हमारे जीवन में बहुत बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि जिसमें किसी एक समस्या का समाधान दूसरी समस्या को जन्म देती है।
लेकिन दूसरी समस्या का समाधान पहली समस्या को फिर वापस ला देती है।
जैसे कि हम अपने जीवन में किसी काम की विफलता के कारण तनाव में रहने लगते है। उस तनाव को दूर करने के लिए हम नशीली चीजों का इस्तेमाल करना शुरू कर देते है। नशीली पदार्थों के लगातार इस्तेमाल से उसका बुरा असर हमारे शरीर और रोज़मर्रा के जीवन में पड़ने लगता है। यह देखकर हम और तनाव में आ जाते है।
जैसे हम टीवी देखते हुए सुस्ताने लग जाते है। फिर कुछ और ना कर पाने की स्थिति में और टीवी देखने लग जाते है। इसी तरह अनेकों उदाहरण है कि किस तरह हम जाने अंजाने में ही समस्याओं के जाल में फंसते चले जाते हैं ।
पर काम आता है आत्मनियंत्रण(Self-control) । लेकिन लंबे समय तक अपने आप को self-control में रखना संभव नहीं है । ये लंबे समय तक काम नहीं करती । दीर्घकालीन परिणामों के लिए हमें सुनियोजित तरीकों को अपनाने की जरूरत होती है। क्योंकि हर बार हम अपनी इच्छा शक्ति पर काबू नहीं रख पाएंगे। हम अपनी बुरी आदतों को रोक तो सकते है लेकिन हमेशा के लिए उसे भूल जाना संभव नहीं है। वैसे भी अनिश्चितता वाले इस जीवन में समस्याएं तो हमेशा लगातार आते ही रहेंगी। हम कोई संत तो है नहीं कि हर स्थिति में शांत रह जाए। समस्याओं का असर तो जीवन में पड़ना ही है। नकारात्मक माहौल में लगातार अपने आप को सकारात्मक बनाए रखना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए बेहतर यही होगा कि नकारात्मक संकेत के उठने से पहले ही उसे जड़ से समाप्त किया जाए।
जैसे कि फोन में आ रही बार-बार के नोटिफिकेशन से हमारा ध्यान भंग हो रहा है तो बेहतर यही होगा कि कुछ समय के लिए हम फोन को ही अपने आप से दूर रखते दें। अगर हमारा अधिकतर समय टीवी देखने में ही बर्बाद हो रहा है तो बेहतर यही होगा की टीवी को ही अपने बेडरूम से हटा दें। इससे होगा क्या कि हमारा ज्यादातर समय किसी रचनात्मक कार्य विशेष को करने में ही व्यतीत होगा। इस छोटे बदलाव से हमारे रोजमर्रा के जीवन में बहुत बड़ा फर्क देखने को मिलेगा।और हम अपने ऊर्जा और अपने बहुमूल्य समय का ज्यादातर हिस्सा अपने वातावरण को बदलने में लगा देंगे।
अपने आप को जीत लेना दुनिया को जीत लेने के बराबर है।हमें अपनी सारा ध्यान और सारी शक्ति अपने आप को बदलने में लगा देनी चाहिए। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि हम अपना आवश्यक काम को करते तो हैं लेकिन अपना पसंदीदा शौक़ को भी छोड़ना नहीं चाहते। व्यवसाय कार्य करना जरूरत है लेकिन गाना सुनना अपना शौक। तो हम अपना काम करते हुए भी हेडफोन में गाना सुन सकते हैं। हम अपना जरूरी के काम तो करना चाहते हैं मगर अपना पसंदीदा खेल ,मूवी या प्रोग्राम भी देखना पसंद करते हैं। तो हमें एक ऐसे स्ट्रेटजी बनाने की जरूरत महसूस होती है जिससे कि अपना जरूरी काम भी हो जाए और साथ में अपना शौक भी पूरा हो जाए। प्रोडक्टिविटी में कोई भी असर ना पड़े। काम करने का यह तरीका कभी भी फेल नहीं होता। हम अपने आप को प्रलोभन भी दिए और अपना कार्य भी सिद्ध हो गया। किस तरह से हम अपनी जरूरत और पसंद को क्रमबद्ध करके आसानी से कर सकते हैं । इसी को कहते हैं एक तीर से दो निशान।
लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि कुछ काम ऐसे भी होते हैं जिसको कि अकेले करने में ही भलाई है।
स्थिति और समय की मांग के अनुसार अपने नियम खुद बनाए जाने की जरूरत होती है। कसरत करना हमारा जरूरत। सोशल मीडिया अपडेट करना हमारा शौक। 10 मिनट के लिए एक्सरसाइज करें। रिलैक्सेशन के टाइम में सोशल मीडिया अपडेट करें। इसी तरह से सैकड़ों उदाहरण है जिसको कि हम सामंजस्य स्थापित कर के साथ-साथ कर सकते हैं। जिसशौक को पूरा करने के लिए हमें समय निकालने की जरूरत पड़ती थी अब वह ऐसे ही पूरा हो रहे हैं। इस तरह से हम जरूरत और पसंद को आपस में जोड़ देते हैं तो अपना जीवन कितना सरल और आसान हो जाता है। ये सभी जीवन में अपनाई जाने वाली बेहतरीन बातें है । आज को सुधारो कल अपने आप सुधर जाएगी। क्योंकि कल, आज ही लिखी जाती है। छोटी सी सुधार का चाहे वह अच्छा हो या बुरा उसका असर कालांतर में हमारे जीवन में पड़ता जरूर है। यह किसी भी क्षेत्र में हो सकती है। समय के मांग के अनुसार अपने अंदर आवश्यक बदलाव नहीं कर के समय को हम खुद ही अपना दुश्मन बना बैठते हैं। क्योंकि कहा भी जाता है ना हम जैसे होते हैं दुनिया भी हमें वैसे ही नजर आती है। नजरिया बदला, दुनिया बदली ।
धन्यवाद
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