26 फ़रवरी 2022

विनती, भजन, प्रार्थना की महिमा

प्रार्थना के औजार के रूप में हम गीत,संगीत,भजन, मंत्र, ध्यान, मनन,जाप, मौन आदि का उपयोग करते है।

ब्रह्मांड की असीम शक्ति से जुड़ने की प्रक्रिया है प्रार्थना। प्रार्थना हमें परम शक्ति के समीप महसूस कराती है। प्रार्थना हमें परम शांति, संतुष्टि, प्रबुद्धता और संपूर्णता की अनुभूति दिलाती है।


 प्रार्थना मनुष्य की स्वभाव बदलने की प्रक्रिया है। शक्ति के असीम सागर से कुछ ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया है प्रार्थना । विनम्रता पूर्वक या इमानदारी से दूसरे पक्ष से कुछ प्रदान करने को कहना है प्रार्थना।

प्रार्थना में हम संपूर्ण रूप से अपने आप को सुपर पावर के आगे समर्पित कर देते हैं। 

समर्पण का भाव है प्रार्थना।

अलौकिक शक्ति से जुड़ना है प्रार्थना।

ईश्वर से अपने मन और हृदय की बात कहना है प्रार्थना।

प्रार्थना के माध्यम से हम अपने या दूसरों की इच्छा पूर्ति का प्रयास करते हैं।

जब हम भगवान से बात करते हैं तो हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले शब्द , गीत,भजन ,मंत्र,ध्यान, मनन और जाप ये सब प्रार्थना है।

प्रार्थना मनुष्य और ईश्वर के बीच आध्यात्मिक संचार का माध्यम है।

प्रार्थना ईश्वर सेवा का ही एक रूप है।

प्रार्थना ईश्वर के उस कार्य के लिए अभिवादन है जो हमारे लिए किया है।

प्रार्थना उन सभी कार्यों का समाधान है जिसको की हम कभी समझ ही नहीं पाते ।

प्रार्थना ईश्वर के साथ कम्युनिकेशन का तरीका है।

प्रार्थना एक अनुरोध है हमारी ओर से ।

प्रार्थना एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम आत्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं।

प्रार्थना कोई भौतिक चीजों को प्राप्त करने का साधन तो बिल्कुल ही नहीं है। प्रार्थना के द्वारा हम भौतिक चीजों को प्राप्त करने वाली आवश्यक मानवीय गुणों को प्राप्त कर सकते है । जैसे कि आत्म बिस्वास, लगनशीलता,निर्भीकता, बौद्धिक संपन्नता, खुशहाली, संयमित जीवन चर्या, परम शांति और सुख की अनुभूति और अर्थोपार्जन के उचित तरीके।


जब हम प्रार्थना करते हैं तो यह स्वीकार करते हैं कि कोई तो है जिसके इसारे मात्र से इस दुनिया का संचालन हो रहा है । कोई तो है जिसके पास समूचे ब्रह्मांड का बटन है ।


भगवान से प्रार्थना करना एक बच्चे की अपने पिता के साथ बातचीत की तरह है। एक बच्चे के लिए अपने पिता से अपनी जरूरत की चीजें मांगना स्वाभाविक है।




17 फ़रवरी 2022

लक्ष्य प्राप्ति के प्रोसेस को याद रखें लक्ष्य को नहीं

यह सुनने में बड़ा अटपटा लगता है कि कोई लक्ष्य तय कर के ,लक्ष्य को ही भूल जाएं।यह बातें इसीलिए कहीं गई है क्योंकि जब कभी भी हम अपना लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं। उसके बाद में हम काम ना भी करें तो क्या फर्क पड़ने वाला है। हमें तो अचीवमेंट मिल चुका ना।
इसे हम ऐसे समझते हैं। हम एक चुस्त-दुरुस्त तंदुरुस्त बॉडी पाने का लक्ष्य तय करते हैं। उस लक्ष्य के अनुरूप काम करना भी शुरू कर देते हैं।महीनों या सालों की मेहनत के बाद वह मनोवांछित परिणाम हमें मिल भी जाती है। इच्छित परिणाम की प्राप्ति के उपरांत हम थोड़े ढीले पड़ जाते हैं । उस प्रोसेस या तरीके को भूल जाते हैं जिसका अनुसरण करते हुए इच्छित फल की प्राप्ति करते हैं। इसीलिए यहां पर इस बात पर जोर देकर कहीं गई है कि,लक्ष्य को भूल कर उस प्रोसेस पर ध्यान दें जिसकी वजह से हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन  आ रही है ।

 लक्ष्य से वह परिणाम है जिसे कि हम सभी पाना चाहते हैं। और व्यवस्था वह प्रक्रिया  या तरीका है जिसकी वजह से हम सफलता की ओर ले अग्रसर होते हैं।
  
इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। रेस में भागने वाले सभी खिलाड़ी का एक ही लक्ष्य होता है जीतना। 
लेकिन जीतता तो वही है जिसने लगातार इसकी अभ्यास की हो,और जिसका दौड़ने का तरीका सही हो।

 हमें अक्सर लगता है कि नतीजा सही हो। जब की समस्या नतीजे नहीं है। समस्या वह कार्यप्रणाली है जो हमें इस तरह के नतीजे तक लाए हैं।बेहतरी के लिए सुधार करना है तो उस व्यवस्था के स्तर तक आप को सुधार करना होगा।
 इनपुट में सुधार करना होगा, परिणाम खुद ब खुद सुधर जाएगा। यह व्यवहार की ही ताकत है कि एक समय में एक कदम परिवर्तन लाते हैं। और यह परिवर्तन हमारे जीवन का हिस्सा बन जाए। आपका व्यवहार ही एक दिन आपका पहचान बन जाता है।

