कुछ चीजें ऐसी है जिसके ऊपर कभी हमारा ध्यान गया ही नहीं।
भागदौड़ भरे इस जीवन में हमारे पास समय का बड़ा अभाव रहता है। हम अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। काम के सिलसिले में हम अक्सर बच्चों से दूर रहते हैं । हम अपने बच्चों को जरूरत की सारी चीजें देते हैं। हम उनका लालन पालन राजकुमार या राजकुमारी की तरह करते हैं। लेकिन बच्चों को सीखाई जाने वाली कुछ जरूरी चीजें ऐसी भी होती हैं , जिसका जिक्र न तो पाठ्यक्रमों में होता है और न ही हमारे या शिक्षकों के ध्यान में ही होता है। बहुत बार हमारे ध्यान में होने के बावजूद हम संकोच या झिझक महसूस करते है।
चलिए आज हम समझते हैं गुड और बैड टच क्या है के बारे में। यह लेख एस्पेशियली अभिभावकों, माता पिता,परिवार जनों और शिक्षकों के लिए है। क्योंकि बच्चों को क्या गलत है और क्या सही है के बारे में बताने की जिम्मेवारी इन्हीं लोगों की होती है। यही बच्चों के प्रथम शिक्षक होते हैं।
चलिए आज हम समझते हैं गुड और बैड टच क्या है के बारे में। यह लेख एस्पेशियली अभिभावकों, माता पिता,परिवार जनों और शिक्षकों के लिए है। क्योंकि बच्चों को क्या गलत है और क्या सही है के बारे में बताने की जिम्मेवारी इन्हीं लोगों की होती है। यही बच्चों के प्रथम शिक्षक होते हैं।
BAD TOUCH और GOOD TOUCH क्या है
Bad Touch(गलत स्पर्श):- बैड टच का मतलब ऐसे गलत स्पर्श से है जो ममता से रहित हो और जो बच्चों को असहज महसूस कराए। जिस स्पर्श से बच्चों में सेंस आफ सिक्योरिटी की भावना का लोप हो। बेचैनी और घबराहट हो। इस तरह के स्पर्श को Bad Touch कहा जाता है।
Bad Touch(गलत स्पर्श):- बैड टच का मतलब ऐसे गलत स्पर्श से है जो ममता से रहित हो और जो बच्चों को असहज महसूस कराए। जिस स्पर्श से बच्चों में सेंस आफ सिक्योरिटी की भावना का लोप हो। बेचैनी और घबराहट हो। इस तरह के स्पर्श को Bad Touch कहा जाता है।
Good Touch (अच्छे स्पर्श):- Good Touch ,bad touch के जस्ट उलट है। इसमें सहजता की अनुभूति होती है। मन में सेंस आफ सिक्योरिटी की भावना उत्पन्न होती है। अच्छेे स्पर्श के द्वारा हम अपने बच्चोंं के ऊपर अपने प्यार को व्यक्त करते हैं। दुलारना पुचकारना और शरीर के ऊपर हाथ फेरना जो उन्हें सुरक्षा की अनुभूति दिलाती है अच्छे स्पर्श होते हैं। माता-पिता और परिजनोंं का प्यार इसी श्रेणी मेंं आता है।
अब बात आती है हम अपने बच्चों को गुड टच और बैड टच की फर्क कैसे दिलाएं।
यह हमारे लिए बहुत बड़े जिम्मेवारी का काम है। क्योंकि बच्चे बिल्कुल अबोध होते हैं। उन्हें कुछ भी पता नहीं होता है। सबसे पहले हमें अपने बच्चों को उनके शरीर के प्रत्येक अंग बारे में बताना होगा। उन्हें यह एहसास दिलाना होगा कि यह शरीर तुम्हारा है। शरीर के प्रत्येक अंग में तुम्हारा अधिकार है। तुम्हारे अनुमति के बगैर इसे कोई छू नहीं सकता। तुम्हारे और माता-पिता के अलावा तुम्हारे शरीर को छूने का अधिकार किसी में नहीं है।
