सुविधाएं कैसे काम करती है?

सुविधाएं उत्पादकता बढ़ाती है

सुविधाएं हमारी कार्य क्षमता को बढ़ाती है। जिसके परिणाम स्वरूप प्रोडक्टिविटी बढ़ती है। सुविधाएं ऐसे औजार या साधन होते हैं जो काम हम कर रहे होते हैं उस काम को बेहतर और सुंदर ढंग से कम समय में करने के लिए हमारा सहायक होता है। आधुनिक युग में हम सुविधाएं प्रदान करने वाली साधनों से गिरे हुए हैं। आधुनिक युग में हम मनुष्य का जीवन इस तरह से बदल चुका है कि सुविधाओं के बिना जीवन की कल्पना करना एकदमएकदम ही मुश्किल है। जीवन इसके बिना एकदम से रुक जाएगी। जीवन में हर वो काम जो हमें जीवित रहने के लिए करना पड़ता है उन सभी चीजों को करने के लिए साधन उपलब्ध है। सुविधाएं हम मनुष्य जीवन को चमत्कारिक रूप से बदल दिया है। सबों को सभी सुविधाएं उपलब्ध हो यह जरूरी नहीं है। सभी को सब कुछ प्राप्त नहीं है। उनके लिए एक निश्चित धनराशि जो चुकानी पड़ती है। सुविधाओं के साधन हमारे समय को काफी बचा दिया है। दिनों का काम घंटों में हो जा रहा है। और घंटों का काम मिनटों में सटीकता के साथ हो रहा है। हम मनुष्य का जीवन पूरी तरह से सुविधाओं के साधनों पर निर्भर  हो गया है। हम पूरी तरह से सुविधाओं के साधनों से गरे हुए हैं। 

चाहे वह रसोई हो सड़क या अपना कोई भी कार्य क्षेत्र सुविधाओं के साधनों ने पूरी तरह से अपना स्थान पक्का कर लिया है। बीते कुछ सालों में यातायात और कम्युनिकेशन में सबसे ज्यादा परिवर्तन हुआ है। पूरे विश्व सुविधाओं के बाजारों से भरा पड़ा है। पूरी संसार सुविधाओं को जुटाने और सुविधाएं उपलब्ध कराने में लगी हुई है।

कहने के लिए तो हर काम को करने के लिए सुविधाओं के अनेक साधन उपलब्ध है । लेकिन क्या इन सुविधाओं के साधनों की उपलब्धता सबके लिए है। क्या बहुसंख्यक लोग इन सुविधाओं के साधनो को पाने में सक्षम है। 

चलिए इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं । 
हमारे देश के हर एक गाँव, कस्बा, तहसील, और शहरों में स्कूली शिक्षा की सरकारी व्यवस्था है। इसके बावजूद धड़ल्ले से अच्छे से अच्छे प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं।दोनों के शैक्षिक स्तर में काफी अंतर होता है। जब कि प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों का बेतन सरकारी के अपेक्षा बहुत ही कम होता है फिर भी private स्कूलों का परिणाम हमेशा से अच्छा रहा है। इसका कारण है अच्छी सुविधाएं। 

एक बच्चा जो कि सम्पन्न परिवार से आता है। उनके अभिभावक कभी सरकारी स्कूलों मे अपने बच्चों को नहीं भेजेगा। क्योंकि सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की अभाव होती है। शैक्षणिक स्तर  और शैक्षिक माहौल भी ठीक नहीं होती है। इंफ्रास्ट्रक्चर का बड़ा अभाव होता है । शिक्षकों का अभाव होता है। लाइब्रेरी या नहीं होती है। ना कंप्यूटर होता है और ना ही इंटरनेट की व्यवस्था। सरकारी स्कूल के बच्चों को एक्सपोजर बहुत कम मिलता है।

