सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

क्यों जरूरी है ख़ुद से प्यार करना ?


पने आप से प्यार करने का मतलब है खुद को सम्मान देना, खुद को स्वीकार करना, और अपनी भलाई का ख्याल रखना। यह एक ऐसी भावना है जो हमें आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास से भर देती है। इसका मतलब है कि हम अपने अच्छाइयों और बुराइयों को बिना किसी शर्त के स्वीकारते हैं और अपने आप को बेहतर बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहते हैं। 

अपने आप से प्यार करना यह भी दर्शाता है कि हम अपनी जरूरतों और इच्छाओं को समझते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए समय निकालते हैं। हम अपनी भावनाओं और विचारों को महत्व देते हैं और खुद के प्रति दयालुता की भावना रखते हैं। Self love की भावना हमारे छोटे-छोटे कार्यों से भी झलकता है, जैसे कि समय पर आराम करना, अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना, और खुद के लिए समय निकालना आदि।
सेल्फ लव का मतलब स्वार्थी होना कतई नहीं है। अपने लिए क्या अच्छा है और बुरा , की जानकारी हम सभी को होनी चाहिए। 
यह समझना कि हम पूर्ण नहीं हैं, लेकिन फिर भी हम अपने आप को संपूर्णता में स्वीकार करते हैं, अपने आप से प्यार करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें आंतरिक शांति और संतोष प्रदान करता है, जिससे हम अपने जीवन में अधिक सकारात्मक और संतुलित रह सकते हैं।

Self love और selfishness में अंतर

   Self love(आत्म- प्रेम) का अर्थ है खुद का सम्मान करना, अपनी भलाई का ख्याल रखना, और अपनी जरूरतों और इच्छाओं को समझना और उन्हें पूरा करना होता है। Self love का मतलब है कि हम अपने मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं, ताकि हम अपनी और दूसरों की भी बेहतर तरीके से मदद कर सकें।Self love में, हम खुद का ख्याल रखते हैं ताकि हम दूसरों के साथ भी बेहतर और अधिक प्रभावी तरीके से जुड़ सकें। 

दूसरी ओर, selfishness का मतलब है केवल अपनी जरूरतों और इच्छाओं को महत्व देना, दूसरों की भावनाओं और जरूरतों की परवाह किए बिना। एक selfish व्यक्ति केवल अपने फायदे की सोचता है और अक्सर दूसरों के हितों को नजरअंदाज करता है।

Self Love का मतलब self- centric होना तो नहीं। 

सेल्फ लव या अपने आप से प्यार करने के बारे में तो हम पहले ही जान चुके हैं । अब हम समझेंगे कि सेल्फ सेंट्रिक होना सेल्फ लव से कितने अलग हैं। सेल्फ लव और सेल्फ सेंट्रिक को लेकर हमारे मन में बड़ा भ्रांतियां है। 

self-centric (self-centered) होने का मतलब है कि आप अपनी जरूरतों और इच्छाओं को दूसरों के ऊपर रखते हैं और अक्सर दूसरों की भावनाओं और आवश्यकताओं की अनदेखी करते हैं। सेल्फ - centric लोग सिर्फ खुद की जरूरतों और इच्छाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे दूसरों की भावनाओं और जरूरतों की अनदेखी होती है।
 इसलिए, सेल्फ लव self-centric होना नहीं है। सेल्फ लव में खुद का ख्याल रखना और अपने प्रति दयालु होना शामिल है, जबकि self-centric होना स्वार्थीपन और अन्य लोगों की अनदेखी से जुड़ा हो सकता है।

अपने आप से प्यार करना हमें दूसरों से प्यार करना भी सिखाती है

दूसरों को प्यार करने से पहले अपने आप से प्यार करना चाहिए क्योंकि यह स्वस्थ और संतुलित संबंधों की नींव है। आत्म-प्रेम (self-love) हमें आत्म-सम्मान और आत्म-मूल्य का एहसास कराता है, जिससे हम दूसरों के साथ सम्मानजनक और दयालु व्यवहार कर पाते हैं। जब हम खुद से प्यार करते हैं, तो हम अपनी जरूरतों और भावनाओं को समझते हैं, जो हमें दूसरों की भावनाओं और जरूरतों का बेहतर तरीके से सम्मान करने में सक्षम बनाता है। आत्म-प्रेम हमें भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है, जिससे हम दूसरों को बिना किसी असुरक्षा या स्वार्थ के सच्चा प्यार दे सकते हैं। इसलिए, अपने आप से प्यार करना स्वस्थ और सार्थक संबंधों का आधार है।

