जैसा देश वैसा भेष


परिवेश का असर

हम सभी को यह पता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हम सभी एक व्यवस्थित शांतिपूर्ण और सभ्य समाज में रहना पसंद करते हैं। समाज में हम अपने दोस्तों रिश्तेदारों करीबियों और अपने परिवार वालों के साथ सामंजस्य के साथ रहते हैं। हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में इन्हीं लोगों के प्रभावों का बहुत बड़ी भूमिका होती है। हम जिस तरह के समाज यह परिवेश से आते हैं उसका असर हमारे व्यक्तित्व में पड़ता है। अगर हमारा संपर्क अच्छे लोगों से होगा तो अच्छा ही असर हम पर भी पड़ेगा। बुरे लोगों से होगा तो बुरा असर पड़ेगा।
बहुत बार अपने करीबियों की उम्मीदों के दबाव के कारण हमारे अंदर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के दृष्टिकोण विकसित होते हैं।

माहौल के अनुरूप रहने की आदत

हमारे अंदर स्वाभाविक तौर पर माहौल के अनुरूप रहने की आदत होती है। अक्सर हम अपनी पहचान अपने आसपास के लोगों के पहचान से ही जोड़ कर रखना पसंद करते हैं। यह हमें मानसिक सुरक्षा की अनुभूति का एहसास कराता है।समाज के साथ में जुड़कर रहने की हमारी हमेशा से ही यही प्रवृत्ति रही है। हम हमेशा से ही अपने समाज से प्रभावित होते हैं या तो उन्हें प्रभावित करते रहे हैं। एक दूसरे पर हमेशा इसका असर पड़ता ही है।

खाना खाते समय हम अक्सर अपने साथ दिन भर में घटित घटनाओं का चर्चा करते हैं। अगर हम अपने घर से दूर हैं तो अपने परिवार वालों को फोन करते हैं। अपने काम या स्कूल कॉलेजों से लौटने के बाद अक्सर हम अपने दोस्त यारों से बातें करते हैं या कोई संदेश भेजते हैं। इन सोशलाइजिंग जुड़ावों के माध्यम से हम एक दूसरे से प्रभावित होते है। हमारा जुड़ाव जिन जिन लोगों से जितना अधिक होगा उन उन लोगों का नेगेटिव या पॉजिटिव चीजों का प्रभाव का असर उतना ही अधिक होगा।  यही भूमिका हम भी उनके जीवन में निभाते हैं।

हमे प्रभावित करने वाले लोग

इसीलिए किसी ने सच ही कहा है कि हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सबसे ज्यादा हमारे करीबी ही होते हैं।ये या तो हमारे दोस्त हो सकते हैं। यह हमारे परिवार वाले हो सकते हैं । या फिर हमारा परिवेश हो सकता है।मनुष्य की प्रवृत्ति भी हमेशा नकल करके अनुसरण करने की ही रही है।

 सच में अगर देखा जाए तो हम कोई नया आदत या काम को निर्माण नहीं करते हैं। हम उन्हीं कामों या आदतों का अनुसरण करते हैं जो हमारे आसपास में हमेशा से होता रहा है।

उदाहरण के तौर पर हम यह कह सकते हैं की यदि हमारे घर में किसी खेल विशेष या काम को लेकर झुकाव है। स्वाभाविक तौर पर हमारा भी झुका उस काम या खेल के प्रति होगा। बहुत बार तो ऐसा भी होता है कि हम किसी काम विशेष  आदत का अनुसरण करते चले जाते हैं और इसका हमें एहसास भी नहीं होता। यह सब चीजें हमें बोझ भी  नहीं कराती।

प्रभावित करने वाले मुख्यतः तीन तरह के ही लोग होते हैं।

सबसे पहला तो हमारा करीबी दोस्त यार या परिवार के ही लोग होते हैं। क्योंकि सबसे पहले उन्हीं को देख कर के ही हम उनके जैसा खाना पीना, रहना सहना ,बोल चाल, पढ़ना लिखना, सीख दे हैं। बहुत बार हम उनको प्रभावित करते हैं या हम उनसे प्रभावित होते हैं। यह प्रक्रिया हमेशा लगा ही रहता है।

दूसरा ऐसे अनजान लोग जिनको कि हम जानते तक नहीं है।

अनजान लोगों से हम कैसे प्रभावित होते हैं चलिए मैं आपको बताता हूं। मान लीजिए हमें ऑनलाइन शॉपिंग करनी है और उस प्रोडक्ट के बारे में हमें ज्यादा कुछ जानकारी भी नहीं है। यहां काम आती है उन अनजान लोगों की रिव्यूज जो या तो उस प्रोडक्ट के जानकार होते हैं या फिर उस प्रोडक्ट को कभी ना कभी यूज किए हुए होते हैं।


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