क्या सच में फास्टिंग का मतलब सिर्फ़ सुबह का सैंपल है?

फास्टिंग सैंपल को लेकर लोग कई ग़लतफ़हमियाँ रखते हैं। कई लोग सोचते हैं कि फास्टिंग का मतलब पानी भी न पीना, जबकि सादा पानी पीया जा सकता है। रात का खाना छोड़ना ज़रूरी नहीं, बस 8–12 घंटे का गैप रखना होता है। ज़्यादा देर उपवास करने से रिपोर्ट अच्छी नहीं बल्कि ग़लत हो सकती है। हर टेस्ट में फास्टिंग ज़रूरी नहीं, जैसे CBC, LFT, KFT, थायरॉइड आदि बिना फास्टिंग भी हो सकते हैं, जबकि ब्लड शुगर और लिपिड प्रोफ़ाइल में ज़रूरी है। लोग मानते हैं कि चाय/कॉफ़ी से फर्क नहीं पड़ता, लेकिन यह भी रिपोर्ट असर डाल सकती है। दवा भी बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए क्योंकि कई दवाएँ रिपोर्ट बदल देती हैं। टेस्ट के बाद तुरंत भारी खाना खाने से भी परेशानी हो सकती है, इसलिए हल्का संतुलित नाश्ता लेना सही है। और अक्सर यह भी समझा जाता है कि फास्टिंग सैंपल का मतलब सिर्फ़ सुबह का सैंपल होता है, जबकि सच्चाई यह है कि दिन के किसी भी समय 8–12 घंटे का उपवास पूरा करने के बाद सैंपल लिया जाए तो वह फास्टिंग सैंपल कहलाता है।

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