सेल्फ लव के क्या-क्या फायदे हैं

सेल्फ लव (self-love) के कई फायदे हैं जो हमारे मानसिक, भावनात्मक, और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:

1.बेहतर आत्म-सम्मान:- सेल्फ लव आत्म-सम्मान को बढ़ाता है, जिससे आप खुद को अधिक मूल्यवान और आत्मविश्वासी महसूस करते हैं।
   
2.मानसिक स्वास्थ्य:- खुद से प्यार करने से तनाव, चिंता और अवसाद के स्तर में कमी आती है। यह मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
   
3.स्वस्थ संबंध:- जब आप खुद को प्यार और सम्मान देते हैं, तो आप दूसरों से भी ऐसा ही व्यवहार की अपेक्षा करते हैं, जिससे स्वस्थ और सकारात्मक संबंध बनते हैं।
   
4.आत्म-स्वीकृति:- सेल्फ लव आपको अपनी खामियों और कमजोरियों को स्वीकारने और उनसे सीखने की क्षमता प्रदान करता है।
   
5. बेहतर निर्णय लेना:- आत्म-प्रेम आपके निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत करता है, क्योंकि आप अपनी भावनाओं और जरूरतों का सम्मान करते हुए सही विकल्प चुनते हैं।
   
6.स्वास्थ्य और कल्याण:-खुद से प्यार करने का मतलब है अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना, जिससे आप स्वस्थ जीवनशैली अपना सकते हैं।
   
7.प्रतिरोधक क्षमता:- सेल्फ लव आपकी मानसिक और भावनात्मक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आप जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
   
8.सृजनात्मकता और उत्पादकता:- खुद से प्यार करने से आप अपनी क्षमताओं पर विश्वास करते हैं और अपनी सृजनात्मकता और उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं।

इन सभी फायदों के साथ, सेल्फ लव हमें एक संतुलित, खुशहाल, और पूर्ण जीवन जीने में मदद करता है।

सेल्फ लव हमें औरों से कैसे अलग करती है

सेल्फ लव हमें औरों से अलग करती है क्योंकि यह हमारे अंतर्निहित आत्मा के प्रति प्रेम और सम्मान को बढ़ाती है, जबकि दूसरों से प्यार मुख्य रूप से बाहरी संबंधों पर आधारित होता है। जब हम खुद से प्यार करते हैं, तो हम अपने स्वार्थ और जरूरतों को पहचानते हैं, जो हमें अपने जीवन में स्वतंत्रता और स्वतंत्रता प्रदान करता है। इसके अलावा, सेल्फ लव हमें अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए प्रेरित करती है, जो हमें आत्मनिर्भर बनाती है। इसके साथ, सेल्फ लव हमें अपने संबंधों में और भी संतुलितता और सहानुभूति प्रदान करती है, क्योंकि हम खुद के साथ संतुष्ट हैं और इसे दूसरों के साथ साझा करने के लिए अधिक सक्षम होते हैं।

सेल्फ लव हमें प्रकृति से जोड़ती है
बिल्कुल, सेल्फ लव हमें प्रकृति से प्यार करने की प्रेरणा देती है। जब हम खुद को समझते हैं और अपने आत्मा की देखभाल करते हैं, तो हम अपने आसपास की प्रकृति के सौंदर्य और महत्व को भी महसूस करने लगते हैं। सेल्फ लव के माध्यम से, हम अपने स्वार्थ को परित्याग करने और पर्यावरण के साथ संगठित तरीके से जुड़ने का अद्भुत तरीका सीखते हैं। हम प्रकृति के संरक्षण और सम्मान में अपना योगदान देने के लिए सक्षम होते हैं, क्योंकि हम उसका हिस्सा होते हैं और हमारी उनके प्रति जिम्मेदारी होती है। इस प्रकार, सेल्फ लव हमें प्रकृति के प्रति सहानुभूति और समर्थन की भावना विकसित करती है।

निष्कर्ष
सेल्फ लव एक महत्वपूर्ण और गहरा अनुभव है जो हमें खुद के प्रति प्यार और सम्मान की भावना सिखाता है। यह हमें अपनी मानसिक, भावनात्मक, और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की प्रेरणा प्रदान करता है। सेल्फ लव का अर्थ है अपने आत्मा को स्वीकार करना, अपनी स्वीकृति को बढ़ाना, और अपने आत्म-मूल्य को समझना। यह हमें अपनी ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करने के लिए सक्षम बनाता है और हमें अपने स्वप्नों और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित करता है। सेल्फ लव विभिन्न रूपों में व्यक्त हो सकता है, जैसे कि आत्म-सम्मान, आत्म-ध्यान, और स्वास्थ्य ध्यान। इससे हम अपने संबंधों में भी बेहतर बनते हैं क्योंकि हम अपने आप को समझते हैं, और इससे हमारी संबंधों में अधिक समर्थता, सहानुभूति, और प्रेम विकसित होता है। सेल्फ लव हमें एक संतुलित, खुशहाल, और सत्यापित जीवन जीने का रास्ता दिखाता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ट्रस्ट का bylaws कैसे बनायें

