विनती, भजन, प्रार्थना की महिमा

प्रार्थना के औजार के रूप में हम गीत,संगीत,भजन, मंत्र, ध्यान, मनन,जाप, मौन आदि का उपयोग करते है।

ब्रह्मांड की असीम शक्ति से जुड़ने की प्रक्रिया है प्रार्थना। प्रार्थना हमें परम शक्ति के समीप महसूस कराती है। प्रार्थना हमें परम शांति, संतुष्टि, प्रबुद्धता और संपूर्णता की अनुभूति दिलाती है।


 प्रार्थना मनुष्य की स्वभाव बदलने की प्रक्रिया है। शक्ति के असीम सागर से कुछ ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया है प्रार्थना । विनम्रता पूर्वक या इमानदारी से दूसरे पक्ष से कुछ प्रदान करने को कहना है प्रार्थना।

प्रार्थना में हम संपूर्ण रूप से अपने आप को सुपर पावर के आगे समर्पित कर देते हैं। 

समर्पण का भाव है प्रार्थना।

अलौकिक शक्ति से जुड़ना है प्रार्थना।

ईश्वर से अपने मन और हृदय की बात कहना है प्रार्थना।

प्रार्थना के माध्यम से हम अपने या दूसरों की इच्छा पूर्ति का प्रयास करते हैं।

जब हम भगवान से बात करते हैं तो हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले शब्द , गीत,भजन ,मंत्र,ध्यान, मनन और जाप ये सब प्रार्थना है।

प्रार्थना मनुष्य और ईश्वर के बीच आध्यात्मिक संचार का माध्यम है।

प्रार्थना ईश्वर सेवा का ही एक रूप है।

प्रार्थना ईश्वर के उस कार्य के लिए अभिवादन है जो हमारे लिए किया है।

प्रार्थना उन सभी कार्यों का समाधान है जिसको की हम कभी समझ ही नहीं पाते ।

प्रार्थना ईश्वर के साथ कम्युनिकेशन का तरीका है।

प्रार्थना एक अनुरोध है हमारी ओर से ।

प्रार्थना एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम आत्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं।

प्रार्थना कोई भौतिक चीजों को प्राप्त करने का साधन तो बिल्कुल ही नहीं है। प्रार्थना के द्वारा हम भौतिक चीजों को प्राप्त करने वाली आवश्यक मानवीय गुणों को प्राप्त कर सकते है । जैसे कि आत्म बिस्वास, लगनशीलता,निर्भीकता, बौद्धिक संपन्नता, खुशहाली, संयमित जीवन चर्या, परम शांति और सुख की अनुभूति और अर्थोपार्जन के उचित तरीके।


जब हम प्रार्थना करते हैं तो यह स्वीकार करते हैं कि कोई तो है जिसके इसारे मात्र से इस दुनिया का संचालन हो रहा है । कोई तो है जिसके पास समूचे ब्रह्मांड का बटन है ।


भगवान से प्रार्थना करना एक बच्चे की अपने पिता के साथ बातचीत की तरह है। एक बच्चे के लिए अपने पिता से अपनी जरूरत की चीजें मांगना स्वाभाविक है।




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