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गुस्से की प्रकृति को समझें

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गुस्सा एक सामान्य और स्वाभाविक भावना है, जो हर व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी समय में प्रकट होती है।गुस्सा स्वाभाविक है, लेकिन इसे नियंत्रित करना आवश्यक है। असंयमित गुस्सा न केवल व्यक्तिगत रिश्तों को नुकसान पहुँचा सकता है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।  यह भावना आमतौर पर तब प्रकट होती है जब व्यक्ति को लगता है कि उसे अपमानित किया गया है, उसके साथ अन्याय हुआ है, या उसकी अपेक्षाएँ पूरी नहीं हुई हैं, या उनके मन मुताबिक कोई काम ना हो रहा हो, प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न हुई हों। गुस्से का अनुभव करते समय व्यक्ति का हृदयगति बढ़ जाती है, रक्तचाप बढ़ सकता है, और शरीर में ऊर्जा का संचार तीव्र हो जाता है। गुस्से में व्यक्ति  कंट्रोल खोने लगता है। इस लेख में हम गुस्से के कारण, उनके प्रभाव और उसे नियंत्रित करने के उपायों पर विचार करेंगे। क्रोध के कारण क्रोध एक जटिल भावना है जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है। इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए, आइए इसके प्रमुख कारणों पर विचार करें:     अवरोध और बाधाएं जब हमारी इच्छाएं, जरूरतें या लक्ष्यों में कोई बाध

दूसरों को खुश करने के चक्कर में अपने रूठ गए।

दूसरों को खुश करने की कोशिश में अपनों को दुखी करने का विचार कई लोगों के जीवन में एक सामान्य अनुभव हो सकता है। यह स्थिति विभिन्न प्रकार की व्यक्तिगत, सामाजिक, और सांस्कृतिक कारणों से उत्पन्न होती है। इस लेख में, हम इस विषय पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे, जिसमें इसके कारण, परिणाम, और इससे निपटने के उपाय शामिल होंगे।   1. परिचय दूसरों को खुश करने की प्रवृत्ति कई बार हमारी समाजिकता, परवरिश और व्यक्तिगत मनोवृत्तियों का परिणाम होती है। हम में से अधिकांश लोग सामाजिक प्राणी हैं और समाज में स्वीकार्यता और प्रशंसा पाना चाहते हैं। लेकिन यह इच्छा कभी-कभी अपनों के साथ हमारे संबंधों को प्रभावित कर सकती है। जब हम दूसरों को खुश करने के चक्कर में अपनों की भावनाओं और आवश्यकताओं की अनदेखी करते हैं, तो यह स्थिति और भी जटिल हो जाती है।  2. कारण 2.1 सामाजिक दबाव समाज में स्वीकार्यता पाने का दबाव अक्सर हमें दूसरों को खुश करने के लिए प्रेरित करता है। हमें ऐसा लगता है कि यदि हम दूसरों की इच्छाओं और अपेक्षाओं को पूरा करेंगे, तो हमें समाज में अधिक सराहा जाएगा।    2.2 आत्म-सम्मान और आत्म-मूल्य कई बार, हमारा आत्म-

बच्चों में आत्मविश्वास कैसे विकसित करें ?

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क्या आपने कभी सोचा है कि आपका बच्चा जीवन की चुनौतियों का सामना कैसे करेगा? आत्मविश्वास वह कुंजी है जो उन्हें हर मुश्किल स्थिति में सक्षम बनाती है। आत्मविश्वास के बिना, बच्चे न केवल शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों में संघर्ष कर सकते हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।इस लेख में, हम उन महत्वपूर्ण तरीकों पर चर्चा करेंगे जिनसे आप बच्चों में आत्मविश्वास विकसित कर सकते हैं। चाहे आप माता-पिता हों, शिक्षक हों या कोई संरक्षक, इन सुझावों को अपनाकर आप बच्चों को एक मजबूत और आत्मनिर्भर व्यक्ति बनने में मदद कर सकते हैं। आइए हम बहुत ही संक्षिप्त में सेल्फ कॉन्फिडेंस को समझते हैं।   आत्मविश्वास (self-confidence) एक व्यक्ति की अपनी क्षमताओं, गुणों और निर्णयों पर विश्वास करने की भावना है। यह वह भरोसा है जो व्यक्ति को यह महसूस कराता है कि वह चुनौतियों का सामना कर सकता है। आत्मविश्वास से व्यक्ति आत्मनिर्भर, साहसी और सकारात्मक रहता है, जिससे वह जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में सफलतापूर्वक कार्य कर पाता है। लेकिन  overconfidence से बचना भी है। ओवर confidence व

