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मई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंधविश्वास।

  अंधविश्वास क्या है।  ऐसे तर्कहीन धारणाएं, मान्यताएं या विश्वास , जिसका कोई  युक्ति संगत वैज्ञानिक आधार नहीं होता है। घटनाओं का कारण हमेशा पीछे छिपी, अदृश्य अलौकिक शक्तियों का ,हाथ होने की मनगढ़ंत, आधारहीन व्याख्या की जाती है ।  कारणों को लेकर हमेशा गलत अवधारणाएं होती हैं । अदृश्य , अलौकिक शक्तियों का अंजाना डर बना रहता है। और यह डर ,जीवन भर रहता है।  जब तक ज्ञान रूपी प्रकाश से अज्ञानता रूपी पर्दा हट नहीं जाता।  हमारे जीवन में बहुत से ऐसी घटनाएं होती है ,जिन घटनाओं के कारणों के बारे  में हमें पता नहीं होता ,और उन कारणों के पीछे अज्ञानतावस हम अदृश्य शक्ति का होना मान लेते हैं। यह मन मस्तिष्क में ऐसे बैठ जाती है जो कभी जाते हीं नहीं।  अंधविश्वास इतना प्रचलित क्यों है।  विज्ञान का काम करने का एक तरीका होता है ।किसी भी घटनाओं को वैज्ञानिक कसौटी या सिद्धांतों से सिद्ध करने के लिए अनेक प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। सबसे पहले घटनाओं को बहुत ही बारीकी से अवलोकन किया जाता है। घटना की प्रकृति को समझने की कोशिश की जाती है।...

आदिवासियों से दुनियां क्या सीख सकती है।

     अगर दुनिया को बचाना है तो हमें आदिवासियों की तरह प्रकृति प्रेमी होना पड़ेगा। हमें प्रकृति के साथ सह अस्तित्व की जीवन शैली अपनानी होगी। आदिवासियों का प्रकृति प्रेम जीवन के प्रारंभ से लेकर जीवनपर्यंत तक रहता है। सच मायने में अगर देखा जाए तो एक सच्चा आदिवासी एक प्रकृति विज्ञानी से कम नहीं होता। उन्हें अपने वातावरण के सम्पूर्ण पेड़ पौधों की उपयोगिता और उनकी महत्व के बारे में जानकारी जन्म से ही होती है। क्योंकि उनके पूर्वजों के द्वारा ये जानकारी उन्हें स्वता ही मिल जाती है।  पेड़-पौधे का कौन सा भाग खाया जाता है ? कौन सा भाग औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है कब खाया जाता है कैसे खाया जाता है उन्हें सब कुछ पता होता है। ऐसे ऐसे चीजों के बारे में उन्हें पता होता है जिनके बारे में लगभग पूरे दुनिया के लोगों को पता नहीं होता है। आदिवासी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट के समान है।अपने आप में ही वे ऑटोनॉमस बॉडी है। हमें बहुत नजदीक से प्रकृति से उनके जुड़ाव को सीखने की जरूरत है।मौसमों के बदलाव का असर उनके शरीर पर बहुत कम होता है।इसको पूरा दुनिया मानती है।आदिवासी हार्ड इम्युनिटी वा...