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ट्रस्ट का bylaws कैसे बनायें

न्यास –विलेख (TRUST DEED ) यह ट्रस्ट प्रलेख आज दिनांक .................................... को निम्न प्रकार से निष्पादित   किया गया   :- (1)श्री ...............................................    उम्र ...........................सुपुत्र श्री   ............................................जाति ............................ पेशा .....................ग्राम .................पोस्ट ....................थाना .......................जिला .................... राज्य .................   भारतीय नागरिक I आधार नं. ............... पैन नं.............. मो . नं...................   ,(2) श्री ...............................................    उम्र ...........................सुपुत्र श्री   ............................................जाति ............................ पेशा .....................ग्राम .................पोस्ट ....................थाना .......................जिला .................... राज्य .................   भारतीय नागरिक I आधार नं. ...........

आदिवासियों से दुनियां क्या सीख सकती है।

     अगर दुनिया को बचाना है तो हमें आदिवासियों की तरह प्रकृति प्रेमी होना पड़ेगा। हमें प्रकृति के साथ सह अस्तित्व की जीवन शैली अपनानी होगी। आदिवासियों का प्रकृति प्रेम जीवन के प्रारंभ से लेकर जीवनपर्यंत तक रहता है। सच मायने में अगर देखा जाए तो एक सच्चा आदिवासी एक प्रकृति विज्ञानी से कम नहीं होता। उन्हें अपने वातावरण के सम्पूर्ण पेड़ पौधों की उपयोगिता और उनकी महत्व के बारे में जानकारी जन्म से ही होती है। क्योंकि उनके पूर्वजों के द्वारा ये जानकारी उन्हें स्वता ही मिल जाती है।  पेड़-पौधे का कौन सा भाग खाया जाता है ? कौन सा भाग औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है कब खाया जाता है कैसे खाया जाता है उन्हें सब कुछ पता होता है। ऐसे ऐसे चीजों के बारे में उन्हें पता होता है जिनके बारे में लगभग पूरे दुनिया के लोगों को पता नहीं होता है। आदिवासी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट के समान है।अपने आप में ही वे ऑटोनॉमस बॉडी है। हमें बहुत नजदीक से प्रकृति से उनके जुड़ाव को सीखने की जरूरत है।मौसमों के बदलाव का असर उनके शरीर पर बहुत कम होता है।इसको पूरा दुनिया मानती है।आदिवासी हार्ड इम्युनिटी वा...

क्यों जरूरी है ख़ुद से प्यार करना ?

अ पने आप से प्यार करने का मतलब है खुद को सम्मान देना, खुद को स्वीकार करना, और अपनी भलाई का ख्याल रखना। यह एक ऐसी भावना है जो हमें आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास से भर देती है। इसका मतलब है कि हम अपने अच्छाइयों और बुराइयों को बिना किसी शर्त के स्वीकारते हैं और अपने आप को बेहतर बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहते हैं।  अपने आप से प्यार करना यह भी दर्शाता है कि हम अपनी जरूरतों और इच्छाओं को समझते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए समय निकालते हैं। हम अपनी भावनाओं और विचारों को महत्व देते हैं और खुद के प्रति दयालुता की भावना रखते हैं। Self love की भावना हमारे छोटे-छोटे कार्यों से भी झलकता है, जैसे कि समय पर आराम करना, अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना, और खुद के लिए समय निकालना आदि। सेल्फ लव का मतलब स्वार्थी होना कतई नहीं है। अपने लिए क्या अच्छा है और बुरा , की जानकारी हम सभी को होनी चाहिए।  यह समझना कि हम पूर्ण नहीं हैं, लेकिन फिर भी हम अपने आप को संपूर्णता में स्वीकार करते हैं, अपने आप से प्यार करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें आंतरिक शांति और संतोष प...