चलिए आज हम प्रकृति के ऐसे यूनिवर्सल प्राकृतिक शक्ति के बारे में बात करेंगे जो ब्रह्मांड के संपूर्ण वस्तु या जीव पर विद्यमान है। यह एक ऐसी शक्ति है जिसके बूते सारा ब्रह्मांड चलता है। यही बल सारा ब्राह्मणडीय पिंडों को व्यवस्थित रखता है। हमारा मनुष्य जीवन भी इससे अछूता कतई नहीं है।
वह बल है गुरुत्वाकर्षण बल। किन्ही दो वस्तुओं के बीच लगने वाले बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं । यदि उनमे से एक पृथ्वी हो तो, ऐसी स्थिति में यह बल गुरुत्व बल कहलाता है।
यहाँ पर इस शक्ति की व्याख्या हम गणितीय रूप मे नहीं करेंगे। मैं आपको यहां पर यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि किस तरह से प्राकृतिक शक्तियां किसी पर कोई भेद नहीं करती। चाहे वह जीव हो या निर्जीव, छोटा हो या बड़ा,अमीर हो या गरीब, विद्वान हो या मूर्ख।
चलिए इसको समझने के लिए एक प्रयोग करते हैं। इस प्रयोग को करने के लिए हम कुछ चीजों की जरूरत पड़ेगी।
1. दो किलो का एक पत्थर का टुकड़ा।
2. एक किलो का एक लकड़ी का टुकड़ा।
3. एक किलो रुई।
4. एक किलो मिट्टी ।
5. एक पानी का बोतल भरा हुआ बिना वजन के।
इन अलग अलग सामानों को पकड़ने के लिए पांच अलग अलग लोग चाहिए और एक कैमरामैन प्रयोग को रिकॉर्ड करने के लिए। टोटल छः लोग। पाँचों सामान लेकर छत में जाना होगा और कैमरामैन को जमीन में रहना होगा। सामानों को एक ही बार में छत से नीचे गिरना होगा और इसे कैमरे में रिकॉर्ड करना होगा। इस प्रयोग को तीन से चार बार दोहरना होगा।
इस प्रयोग की कुछ शर्तें होंगी।
1. जमीन से सामानों की दूरी/ऊंचाई फिक्स होगा।
2. जमीन समतल होना चाहिए।
3. सामान को गिराना है फेंकना नहीं है।
4. सामान एक ही साथ एक ही ऊंचाई से गिराई गयी हों।
निष्कर्ष से पहले हमारी सोच
इस प्रयोग का निष्कर्ष निकलने को यदि कहा जाए तो हम maximum लोगों का जवाब होगा
जो सामान जितना भारी होगा वह उतनी ही तेज़ी से नीचे को गिरेगा।
हल्का सामान थोड़ा धीरे और बाद में नीचे गिरेगा।
इस प्रयोग का निष्कर्ष
1. किसी भी चीज़ का, चाहे वह सजीव हो या निर्जीव, ऊपर से नीचे गिरना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह कितना भारी है।
2. ऊपर से नीचे गिरने की रफ़्तार एक सामान होगी।
3. ऊपर से एक साथ नीचे गिराई गयी विभिन्न वस्तुएं जमीन से एक ही साथ टकराईगी और एक ही आवाज निकलेगी। मतलब टकराने की एक आवाज होगी आगे पीछे नहीं।
Note:- प्रतिरोध रेट ऑफ फॉलिंग को प्रभावित कर सकता है।
इस प्रयोग से यही साबित होता है कि ईश्वरीय या प्राकृतिक शक्तियां सबके लिए एक सी होती हैं। सबके ऊपर एक सा लागु होता है। नेचर अपना नेचर कभी नहीं बदलती। नेचर के अनुसार हमें ढलना पड़ता है।
मान लीजिए आप बहती नदी में तैर रहे हैं। आपको तैरना नहीं आता तो आप अवश्य डूबेंगे। पानी आपकी दुश्मन नहीं है । वह जानबूझकर हमें नहीं डूबाती। पानी में तैरने और डूबने का एक नियम होता है । उसे नियम को आपको जानना पड़ेगा। जब आपको वह नियम पता हो, तो आप कभी डूब ही नहीं सकते। यह नियम सिर्फ हम पर लागू नहीं होती । यह सभी जीव जंतुओं पर लागू होती है।