हम अपने बारे में जिस तरह से सालों तक सोचते रहते हैं । हम उसी तरह से बनते भी जाते हैं।
जैसे कि हम अक्सर बोलते है । अरे भाई हमें तो यह याद नहीं रहता । मैं तो हमेशा लेट हो जाता हूं । हमसे यह तो बिल्कुल नहीं होगा ।यह काम तो बहुत कठिन है।
 यह सब कुछ अपने आप को मानसिक सांचे में ढालने जैसा है। यह वह कहानी है जिसको कि आप वर्षों से रची है ।और हालात अब यह है कि अब इसी को सच मान बैठे हैं।इसी के चलते एक समय बाद हम इन सब कामों को करने के बारे में सोच भी नहीं सकते। हमें यह चीज माननी पड़ेगी कि हमारे आदतों से ही हमारी पहचान होती है। हम पहले से ही तय धारणाओं के साथ पैदा तो नहीं होते हैं। आज हम जो कुछ भी मानते हैं, वे हालात और अनुभव के आधार पर हमने सीखा है।

जितनी ज्यादा हम अपना व्यवहार दोहराएंगे उतनी ही तेजी से उस पहचान से आप जुड़ते जाएंगे। हम कौन हैं ? इसे बदलने का सबसे सही और आसान तरीका है कि हम जो कुछ भी करते हैं ।उसे हम बदलने का कोशिश करें। बहुत ही छोटे इकाई से शुरू करें।

रोज एक पेज लिखने से हम लेखक बन जाते हैं। रोज तेज दौड़ने से  एथलीट बन जाते हैं । रोज गाने से एक अच्छा गायक बन जाते हैं।  रोज  चित्रकारी करने से पेंटर। हमें सीखना होगा कि प्रत्येक दिन एक प्रतिशत अच्छा करके एक साल में हम कितना प्रतिशत सीख जाएंगे। 
अपनी बुरी आदतों को छोड़े और अच्छे लोगों से जुड़े रहे।आदतों को बदलते समय जो ज्यादातर गलतियां होती हैं , उससे बचने का प्रयास करें। प्रेरणा और इच्छाशक्ति की कमी को दूर करें। एक मजबूत पहचान विकसित करें ।खुद पर विश्वास करें। नई आदतों के लिए समय निकालें। 
सफलता को आसान बनाने के लिए अपने परिवेश को डिजाइन करें। बड़े परिणाम देने वाले छोटे और आसान बदलाव करें।इन सब को करते हुए रास्ते से थोड़ा सा इधर उधर भी हो जाए तो पुनः अपने पटरी पर वापस चले आए। इससे भी ज्यादा इंपॉर्टेंट चीज है जो चीज भी आप सीख रहे हैं उसको अपने रोजमर्रा के जीवन में अपनाएं।

धन्यवाद

07 फ़रवरी 2022

बड़े बदलाव की शुरुवात छोटी बदलाव से होती है

   ड़े बदलाव की शुरुवात छोटी -छोटी बदलाव से ही होती है। आप कितना भी कुछ भी चाहते हो,लेकिन आपके भविष्य को आकार वही चीजें देंगी , जिन्हें आप निरंतरता के साथ करते हैं। अच्छी आदतें हमें अपनी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं।  वही हमारे अंदर बसी कुछ बुरी आदतें हमें एक ही जगह पर अटकाए रहती है और अधूरे रहने पर मजबूर करती हैं। छोटे छोटे सकारात्मक बदलाव हमें असाधारण परिणाम देती है। हम बहुत ही मामूली से मामूली बातों पर ध्यान लगाकर उन्हें अपने जीवन में डाल सकते हैं 
अगर यदि हमें अपनी आदतों को बदलने में परेशानी हो रही है, तो ये हमारी समस्या नहीं है। समस्या है, हमारी सिस्टम का जो हम बनाए रखे है । खुद को बदलना तो चाहते है पर बदलाव का तरीका गलत है ।बदलाव का एक  बेसिक नियम होता है ।इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं।
जैसे कि हम एक हेल्थी बॉडी पाने की कामना करते हैं।
इसके लिए हमें एक संयमित जीवन चर्या को अपनाना होगा।.हमें प्रत्येक दिन व्यायाम करना होगी।.बैलेंस डाइट लेनी होगी।.पर्याप्त.मात्रा में पानी पीना होगा।.योगा मेडिटेशन करना होगा।.नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करानी होगी।.रात में अच्छी नींद लेनी होगी।.शराब एवं धूम्रपान का इस्तेमाल नहीं करना होगा।.जहां तक पॉसिबल हो घर का खाना खाना होगा।.खाने की अच्छी आदतें विकसित करनी होगी।
इच्छित फल की प्राप्ति के लिए छोटी-छोटी आदतों की श्रंखला को हमें चरणबद्ध तरीके से फॉलो करना होगा। हम पढ़ाई में ठीक तो होना चाहते है पर नियमित रूप से सेल्फ स्टडी नहीं करते ।
 हम समाज को ठीक तो करना चाहते है मगर समस्याओं को चरण बद्ध तरीके से समझते नहीं । कोई भी बड़ी समस्या कई छोटी छोटी समस्याओं का समूह होता है। तो मतलब साफ है कि बड़ी समस्याओं को हल करने से पहले उन छोटी छोटी समस्याओं को चरणबद्ध तरीके से निरंतरता के साथ हल करना होगा। 

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