wealth management

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वेल्थ मैनेजमेंट को इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है, एक ऐसी समग्र दृष्टिकोण है जिसमें व्यक्तिगत या पारिवारिक सम्पत्ति का प्रबंधन और वृद्धि शामिल है। इसका उद्देश्य केवल सम्पत्ति का संरक्षण और संवर्धन ही नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति और जीवन की गुणवत्ता को सुधारना भी है। वेल्थ मैनेजमेंट में वित्तीय योजना, निवेश प्रबंधन, कर नियोजन, रिटायरमेंट प्लानिंग, और एस्टेट प्लानिंग जैसी विभिन्न सेवाएं और रणनीतियाँ शामिल होती हैं।  साधारण शब्दों में, वेल्थ मैनेजमेंट का मतलब उन सभी वित्तीय सेवाओं और परामर्शों का समूह है जो किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को बढ़ाने, संरक्षित करने और अंततः हस्तांतरित करने में मदद करते हैं। इसमें एक वित्तीय सलाहकार या वेल्थ मैनेजर द्वारा कस्टमाइज्ड सलाह और समाधान दिए जाते हैं ताकि सम्पत्ति धारक के वित्तीय उद्देश्यों और जीवन शैली की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। ## वेल्थ मैनेजमेंट के मुख्य घटक ### 1. वित्तीय योजना (Financial Planning) वित्तीय योजना वेल्थ मैनेजमेंट का मूल आधार है। यह आपकी वित्तीय स्थिति का एक समग्र आकलन है और आपके वित्तीय ल

समाज में निवेश की चेतना विकसित करें

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समाज में निवेश को लेकर जानकारी का बेहद अभाव है। निवेश के नाम पर हम परंपरागत तरीके को ही जानते हैं ।  निवेश वह विवेकपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें धन या संसाधनों को किसी ऐसे विकल्प में लगाया जाता है जो भविष्य में वित्तीय सुरक्षा, आय वृद्धि या आर्थिक लाभ प्राप्ति की संभावनाओं को बढ़ाता है । यह एक महत्वपूर्ण उपाय है जो प्रत्येक समझदार लोग अपनी वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनाते हैं। निवेश के प्रकार निवेश कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि:  शेयर बाजार(Stock Market):  शेयर मार्केट एक वित्तीय बाजार होता है जहाँ विभिन्न कंपनियों के Shares खरीदे और बेचे जाते हैं। यह एक प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है जहाँ Investors शेयरों को खरीद सकते हैं और जिसका मूल्य निर्धारित होता है।  शेयर मूल्य कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है । शेयर मार्केट एक अहम वित्तीय संसाधन के रूप में गिना जाता है, जो आर्थिक विकास और निवेश को समर्थन करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन होता है। शेयर बाजार में निवेश करने के लिए आपको पहले एक डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलना होगा, जो एक ब्रोकर के माध्यम से किया जा सकता है। फिर आप अपन