न्यास –विलेख (TRUST DEED ) यह ट्रस्ट प्रलेख आज दिनांक .................................... को निम्न प्रकार से निष्पादित   किया गया   :- (1)श्री ...............................................    उम्र ...........................सुपुत्र श्री   ............................................जाति ............................ पेशा .....................ग्राम .................पोस्ट ....................थाना .......................जिला .................... राज्य .................   भारतीय नागरिक I आधार नं. ............... पैन नं.............. मो . नं...................   ,(2) श्री ...............................................    उम्र ...........................सुपुत्र श्री   ............................................जाति ............................ पेशा .....................ग्राम .................पोस्ट ....................थाना .......................जिला .................... राज्य .................   भारतीय नागरिक I आधार नं. ............... पैन नं.............. मो . नं..................

आदिवासियों से दुनियां क्या सीख सकती है।

     अगर दुनिया को बचाना है तो हमें आदिवासियों की तरह प्रकृति प्रेमी होना पड़ेगा। हमें प्रकृति के साथ सह अस्तित्व की जीवन शैली अपनानी होगी। आदिवासियों का प्रकृति प्रेम जीवन के प्रारंभ से लेकर जीवनपर्यंत तक रहता है। सच मायने में अगर देखा जाए तो एक सच्चा आदिवासी एक प्रकृति विज्ञानी से कम नहीं होता। उन्हें अपने वातावरण के सम्पूर्ण पेड़ पौधों की उपयोगिता और उनकी महत्व के बारे में जानकारी जन्म से ही होती है। क्योंकि उनके पूर्वजों के द्वारा ये जानकारी उन्हें स्वता ही मिल जाती है।  पेड़-पौधे का कौन सा भाग खाया जाता है ? कौन सा भाग औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है कब खाया जाता है कैसे खाया जाता है उन्हें सब कुछ पता होता है। ऐसे ऐसे चीजों के बारे में उन्हें पता होता है जिनके बारे में लगभग पूरे दुनिया के लोगों को पता नहीं होता है। आदिवासी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट के समान है।अपने आप में ही वे ऑटोनॉमस बॉडी है। हमें बहुत नजदीक से प्रकृति से उनके जुड़ाव को सीखने की जरूरत है।मौसमों के बदलाव का असर उनके शरीर पर बहुत कम होता है।इसको पूरा दुनिया मानती है।आदिवासी हार्ड इम्युनिटी वाले होते है। उन्हें

सामाजिक नशाखोरी(I)

नशाखोरी समाज के लिए अभिशाप है।  नशाखोरी एक सामाजिक बुराई है। इसके गिरप्त में बच्चे ,युवा और बुजुर्ग सभी हैं। भारत युवाओं का देश है। युवाओं का संलिप्तता इसमें सबसे ज्यादा है। युवा शक्ति का इससे प्रभावित होना, समाज या देश के उत्पादकता में कमी होना है। सामाजिक स्तर से पूरा देश नशाखोरी जैसे मानसिक बीमारी से पीड़ित है। समाज और देश के लिए यह एक अभिशाप से कम नहीं है। अल्कोहल पेय पदार्थों का (विस्की, चुलैया ,महुआ ,ब्रांडी, बीयर और हंडिया  आदि अल्कोहोल पेय पदार्थ है ) लगातार ज्यादा मात्रा में consumption को ही नशाखोरी कहा जाता है।हमारे समाज को नशा की लत लग चुकी हैं।  नशा नाश करता है। नशा आप किसी भी रूप में लें हमेशा बर्बादी का कारण ही बनता है। ये बर्बादी बहुआयामी होता है।हमारी उत्पादकता पर सीधा असर पड़ता है। शारीरिक, मानसिक ,आर्थिक और सामाजिक इन सभी क्षेत्रों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  सबसे ताज्जुब की बात यह है कि बियर और हड़िया(राइस वियर) को हम शराब की श्रेणी में रखते ही नहीं। अजीबों गरीब तर्क देकर इसको लेने को जस्टिफिकेशन करते हैं। मैं आपको बता दूं की यह भी अल्कोहल पेय पदार्थ