इसी तरह जब कभी भी हम अपने जीवन में दुखों के जंजाल में फसते है। चुकी दुःख, हमारे जीवन का हिस्सा होता है। हम सभी अपने जीवन के अलग - अलग स्तर पर दुखों का सामना करते हैं। लेकिन दुखों के जंजाल से निकलने की प्रक्रिया सबकी अलग - अलग होती है। कोई जंजाल मे फँस जाता हैं तो कोई दुखों मे तैर कर और भी मज़बूत हो जाता है।
प्रकृति का जो सार्वभौमिक नियम है वह सबके ऊपर बराबर लागू होता है। उनके लिए ना कोई प्रिय है और ना अप्रिय। तेज आंधी कभी भी किसी के साथ कोई भेद नहीं करती। रास्ते में आने वाले सभी वस्तुओं को वह एक समान धकेलती है। क्या जीव, क्या निर्जीव, क्या पेड़ ,क्या पौधे और क्या घर।
लेकिन जब हमें आंधी के हवा को काटने का नियम पता हो, तो आंधी कितनी भी तेज क्यों ना हो, उस आंधी का हमारे पर कोई असर नहीं पड़ता। प्रकृति मे survive करने के लिए प्राकृतिक नियम को समझना ज़रूरी है।
ईश्वर ने हमारी रचना की। ईश्वर के कृत्य की यूनीफामिटी देखिए। चाहे वह मनुष्य किसी भी देश या किसी भी भूभाग का हो। आंतरिक संरचना और उनकी क्रियाविधि एक सी है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और चिकित्सीय परीक्षण एक सी हैं। हमने अलग अलग लोग बांटें। देश बांटें, ईश्वर बांटें, उपासना पद्धति बांटे, धर्म बांटें। ईश्वर ने हमें कभी नहीं बाँटा।
हम अक्सर कहते हैं कि इस पद्धति से ईश्वर की उपासना करो, ईश्वर जल्दी मिलेंगे और आपकी मनोकामनायें सिद्द होंगे। ईश्वर का हमारी स्तुति का सुनना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आप कहाँ से (विशेष स्थान) कैसे (उपासना पद्धति) कर रहें हैं। अक्सर हम जिस विधि का उपयोग करके चीजो की कामना करते है वह कभी मिल ही नहीं सकती। ईश्वर स्तुति से भौतिक चीजो को प्राप्त करने के लिए आन्तरिक ऊर्जा मिलती है। अगर हम किसी चीज की कामना करते है तो उस चीज को प्राप्त करने की जो क्रिया विधि है, जो प्रोसेस है उसे जानना होगा।
आप स्टूडेंट हैं, और अच्छे अंक की कामना करते है तो आप को सम्पुर्ण पाठ्यक्रम को ठीक से जानना होगा।
आप अच्छा स्वास्थ्य चाहते हैं तो अच्छी आहार और अच्छी आदतों को जानना होगा।
ईश्वर के स्तुति करके हम चमत्कार की उम्मीद कर बैठते हैं जो कि कभी सिद्ध नहीं होगा। ईश्वर भी तभी आपके लिए कुछ करेगा जब आप कुछ करेंगे।
ईश्वर से जुड़ने का मतलब हमारे अंदर की आंतरिक शक्ति को जागृत करना है। हमारी आंतरिक मन ही उर्जा का कभी समाप्त ना होने वाला असीम श्रोत है। लेकिन हम ज्यादातर मनुष्य इसे कभी जान ही नहीं पाते। शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होने के बावजूद अगर आप मानसिक रूप से कमजोर हैं तो कोई भी काम सिद्ध नहीं होगा। शारीरिक शक्तियां तभी काम करती है जब वह आंतरिक ऊर्जा स्रोत से जुड़ी हुई हो।
धन्यवाद।
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