SOCIAL MEDIA ETHICS

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सोशल मीडिया नैतिकता( Social Media Ethics ) उन मानकों और  नैतिक मूल्यों का समुच्चय होता है जो हमें सोशल मीडिया पर हमारे  ऑनलाइन  आचरण और व्यवहार को  मार्गदर्शन करने का काम करता हैं। यह गोपनीयता की रक्षा करने, प्रमाणिकता की पहचान करने और जिम्मेदार आचरण का पालन करने के लिए निर्देशित करता है। यह हमें यह भी बताता है कि हमारे द्वारा साझा की गई जानकारी की सत्यता की  प्रमाणिकता होनी चाहिए । इसका समाज में क्या  प्रभाव प्रभाव पड़ेगा की समझ होनी चाहिए। अफवाहों को फैले से रोकना चाहिए और नकली समाचार की परख होनी चाहिए।  सोशल मीडिया एथिक्स उस आचरण की विधि और नीतियों को संदर्भित करती है जो लोग सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर अपना व्यवहार करते हैं। किस तरह की जानकारी हमे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मे साझा करनी चाहिए। किस प्रकार के संवाद और व्यवहार को स्वीकार्य माना जायेगा। सोशल मीडिया एथिक्स में शामिल किए जाने वाले मुद्दे शामिल हो सकते हैं बायोमेट्रिक डेटा की गोपनीयता, धार्मिक और सामाजिक अपमान, और झूठी खबरों या जानकारी का प्रसार। इसका उद्देश्य सोशल मीडिया पर समाज में उचित और नैतिक व्यवहार को प्रोत

कल को हम आज कैसे नष्ट कर रहें हैं।

कल को नष्ट करने के बजाय, आज को सही से जीने का समय है। आप अपने आज को बेहतर बनाएं और अपने लक्ष्यों की ओर प्रगति करें। इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं , एक उदाहरण है कि मान लीजिए आप आज से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए आप सुबह व्यायाम कर सकते हैं, स्वस्थ भोजन खा सकते हैं और अपने मन को शांत और प्रसन्न रखने के लिए ध्यान कर सकते हैं। इससे आपका आज बेहतर और संतुलित होगा, और आने वाले कल को भी प्रभावित करेगा। आप आज के दिन में अपने कार्यक्रमों को संगठित रूप से पूरा कर सकते हैं। अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, समय प्रबंधन करें और अपने लक्ष्यों की दिशा में प्रगति करें। यह आपको न केवल आज को बेहतर बनाएगा, बल्कि आपके भविष्य को भी सशक्त बनाएगा। आप अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिता सकते हैं। उनके साथ बातचीत करना, उनका साथ लेकर कुछ मजेदार कार्यों में भाग लेना और उनके साथ साझा करना आपको आज को यादगार बना सकता है। इससे आपके संबंध मजबूत होते हैं और आपका मन भी प्रसन्न रहता है। आप आज को किसी नए कौशल का सीखने का मौका भी देख सकते हैं। यह आपके जीवन में नए दरवाजे खोल

प्रकृति तब भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी

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प्रकृति तब भी थी, जब हम मे से कोई नहीं थे। प्रकृति अभी भी हैं, जब हम सभी हैं। प्रकृति तब भी रहेगी, जब हम मे से कोई भी  नहीं होंगा। एक प्रकृति ही है जो हमेशा ही रहने वाली है। ब्रह्माण्ड में जब तक पृथ्वी अस्तित्व मे रहेगी, प्रकृति की अस्तित्व जुड़ी हुई रहेगी। प्रकृति सिर्फ़ और सिर्फ देना जानती है, लेना नहीं। बावजूद इसके, प्रकृति को सिर्फ़ हमने लूटा बहुत है।  संतुलन को हम बिगड़ रहे है। प्रकृति  संवर्धन करने के ऊपर हमने कभी ध्यान दिया ही नहीं। हमारे समाज में एक बहुत ही अच्छी कसौटी काम करती है चाहे आप किसी भी परिवेश में हो। वह कसौटी है गिव एंड टेक(Give and take) अगर आपको समाज से कुछ लेना है तो पहले आपको कुछ देना पड़ेगा। अगर आपको सिर्फ लेना आता हो और देना नहीं आता, तो रिश्ते समाप्त होने में ज्यादा टाइम नहीं लगता। गिव एंड टेक की कसौटी हमारे और प्रकृति के बीच भी  same तरीके से काम करती है। प्रकृति से हमने तो सिर्फ ले ही रहें हैं, बदले में कुछ नहीं दिया। बदले का मतलब प्राकृतिक संवर्धन के ऊपर काम नहीं कर रहे हैं जिस लेवल से काम होनी चाहिए।  विकास के नाम पर हम प्राकृतिक संसाधनों का बे