समस्याओं को नजरअंदाज करने और समस्याओं का हल नहीं ढूंढने से समस्याएं नासूर बन जाती है। Unsolved समस्याएं कई समस्याओं को जन्म देती है। समय के साथ समस्याएं और भी विकराल रूपधारण कर लेती हैं। समय के साथ समस्याओं का हल नहीं होने पर कई गुना दुष्कर हो जाता है। समस्याओं को नासूर बनने से पहले ही जड़ सहित समाप्त कर देना ही समझदारी है। समस्याओं को हल कर देने के बाद नई समस्याएं उत्पन्न होने से पहले ही समाप्त हो जाती है। वैसे अगर बात किया जाए तो मनुष्य के जीवन ही समस्याओं का अंबार है। लेकिन जीवन में वही मनुष्य सफल हो पाता है जिन्होंने समस्याओं को हल करने का तरीका सीख लिया हो। मनुष्य जीवन में लगभग सभी लोगों का समस्याएं एक सी होती है। सेम समस्याओं को हल करने का तरीका अलग-अलग लोगों का अलग अलग होता है। बहुत से ऐसे मनुष्य होते हैं जिन्हें अपने जीवन की बेसिक समस्याओं को हल करने में ही जिंदगी निकल जाती है।
इस लेख में हम बात करेंगे कि कैसे unsolved समस्याओं का मल्टीप्लिकेशन होता है। हमारे जीवन की पच्चीस छब्बीस साल तक का उम्र बेसिक पढ़ाई लिखाई करने की होती है। आने वाला समय हमारा कैसा होगा यह इन्हीं वर्षों में डिसाइड हो जाता है। जीवन के इस दौर में अगर हमने ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं की या स्किल्ड नहीं हुए तो इसका खामियाजा ता उम्र झेलनी पड़ेगी। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का अभाव या स्किल की कमी की वज़ह से अच्छी सैलरी वाला नौकरी या काम नहीं मिलेगी। ज्यादातर मामलों में लोग बेरोजगार ही रहते हैं। पैसे की कमी के चलते हम अपने बेसिक जरूरतों को भी पूरा करने में असमर्थ होने लगते हैं। हमारे जीवन स्तर का ग्राफ नीचे और भी नीचे गिरने लगता है। शादी के बाद भी मैरिज लाइफ में भी इसका असर दिखने लगता है। गरीबी के कारण खान पान भी ठीक से नहीं हो पाती है। जब अभिभावकों के शरीर में पौष्टिकता की कमी होगी तो उत्पन्न बच्चा भी कमजोर होगा। गरीबी के कारण बचपन से ही बच्चे को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाएगा। बच्चे कमजोर होंगे बौद्धिक विकास भी ठीक से नहीं हो पाएगा। धन अभाव के कारण बच्चे का शिक्षा दीक्षा भी अच्छे स्कूलों में नहीं हो पाएगी। जब शिक्षा-दीक्षा अच्छे स्कूलों में नहीं होगी तो उनको नौकरी भी कम सैलरी वाला मिलेगी।
इसी तरह से हम और एक उदाहरण की बात करते हैं। किस उदाहरण में हम अपने शरीर के स्वास्थ्य के बारे में बात करेंगे। मान लीजिए जीवन के किसी पड़ाव में यह पता चला कि हमें रक्तचाप की शिकायत है। वैसे तो रक्तचाप एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई परमानेंट हल नहीं है। लेकिन इसे संयमित जीवन चर्या के साथ पूरी तरह से कंट्रोल में रखा जा सकता है। मान लीजिए बीमारी रूपी की समस्या को हल्के में ले लिया। उच्च रक्तचाप से संबंधित रिस्ट्रिक्टेड डाइट चार्ट को फॉलो नहीं किया। शारीरिक एक्सरसाइज पर ध्यान नहीं दिया। ऑयली चीजों को खाने से नहीं बचे। नियमित रक्तचाप की जांच नहीं कराई। रक्षा से संबंधित ब्लड टेस्ट नहीं कराए। तो होगा क्या कि रक्तचाप का असर हमारे किडनी पर पड़ेगा और किडनी की कार्य क्षमता धीरे-धीरे घटने लगेगी। इसका असर धीरे-धीरे हमारे लीवर पर पड़ेगा। लीवर का एंजाइम बढ़ने लगेगा। हमारा ब्लड शुगर लेवल भी अप होने होगा। इसका असर हमारे आंखों के विजन पर पड़ेगा। हमारे शरीर के जितने भी मेजर ऑर्गन है वह प्रभावित होना स्टार्ट हो जाएगा। देखते ही देखते मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर का शिकायत उत्पन्न होगी। इसके बाद क्या होगा इसका अंजाम यह हम सबको पता ही है। मूल कारण एक थी लेकिन मूल कारण को नजरअंदाज करने से उससे संबंधित कितनी समस्याएं उत्पन्न हो गई।
