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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विनती, भजन, प्रार्थना की महिमा

प्रार्थना के औजार के रूप में हम गीत,संगीत,भजन, मंत्र, ध्यान, मनन,जाप, मौन आदि का उपयोग करते है। ब्रह्मांड की असीम शक्ति से जुड़ने की प्रक्रिया है प्रार्थना। प्रार्थना हमें परम शक्ति के समीप महसूस कराती है। प्रार्थना हमें परम शांति, संतुष्टि, प्रबुद्धता और संपूर्णता की अनुभूति दिलाती है।  प्रार्थना मनुष्य की स्वभाव बदलने की प्रक्रिया है। शक्ति के असीम सागर से कुछ ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया है प्रार्थना । विनम्रता पूर्वक या इमानदारी से दूसरे पक्ष से कुछ प्रदान करने को कहना है प्रार्थना। प्रार्थना में हम संपूर्ण रूप से अपने आप को सुपर पावर के आगे समर्पित कर देते हैं।  समर्पण का भाव है प्रार्थना। अलौकिक शक्ति से जुड़ना है प्रार्थना। ईश्वर से अपने मन और हृदय की बात कहना है प्रार्थना। प्रार्थना के माध्यम से हम अपने या दूसरों की इच्छा पूर्ति का प्रयास करते हैं। जब हम भगवान से बात करते हैं तो हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले शब्द , गीत,भजन ,मंत्र,ध्यान, मनन और जाप ये सब प्रार्थना है। प्रार्थना मनुष्य और ईश्वर के बीच आध्यात्मिक संचार का माध्यम है। प्रार्थना ईश्वर सेवा का ही एक रूप...

लक्ष्य प्राप्ति के प्रोसेस को याद रखें लक्ष्य को नहीं

यह सुनने में बड़ा अटपटा लगता है कि कोई लक्ष्य तय कर के ,लक्ष्य को ही भूल जाएं।यह बातें इसीलिए कहीं गई है क्योंकि जब कभी भी हम अपना लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं। उसके बाद में हम काम ना भी करें तो क्या फर्क पड़ने वाला है। हमें तो अचीवमेंट मिल चुका ना। इसे हम ऐसे समझते हैं। हम एक चुस्त-दुरुस्त तंदुरुस्त बॉडी पाने का लक्ष्य तय करते हैं। उस लक्ष्य के अनुरूप काम करना भी शुरू कर देते हैं।महीनों या सालों की मेहनत के बाद वह मनोवांछित परिणाम हमें मिल भी जाती है। इच्छित परिणाम की प्राप्ति के उपरांत हम थोड़े ढीले पड़ जाते हैं । उस प्रोसेस या तरीके को भूल जाते हैं जिसका अनुसरण करते हुए इच्छित फल की प्राप्ति करते हैं। इसीलिए यहां पर इस बात पर जोर देकर कहीं गई है कि,लक्ष्य को भूल कर उस प्रोसेस पर ध्यान दें जिसकी वजह से हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन  आ रही है ।  लक्ष्य से वह परिणाम है जिसे कि हम सभी पाना चाहते हैं। और व्यवस्था वह प्रक्रिया  या तरीका है जिसकी वजह से हम सफलता की ओर ले अग्रसर होते हैं।    इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। रेस में भागने वाले सभी खिलाड़ी ...

बड़े बदलाव की शुरुवात छोटी बदलाव से होती है

    ब ड़े बदलाव की शुरुवात छोटी -छोटी बदलाव से ही होती है। आप कितना भी कुछ भी चाहते हो,लेकिन आपके भविष्य को आकार वही चीजें देंगी , जिन्हें आप निरंतरता के साथ करते हैं। अच्छी आदतें हमें अपनी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं।  वही हमारे अंदर बसी कुछ बुरी आदतें हमें एक ही जगह पर अटकाए रहती है और अधूरे रहने पर मजबूर करती हैं। छोटे छोटे सकारात्मक बदलाव हमें असाधारण परिणाम देती है। हम बहुत ही मामूली से मामूली बातों पर ध्यान लगाकर उन्हें अपने जीवन में डाल सकते हैं  । अगर यदि हमें अपनी आदतों को बदलने में परेशानी हो रही है, तो ये हमारी समस्या नहीं है। समस्या है, हमारी सिस्टम का जो हम बनाए रखे है । खुद को बदलना तो चाहते है पर बदलाव का तरीका गलत है ।बदलाव का एक  बेसिक नियम होता है ।इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। जैसे कि हम एक हेल्थी बॉडी पाने की कामना करते हैं। इसके लिए हमें एक संयमित जीवन चर्या को अपनाना होगा।.हमें प्रत्येक दिन व्यायाम करना होगी।.बैलेंस डाइट लेनी होगी।.पर्याप्त.मात्रा में पानी पीना होगा।.योगा मेडिटेशन करना होगा।.नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करानी होगी।.र...

सेवानिवृत्त सैनिकों के जीवन का दूसरा अध्याय

देश के सैनिक कर्तव्य पारायणता के मिशाल होते हैं।एक सैनिक में  देश प्रेम की भावना कुट कुट के भरी होती है। जिस जुनूनी जज़्बे के साथ देश की सम्मान की रक्षा में, विपरीत परिस्थितियों का परवाह किए बगैर, कर्तव्यनिष्ट होकर तन से , मन से और वचन से निर्भीकतापूर्वक होकर अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। सैनिक कभी अपने निर्णय से पीछे नहीं हटते चाहे परिणाम कुछ भी हो जाए । अनुशासन और कर्मबद्धता सैनिक की पहचान होती है। सैनिकों वाली विशेषता अन्यत्र किसी व्यक्ति में नहीं मिल सकती। आदिवासी सहयोग समिति इसको बखूबी समझती है।इसीलिए जब कभी भी कोई सैनिक अपने सेवा समाप्त करके सकुशल गृह वापसी करता है तो उसके सम्मान में शानदार सांस्कृतिक स्वागत समारोह के द्वारा अभिनन्दन करती हैं। जीवन के दूसरे अध्याय की शुरुवात करने से पहले अपने शारीरिक कुशलता और समाज के उत्थान  के लिए मुडमा शक्ति स्थल में सामूहिक पूजा अर्चना की जाती हैं। जिस तन्मयता और कर्तव्य निष्ठा के साथ देश सेवा की, उसी तन्मयता और कर्तव्य निष्ठा के साथ ये योद्धा, सामाजिक उत्थान के लिए अपने आप को समर्पित कर देते हैं। वह दिन दूर नहीं,जब सरना समाज इनके म...