बच्चों में आत्मविश्वास कैसे विकसित करें ?

क्या आपने कभी सोचा है कि आपका बच्चा जीवन की चुनौतियों का सामना कैसे करेगा? आत्मविश्वास वह कुंजी है जो उन्हें हर मुश्किल स्थिति में सक्षम बनाती है। आत्मविश्वास के बिना, बच्चे न केवल शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों में संघर्ष कर सकते हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।इस लेख में, हम उन महत्वपूर्ण तरीकों पर चर्चा करेंगे जिनसे आप बच्चों में आत्मविश्वास विकसित कर सकते हैं। चाहे आप माता-पिता हों, शिक्षक हों या कोई संरक्षक, इन सुझावों को अपनाकर आप बच्चों को एक मजबूत और आत्मनिर्भर व्यक्ति बनने में मदद कर सकते हैं। आइए हम बहुत ही संक्षिप्त में सेल्फ कॉन्फिडेंस को समझते हैं। 

 आत्मविश्वास (self-confidence) एक व्यक्ति की अपनी क्षमताओं, गुणों और निर्णयों पर विश्वास करने की भावना है। यह वह भरोसा है जो व्यक्ति को यह महसूस कराता है कि वह चुनौतियों का सामना कर सकता है। आत्मविश्वास से व्यक्ति आत्मनिर्भर, साहसी और सकारात्मक रहता है, जिससे वह जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में सफलतापूर्वक कार्य कर पाता है।
लेकिन  overconfidence से बचना भी है। ओवर confidence वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपनी capacity और knowledge का  reality से कहीं अधिक आकलन कर बैठता है । 


बच्चों में आत्मविश्वास (self-confidence) विकसित करना एक महत्वपूर्ण और सतत प्रक्रिया है।यह एक दिन का काम नहीं है। यहाँ हम उन कुछ प्रभावी तरीकों को जानने का प्रयास करेंगे जो बच्चों को self- confident बनाने की दिशा में हमें मदद कर सकता है।

प्रोत्साहन और सराहना (Encouragement and Appreciation)

बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए सबसे पहले उनकी छोटी छोटी उपलब्धियों की सराहना करना बहुत ही जरूरी है। भले ही वह उपलब्धियां उम्मीद के मुताबिक संतोषजनक न हो।

सही दिशा में उनके छोटे-छोटे प्रयासों के लिए भी तारीफ और प्रयासों को मान्यता मिलनी चाहिए। उनकी हर छोटी-मोटी उपलब्धियां के लिए पुरस्कृत करना चाहिए। भले ही उसका पुरस्कार एक टॉफी ही क्यों ना हो । इससे उन्हें आत्मविश्वास मिलता है और वे और बेहतर करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसके अलावा, बच्चों को समय-समय पर छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करके उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करें।

बच्चों को उनके रुचि के क्षेत्रों में सक्रिय रूप से शामिल होने के पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए। इससे उन्हें अपनी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने का अवसर मिलता है। इससे उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।

उनकी भावनाओं और विचारों को समझने और सुनने के लिए भी हमें समय निकालना चाहिए। हमें बच्चों को प्रेरणादाई कहानी सुननी चाहिए ताकि बच्चे उनके जैसा बनने के लिए प्रेरित हों।

अंत में, बच्चों को प्रेरित करने के लिए उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी ध्यान में रखना चाहिए। एक स्वस्थ और खुशहाल बच्चे को नई चुनौतियों का सामना करने और उन्हें सफलतापूर्वक पूरा करने में अधिक आनंद और उत्साह मिलता है।

रोल मॉडल बनें

बच्चों में देखकर सीखने और नकल करने की प्रवृत्ति होती है।  हर वह चीज करना चाहते हैं जो वे अपने आस पास देखते हैं। बच्चों पर अभिभावकों का, परिवार जनों का, और शिक्षकों के व्यक्तित्व का गहरा असर पड़ता है। बच्चों में आत्मविश्वास की भावना विकसित करने के लिए सबसे पहले स्वयं को आत्मविश्वासी बनना पड़ेगा। बच्चों के सामने सकारात्मक आत्मविश्वास का उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। अधिकांश मामलों में जो गुण आप में होगा वही गुण बच्चों में विकसित होता है। स्वयं आत्मविश्वासी बने और दिखाएं की आत्मविश्वास कैसे प्रकट होता है। 

समस्याओं का सामना करने दें

अपने सुपर विजन  में बच्चों को समस्याओं का सामना करने देने से उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास विकसित होता है। बच्चों को उनकी समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। उनकी बातें ध्यान से सुनें और उन्हें यह महसूस कराएं कि उनकी चिंताओं को समझा जा रहा है। इसके बाद, उन्हें विभिन्न समाधान प्रस्तुत करने और उनके संभावित परिणामों पर विचार करने के लिए प्रेरित करें। इस प्रक्रिया में उनका मार्गदर्शन करें ।  

गलतियों से सीखना विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब बच्चे गलतियां करते हैं, तो उन्हें आलोचना करने के बजाय, उन्हें सिखाएं कि वे इन गलतियों से क्या सीख सकते हैं और अगली बार कैसे बेहतर कर सकते हैं। 

जब बच्चे अपनी समस्याओं को खुद सुलझाने का प्रयास करते हैं, तो वे महत्वपूर्ण जीवन कौशल सीखते हैं जैसे समस्या-समाधान, निर्णय लेने की क्षमता, और तनाव प्रबंधन। यह अनुभव उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है।

स्वतंत्रता और जिम्मेवारी

बच्चों को उनकी आयु , योग्यता और रुचि के अनुसार छोटी-छोटी कार्य करने की जिम्मेवारी दें, ताकि वे काम को अपने तरीके से पूरा कर सके। जब बच्चों को जिम्मेवारी दी जाती है, तो वे समस्याओं का समाधान करना सीखते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है कि वे चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।स्वतंत्रता से बच्चे स्वयं ही छोटे-छोटे निर्णय लेने लगते हैं, जिससे उनकी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और आत्मविश्वास विकसित होता है।   स्वतंत्रता मिलने से बच्चों को अपनी क्षमताओं पर भरोसा होता है, जिससे वे अपने प्रयासों में अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं। 

  स्वतंत्रता और जिम्मेवारी बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

नेगेटिविटी से दूर रखें

लोगों के सामने बच्चों को नकारात्मक टिप्पणी न करें और ना ही उनकी आलोचना करें। नकारात्मकता से बच्चों में आत्म संदेह की भावना पैदा होती है जो उन्हें कमजोर बनाती है ।दूसरे बच्चों से उनकी तुलना तो बिल्कुल ही ना करें। हर बच्चा अपने आप में अनूठा होता है इसीलिए उनकी तुलना किसी और से हो ही नहीं सकता। 

हर बच्चे की अपनी अलग व्यक्तित्व, क्षमताएं, और दृष्टिकोण होते हैं जो उन्हें अन्यों से अलग करती हैं। इसलिए, हमें हर बच्चे को उनके विशेषता को समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता है। इससे बच्चों का आत्मविश्वास बूस्ट होता है 

निष्कर्ष

बच्चों में आत्मविश्वास विकसित करना एक दिन का काम नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें माता-पिता, परिवारजनों और शिक्षकों का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रोत्साहन, एक अच्छा माहौल, स्वतंत्रता, उचित मार्गदर्शन और जिम्मेवारी देने से बच्चों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। आत्मविश्वासी बच्चे न केवल व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।






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