इसी तरह हमारे समाज में भी कई ऐसी बेसिक समस्याएं हैं जिसको हमने हमेशा से नजरअंदाज करते आए हैं। अगर हम बात करें नशा पान की , तो नशा पान के कारण कई समस्याएं उत्पन्न होती है, जिसको कि हम रोक सकते थे। परिवारों में हमेशा कलह होती ही रहती है। आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। जीवन का स्तर बदतर हो जाता है। सामाजिक प्रतिष्ठा का ह्रास होता है। शारीरिक रूप से हम कमजोर होने लगते हैं। हमारे क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है। देखिए यहां पर एक समस्या ने कितने समस्याओं को जन्म दे दिया।
अंधविश्वास भी एक ऐसी समस्या है जो अनेक समस्याओं की जनक है। अंधविश्वास हमें कभी भी सच्चाई क्या है वहां तक पहुंचने नहीं देती। अंधविश्वास हमें सच्चाई से कोसों दूर रखती है। अंधविश्वास सकारात्मक तर्कशक्ति को समाप्त कर देती है। अंधविश्वास हमारे आंखों के सामने झूठ का पर्दा डाला हुआ रहता है। अंधविश्वास हमें मानसिक रूप से वैचारिक बीमार बना देती है। अंधविश्वास नई चीजों की खोज के रास्ता को बंद कर देता है। अंधविश्वास में हम तथ्यों का कुतर्कय विश्लेषण करते हैं। सच्चाई से कोसों दूर हो जाते हैं। सच कहा जाए तो सच्चाई को जाना ही नहीं चाहते। अंधविश्वास हमारे लॉजिकल तर्कशक्ति को खत्म कर देती है।
अशिक्षा और गरीबी हमारे समाज के सभी समस्याओं का जनक है। अशिक्षा है तो गरीबी है। गरीबी अशिक्षा को बढ़ावा देती है। धन अभाव के कारण गरीब व्यक्ति खाना-पीना में ,पढ़ाई लिखाई में, रहन-सहन में, यात्रा में, घर परिवार में जीवन स्तर को सुधारने में, पहनावे में उतना पैसा खर्च नहीं कर सकता जितना खर्च करना चाहिए। ज्यादातर मामलों में गरीबी से उबर नहीं पाते हैं। और गरीबी के जंजाल में फंसते चले जाते हैं।
वर्तमान समय में यदि इलेक्ट्रिसिटी ना हो तो किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मनुष्य का जीवन एकदम से थम सा जाएगा।इसके बिना डिजिटल लाइफ कि जो हम बात करते हैं कल्पना के परे। यहां गौर करने वाली बात यह है की एक चीज का ना होना कितनी समस्याओं को पैदा कर सकती है।
यहां पर इलेक्ट्रिसिटी का उदाहरण देने का मात्र एक ही उद्देश्य है और आपको यह बताना है कि किस तरह किसी एक चीज के नहीं होने से उनसे जुड़ी हुई सारी चीजें प्रभावित होती हैं।
हम सब के जीवन में कोई ना कोई ऐसी समस्याएं जरूर होती हैं जो हमारे समस्त जीवन के कामों को तो वही करती है। सभी समस्याओं का मूल वहीं पर अटका हुआ होता है। और ऐसा बात बिल्कुल भी नहीं है कि हमें उस समस्या के बारे में विदित नहीं है। अभी सब कुछ पता होते हुए भी हम कुछ नहीं कर सकते। हम सबके जीवन में ,हम सभी की यह परम कर्तव्य बन जाता है कि उस समस्या का फंड आउट करें और यथासंभव उस समस्या को हल करने की कोशिश करें।
जिस तरह से अनसोल्ड समस्या हमारे जीवन को प्रभावित करती है उससे भी कहीं ज्यादा समस्या को हल करने के बाद हमारे जीवन में परिवर्तनों का प्रकाश उदय होता है। उन से जुड़े कई एक अच्छे काम अपने आप शुरू हो जाते हैं। प्रगति की सभी दिशाएं खुल जाती है। इसीलिए हमें जीवन के हर एक मोड़ पर समस्याओं को निर्मूल करने के बारे में ही विचार विमर्श करते रहना चाहिए।
हम सबके जीवन में स्मार्टफोन का क्या अहमियत है हम सभी को पता है। इसके बिना जीवन की सुगमता एकदम से कठिन हो जाएगी। इसके ना होने मात्र से हमारे कितने ही काम प्रभावित होंगे।
इन उदाहरणों से हम समझ सकते हैं कि अगर मूल समस्या को उचित समय में हल नहीं करने से समस्याएं कितनी गुनी बढ़ जाती है। बेसिक समस्या ही समस्याओं को जन्म देती है। समस्याओं का मल्टीप्लिकेशन हो जाता है। समस्याओं का मल्टीप्लिकेशन होने से पहले ही उसका हल किया जाना चाहिए। तभी जीवन में सार्थकता और सुगमता आएगी।
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