉर्म में। उनके स्वागत में सैनिक परिवार के सदस्य एवम् संस्था के कोर मेंबर। |
आज दिनांक 01/10/2022 को अपनी सेवा समाप्त कर दादा जतरू उरांव तरंगा निवासी अपने गांव अपने परिवार के पास आए। इस मौके पर ASSRB के सदस्य माल्यार्पण करते हुए उन्हें फूलों का गुलदस्ता भेंट करके पारंपरिक स्वागत गानों के साथ स्वागत किए और साथ में उज्वल भविष्य की कामना की। इस तरह से उन्हें और एक समाज में काम करने के लिए सामाजिक योद्धा मिला।
आदिवासी सहयोग समिति रांची भारत के सदस्यों और सैनिक परिवार एवं स्कूली बच्चे को हार्दिक अभिनंदन जिन्होंने इस तरह के प्रोग्राम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।(स्वागत योग्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है)
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