अगर हम बात करें प्राइवेट स्कूलों की तो वहां पर स्टूडेंट टीचर का अनुपात बिल्कुल सही होता है। बच्चों में कंपटीशन की भावना उत्पन्न की जाती है। प्राइवेट स्कूलों में शैक्षणिक माहौल को काफी ध्यान दिया जाता है। पढ़ाई लिखाई से संबंधित जितने भी आधुनिक चीजों की आवश्यकता होती है वह सभी प्राइवेट स्कूलों में उपलब्ध होती हैं। प्राइवेट स्कूल के बच्चे सुविधाओं के साथ पढ़ाई लिखाई में दौड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं जबकि साधन विहीन बच्चे पढ़ाई लिखाई में पैदल चल रहे हैं । इंटरनेट और कंप्यूटर की शिक्षा पर विशेष ध्यान दी जाती है। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई ही नहीं बल्कि खेलकूद में बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता है। हर तरह के इंडोर गेम, हर वह गेम जिसकी जरूरत है सिखाई जाती है। लाइब्रेरी और लेबोरेटरी में विशेष ध्यान दी जाती है।
अभी के समय में अगर हम पढ़ाई लिखाई की बात करें तो कंप्यूटर और इंजीनियर दो ऐसे साधन है जो पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र को बहुत ज्यादा पोस्ट किया है। इंटरनेट में पढ़ाई लिखाई की वह सारी चीजें उपलब्ध होती है जो हमें चाहिए होती है अभी के समय में पढ़ाई लिखाई के लिए ऐसी ऐसी सुविधाएं अवैलाबल हैं जो हमारे स्टडी को बूस्ट करती है। अभी के समय में कोई भी सवाल unsolved नहीं रह जाता है अगर इनका सही इस्तेमाल किया जाय तो। 

एक गरीब परिवार का बच्चा चाहे वह कितना ही होशियार क्यों ना हो, सुविधाओं के अभाव में वह, वह मुकाम हासिल नहीं कर पाता जो सुविधा युक्त बच्चे करते हैं। ऐसे बहुत कम ही लोग होते हैं जो अभाव में रहकर बड़ी सफलताएं हासिल की हो। सुविधाओं से युक्त एक होशियार बच्चा बहुत बड़ी बड़ी सफलताएं हासिल कर सकता है। 
पैसा, सुविधा खरीदने का सबसे बड़ा यक्ति है। जिनके पास पैसा होता है वह सभी सुविधाएं जुटाने में लगा ही रहता है। और उन सुविधाओं से बड़ी बड़ी सफलता हासिल करता है। सुविधा विहीन लोग उसके बारे में सोच भी नहीं सकते। सुविधाएं हमें कहाँ से कहाँ ले जाती हैं। सुविधाएँ हमें मजबूती प्रदान करती हैं। साधनों के बिना विकास की रफ्तार बहुत ही धीमी होती है।

सुविधा के होने के वजह से एक दूसरा पक्ष भी उभर कर आती है। एक संपन्न परिवार का बच्चा सुविधाओं के साधनों से गिरा हुआ होता है । उनके पास अभाव नाम की कोई चीज नहीं होती। लेकिन वह उसकी इंपोर्ट्स को समझ नहीं पाता । सुविधाओं के साधनों का मिस यूज करता है। सेल्फ डेवलपमेंट एक्टिविटी में ध्यान नहीं देता। राजकुमार वाली जिंदगी जीता है। उन्हें पता होता है कि उनके पास सभी चीज अवेलेबल है। बाद में यही सोच उनके पतन का कारण बनता है।
वही एक गरीब परिवार का बच्चा सुविधाओं के अभाव में रहते हुए सुविधाओं के इंपोर्टेंस को समझता है। और ऐसे कोई भी काम नहीं करता है जो उसके पतन का कारण बने। वहां अपने सेल्फ बिल्डिंग के बारे में बहुत ज्यादा ध्यान देता है। जो कुछ भी सुविधाएं उसके पास उपलब्ध होती है उसका वह एक्सट्रीम लेवल पर यूज करता है ।
सुविधाएं अक्सर हमारे गति को तेज करने के लिए होती हैं ना की गति को रोकने के लिए। सुविधाओं के होते हुए भी पतन का होना सुविधाओं के मिस यूज को दिखाता है।

