ASSRB द्वारा प्राकृतिक पर्व सरहुल मानने का नायाब तरीका
ASSRB सैनिकों द्वारा बनाया गया एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। सेवारत और सेवानिवृत सैनिक इसके सदस्य है। सैनिक जिस कर्तव्य परायणत ,अनुशासन , कर्मनिष्ठता और मनोयोग से देश की सेवा में अपने बहुमूल्य समय देते है उसी तर्ज पर सामाजिक कल्याण का काम करना चाहते है। इस तरह के भावनाओं का उद्गमन अपने आप में अनूठा है।
मैं आप को एक बात से अवगत कराना चाहूंगा कि सरहुल पर्व आदिवासियों का सबसे बड़ा प्राकृतिक पर्व है। यह पर्व तब मनाया जाता है जब पृथ्वी हरियाली का आवरण ओढ़ रही होती है। रंग बिरंगी फूलों से सज रही होती है। यूं कहें की नया रूप धारण कर रही होती है। यही मौसम भारतीय आदिवासियों का नया साल का होता है। प्रकृति के बिना इस पृथ्वी पर मनुष्य जाति का अस्तित्व संभव नहीं है। आदिवासी समाज इस को बखूबी समझती है। इसीलिए प्रकृति के संरक्षण संवर्धन और उनके पोषित के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है।
मंच में मुख्य और विशिष्ट अतिथि गन |
ASSRB इस पर्व को एक कदम और आगे ले गई । समाज में जितने भी सेवानिवृत सैनिक हैं उनको आमंत्रित किया और उन्हें उचित मंच देकर सम्मानित किया और सामाजिक उत्थान के लिए योद्धा तैयार किया।
सेवानिवृत्त सैनिक एवं केंद्रीय अध्यक्ष |
गांव में जितने भी पहान , पनभरा , पुजार और मुखिया है उन्हे आमंत्रित करके सम्मानित किया और सामाजिक विकास में समन्वय स्थापित करने की कोशिश की।
जितने भी शाहिद परिवार हैं उनको आमंत्रित किया । जिन्होंने देश की सेवा में अपने हीरे को खोया है । सम्मानित करके उन्हें यह एहसास दिलाया कि हम हमेशा आप के साथ खड़े हैं।
पढ़ाई में जितने भी बच्चे अव्वल हैं उन्हें पुरस्कृत करके
पारंपरिक वेशभूषा में सुंदर सांस्कृतिक नाच का प्रदर्शन
लेखन कार्य अगले इवेंट तक स्थगित।
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