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अभी नहीं तो फिर कभी नहीं

लाखों करोड़ों साल से इस पृथ्वी पर मानव निवास करता आ रहा है। तब से लेकर आज तक मनुष्य, जरूरत की चीजों का इजात करता रहा है। जीवन जीने की तौर-तरीकों में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुआ है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। इसका केवल और केवल एक ही कारण है, और वह कारण है, अपने अस्तित्व को कायम रखते हुए जीवन जीने की आवश्यकता की पूर्ति हेतु निरंतरता के साथ बौद्धिक शक्ति का इस्तेमाल करना और आने वाले पीढ़ियों तक पहुंचाना (upcoming generation)। क्योंकि आज तक जो कुछ भी हमने सीखा है ,पूर्वर्ती (ancestors) लोगों को देखकर ही सीखा और उनके द्वारा अर्जित ज्ञान को आधार बनाकर कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। तब से लेकर आज तक यही प्रक्रिया लगातार चलती ही आ रही है। किसी भी काम विशेष को निरंतरता के साथ करते रहने पर कार्यकुशलता (work Efficiency) के साथ  परिपक्वता (Maturity) बढ़ती हैं। दुनियां में हर रोज कुछ ना कुछ नया होता है जो पहले कभी नहीं हुआ । इस बदलाव का असर हम सभी पर पड़ता है।   हमारे जीवन को सरल बनाने में सबसे ज्यादा अगर किसी का योगदान है तो वह हैं वैज्ञानिकों (sciencetist) का। कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं हैं जिस पर

ऐसी होती हैं समस्याओं का multiplication

समस्याओं को नजरअंदाज करने और समस्याओं का हल नहीं ढूंढने से समस्याएं नासूर बन जाती है। Unsolved समस्याएं कई समस्याओं को जन्म देती है। समय के साथ समस्याएं और भी विकराल रूपधारण कर लेती हैं। समय के साथ समस्याओं का हल नहीं होने पर कई गुना दुष्कर हो जाता है। समस्याओं को नासूर बनने से पहले ही जड़ सहित समाप्त  कर देना ही समझदारी है। समस्याओं को हल कर देने के बाद नई समस्याएं उत्पन्न होने से पहले ही समाप्त हो जाती है। वैसे अगर बात किया जाए तो मनुष्य के जीवन ही समस्याओं का अंबार है। लेकिन जीवन में वही मनुष्य सफल हो पाता है जिन्होंने समस्याओं को हल करने का तरीका सीख लिया हो। मनुष्य जीवन में लगभग सभी लोगों का समस्याएं एक सी होती है। सेम समस्याओं को हल करने का तरीका  अलग-अलग लोगों का अलग अलग होता है। बहुत से ऐसे मनुष्य होते हैं जिन्हें अपने जीवन की बेसिक समस्याओं को हल करने में ही जिंदगी निकल जाती है। इस लेख में हम बात करेंगे कि कैसे unsolved समस्याओं का मल्टीप्लिकेशन होता है। हमारे जीवन की पच्चीस छब्बीस साल तक का उम्र बेसिक पढ़ाई लिखाई करने की होती है। आने वाला समय हमारा कैसा होगा यह इन्हीं वर्षों