समस्या को एक चिकित्सक की तरह देखें
कंपनियां ऐसे करती समस्या का निदान
जैसे कि हमारे बाइक के कार्बोरेटर में खराबी है और हम स्टार्टर से स्टार्ट करने की भरसक कोशिश करते है। हमारे लाख कोशिशों के बावजूद बाइक स्टार्ट नहीं होगी। समस्या का मूल कारण तो कार्बोरेटर में है ,ना की स्टार्टर में। बाइक का स्टार्ट होना तभी संभव है जब कार्बोरेटर की समस्या का निदान होगा। देख सकते है कि कैसे एक समस्या सम्पूर्ण सिस्टम की कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है।
अगर आपको समस्या के मूल कारण पता नहीं है तो 100% कोशिशों के बावजूद 10% भी सफलता नहीं मिलेगी।
ठीक इसके उल्ट अगर आपको को समस्या के मूल कारण पता है तो आपके 10% कोशिश मात्र से 100% की सफलता हासिल होगी।
इसी युक्ति का प्रयोग करके 10% मात्र ऊर्जा लगाकर जितने भी हमारे समस्या है उनमें 100% की सफलता चुटकियों में हासिल कर सकते हैं।
चलिए इसको हम और एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं।
मान लीजिए हमें किचन में कोई जायकेदार डिश बनानी है। जायकेदार बनाने वाली सभी उपयोगी सामग्रियां डाली। डिस बन के तैयार भी हो गई। लेकिन हमने उसमें नमक डालना ही भूल गए। सारा गुड गोबर हो गया। बिल्कुल टेस्टलेस डिश बनके तैयार हुआ। अपने तरफ से हमने पूरी मेहनत की। शत प्रतिशत मेहनत करने के बावजूद हमने 10% मेहनत जिसमें नमक डालने का था हमने नहीं की तो हमारा सारा मेहनत बेकार हो गया। यहां पर समस्या का मूल जड़ नमक है जो कि हमें ज्ञात हो गया। तो नमक मात्र डालने से डिश की जायका बढ़ जाएगा।
हमें समस्याओं को हल करने में ज्यादा समय नहीं लगता। समय लगता है समस्याओं के मूल कारणों को पता लगाना। किसी समस्या को हल करने में इतना समय या धन नहीं लगता जितना समय उस समस्या के मूल कारण को ढूंढने में लगता है। किसी बीमारी को खत्म करने के लिए दवाइयों का जितना खर्च नहीं लगता उससे कहीं ज्यादा खर्च उस बीमारी को पता करने के लिए इन्वेस्टिगेशन में लगता है। समस्याओं के मूल कारण को खोजना ही समस्याओं का हल है।
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