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 I Vinod Oraon of mandar Ranchi Jharkhand (India). I am medical healthcare professionals in government sector. 

 सरना बिल्ली ज्ञान के उस दीपक को कहते है जो समाज में फैले अज्ञानता के अंधेरे को ज्योतिर्मय करता है। सरना बिल्ली साइट में समाज के विसंगतियों का केस स्टडी होगा और उसके बेहतरीन हल के बारे में चर्चा की जाएगी। उन विषयों में चर्चा होगी जिसके बारे में पाठयक्रमों में भी नहीं होती है। 

धर्म से संबंधित लॉजिस्टिक बातों पर चर्चा हो। लोगों में सिद्धांतिकी विवेक की चेतना को जागृत की जाएगी।


  

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न्यास –विलेख (TRUST DEED ) यह ट्रस्ट प्रलेख आज दिनांक .................................... को निम्न प्रकार से निष्पादित   किया गया   :- (1)श्री ...............................................    उम्र ...........................सुपुत्र श्री   ............................................जाति ............................ पेशा .....................ग्राम .................पोस्ट ....................थाना .......................जिला .................... राज्य .................   भारतीय नागरिक I आधार नं. ............... पैन नं.............. मो . नं...................   ,(2) श्री ...............................................    उम्र ...........................सुपुत्र श्री   ............................................जाति ............................ पेशा .....................ग्राम .................पोस्ट ....................थाना .......................जिला .................... राज्य .................   भारतीय नागरिक I आधार नं. ............... पैन नं.............. मो . नं..................

आदिवासियों से दुनियां क्या सीख सकती है।

     अगर दुनिया को बचाना है तो हमें आदिवासियों की तरह प्रकृति प्रेमी होना पड़ेगा। हमें प्रकृति के साथ सह अस्तित्व की जीवन शैली अपनानी होगी। आदिवासियों का प्रकृति प्रेम जीवन के प्रारंभ से लेकर जीवनपर्यंत तक रहता है। सच मायने में अगर देखा जाए तो एक सच्चा आदिवासी एक प्रकृति विज्ञानी से कम नहीं होता। उन्हें अपने वातावरण के सम्पूर्ण पेड़ पौधों की उपयोगिता और उनकी महत्व के बारे में जानकारी जन्म से ही होती है। क्योंकि उनके पूर्वजों के द्वारा ये जानकारी उन्हें स्वता ही मिल जाती है।  पेड़-पौधे का कौन सा भाग खाया जाता है ? कौन सा भाग औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है कब खाया जाता है कैसे खाया जाता है उन्हें सब कुछ पता होता है। ऐसे ऐसे चीजों के बारे में उन्हें पता होता है जिनके बारे में लगभग पूरे दुनिया के लोगों को पता नहीं होता है। आदिवासी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट के समान है।अपने आप में ही वे ऑटोनॉमस बॉडी है। हमें बहुत नजदीक से प्रकृति से उनके जुड़ाव को सीखने की जरूरत है।मौसमों के बदलाव का असर उनके शरीर पर बहुत कम होता है।इसको पूरा दुनिया मानती है।आदिवासी हार्ड इम्युनिटी वाले होते है। उन्हें

सामाजिक नशाखोरी(I)

नशाखोरी समाज के लिए अभिशाप है।  नशाखोरी एक सामाजिक बुराई है। इसके गिरप्त में बच्चे ,युवा और बुजुर्ग सभी हैं। भारत युवाओं का देश है। युवाओं का संलिप्तता इसमें सबसे ज्यादा है। युवा शक्ति का इससे प्रभावित होना, समाज या देश के उत्पादकता में कमी होना है। सामाजिक स्तर से पूरा देश नशाखोरी जैसे मानसिक बीमारी से पीड़ित है। समाज और देश के लिए यह एक अभिशाप से कम नहीं है। अल्कोहल पेय पदार्थों का (विस्की, चुलैया ,महुआ ,ब्रांडी, बीयर और हंडिया  आदि अल्कोहोल पेय पदार्थ है ) लगातार ज्यादा मात्रा में consumption को ही नशाखोरी कहा जाता है।हमारे समाज को नशा की लत लग चुकी हैं।  नशा नाश करता है। नशा आप किसी भी रूप में लें हमेशा बर्बादी का कारण ही बनता है। ये बर्बादी बहुआयामी होता है।हमारी उत्पादकता पर सीधा असर पड़ता है। शारीरिक, मानसिक ,आर्थिक और सामाजिक इन सभी क्षेत्रों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  सबसे ताज्जुब की बात यह है कि बियर और हड़िया(राइस वियर) को हम शराब की श्रेणी में रखते ही नहीं। अजीबों गरीब तर्क देकर इसको लेने को जस्टिफिकेशन करते हैं। मैं आपको बता दूं की यह भी अल्कोहल पेय पदार्थ