यह कहना तो बिल्कुल भी सही नहीं होगा की सुविधाएं हमें कमजोर भी बना रही है। लेकिन यह बिल्कुल सही है । आज के समय में हम अपने शरीर का उपयोग उतना नहीं कर पा रहे हैं जितना पहले सुविधा रह लोग किया करते थे। सुविधाओं के अभाव में हमारा शरीर काम भी नहीं कर पाता है। सुविधाओं के चलते हम दिनोंदिन शारीरिक रूप से कमजोर होते चले जा रहे हैं। पहले जमाने के तुलना में हम सारे ग्रुप से 10 परसेंट भी एक्टिव नहीं है । इसको हम कुछ इस तरह से समझते हैं। अभी के समय में खाली पैर चलना हमारे लिए बहुत मुश्किल की बात है । बिना जूते चप्पल के हमारे पैरों में दर्द होने लगते हैं। हम लंबी दूरी तक पैदल चल भी नहीं पाते। हमारी याद करने की क्षमता भी कम होती जा रही है क्योंकि हमें कोई भी चीज याद करने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि जरूरत की सारी चीज है हमारे स्मार्टफोन में उपलब्ध होती हैं । अभी के समय में हमें मुश्किल से एक या दो ही मोबाइल नंबर याद होते हैं या इतना भी नहीं। हमारे राइटिंग भी ठीक नहीं होती क्योंकि हम लिखते ही नहीं है। हमारी आंखें कमजोर होती जा रही हैं इनकी हम दिन भर स्मार्टफोन और टीवी में देखते रहते हैं । 

सुविधाएं हमें अपनों से वर्चुअली तो नजदीक लाया है लेकिन हम फिजिकली दूर होते चले जा रहे हैं। सुविधाओं के साधनों के द्वारा हम अभी जितने लोगों को जानते हैं वर्चुअली, ऐसा पहले कभी नहीं था। वर्चुअली हमारे सैकड़ों फ्रेंड होते हैं लेकिन शायद ही हम उनसे कभी मिल पाते हैं। हम अपनी संवेदनाओं को वर्चुअल ही व्यक्त करते हैं। कहने को तो हम दूसरे के नजदीक है लेकिन दूर होते चले जा रहे हैं। यह वर्चुअल दूरियां हमारे इमोशनल अटैचमेंट को खत्म कर रही है। सुविधाएं हमें अपने तक ही सीमित रहना सिखा रही है। हम अक्सर अपने में ही खोए हुए रहते हैं।

सुविधाएं हमें घर तक ही सीमित रख रही है। पहले जमाने के बच्चे खेलने के लिए दिन भर घर के बाहर हुआ करते थे अपने दोस्तों के साथ। बगीचा में खेतों में, खेल के मैदानों में धूल में खेलते रहते थे। लेकिन अभी के ज्यादातर बच्चे सुविधाओं के साधनों की गेम खेलते रहते हैं। अभी के ज्यादातर अभिभावक भी यही चाहते हैं कि उनके बच्चे ज्यादातर टाइम घर में ही रहे। इस वजह से बच्चे बचपन में ही मिट्टी से दूर हो जाते हैं। बचपन में खेले जाने वाले बहुत से ऐसे खेल तमाशे हुआ करते थे जो कि बिल्कुल ही विलुप्त होते चले जा रहे हैं। अभी के बच्चों को वह खेल के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। अभी के बच्चों में पहले के बच्चों के मुताबिक इम्यूनिटी बहुत वीक होती है । 
सुविधाओं के साधन हमें प्रकृति से दूर कर रही है। पहले के लोग जब कभी भी उदास या दुखी होते थे तो वह प्रकृति के बीच जाकर बैठ जाते थे और प्रकृति को अपना दुख दर्द सौंप देते थे । लेकिन अभी के समय में हम जब उदास या दुखी होते हैं तो सुविधाओं के साधन में दुख दूर करने की उपाय को ढूंढते हैं या दूर करने की कोशिश करते हैं। 








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