बच्चों को उनके शरीर के प्राइवेट पार्ट्स की जानकारी अवश्य दें। विशेषकर इन प्राइवेट पार्ट को किसी को भी छूने का अधिकार नहीं है। प्राइवेट पार्ट कहे जाने वाले कुछ अंग इस तरह से हैं। जैसे कि गाल, होठ, गर्दन, छाती, गुप्तांग और बुट्टॉक आदि। जब तक बच्चों को इसके बारे में जानकारी होती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं। तो हम सब की यह मोरल रेस्पोसीबिलिटी होती है कि समय रहते ही हम इसकी जानकारी देकर उन्हें सचेत करना ।बच्चों को स्पर्श की भिन्नता को समझाएं। ताकि कुछ गलत ना हो। कुछ उपयोगी जानकारी इस तरह से हैं।
बच्चों को उनके शरीर के प्राइवेट पार्ट्स की जानकारी अवश्य दें। विशेषकर इन प्राइवेट पार्ट को किसी को भी छूने का अधिकार नहीं है। प्राइवेट पार्ट कहे जाने वाले कुछ अंग इस तरह से हैं। जैसे कि गाल, होठ, गर्दन, छाती, गुप्तांग और बुट्टॉक आदि। जब तक बच्चों को इसके बारे में जानकारी होती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं। तो हम सब की यह मोरल रेस्पोसीबिलिटी होती है कि समय रहते ही हम इसकी जानकारी देकर उन्हें सचेत करना ।बच्चों को स्पर्श की भिन्नता को समझाएं। ताकि कुछ गलत ना हो। कुछ उपयोगी जानकारी इस तरह से हैं।
जब कोई प्राइवेट पार्ट्स को स्पर्श करता है तो क्या करें।
जब कोई प्राइवेट पार्ट्स जैसे कि गाल, होठ,गर्दन ,छाती ,गुप्तांग या बुट्टॉक को टच करता है तो जोर जोर से चिल्लाना है। चिल्लते हुए बोलना है नो(No).....No . नहीं मतलब बिल्कुल ही नहीं। आप इस तरह से नहीं छू सकते। इस स्थिति में बच्चों को बताए की घबराना बिल्कुल भी नहीं ,हिम्मत से काम लेना चाहिए। इस तरह की अगर घटना होती है तो समझाएं की छिपाना नहीं है। इसकी जानकारी अपने माता पिता या परिजनों को अवश्य दें।
- अगर कोई ग़लत तरीके से गाल या होठ को छूता या चूमता है तो जोर से चिल्लाकर मना करना है और बोलना है. नो मतलब नो बिल्कुल नहीं।
- अगर कोई छाती में हाथ लगाता है तो जोर से मना करते हुए बोलना है नो मतलब नो बिल्कुल नहीं।
- अगर कोई गुप्तांग या बुट्टॉक को टच करता है तो चिल्लाकर बोलना है नो मतलब नो बिल्कुल भी नहीं।
बच्चों के ऊपर इस तरह की जाने अंजाने में होने वाली यौन शोषण का विरोध करना सीखना उनके भविष्य के लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि बच्चों को कुछ भी पता नहीं चलता। बच्चों में इस तरह की घटना को लेकर सेंस ही डिवेलप नहीं हुआ होता है। उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके साथ क्या हो रहा है या क्या हुआ है।
कुछ और भी जरूरी बातें हैं जिन्हें हमारे बच्चों को सिखाने की जरूरत है।
- बच्चों को यह सिखाना है कि यदि कोई अनजान व्यक्ति उन्हें कुछ खाने को देता है तो मना करना है।
- अनजान व्यक्तियों से ज्यादा घुलना मिलना नहीं है।
- बच्चों को गलत चीजों के प्रति विरोध करना सिखाना है।
- यदि कोई बच्चों को गलत टच करता है और उन्हें डरा कर या खाने पीने की चीज देकर उन्हें यह बोलता है कि इसके बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताना है। बच्चों को अवश्य बताएं कि इन सब चीजों को छिपाना नहीं बल्कि अपने मम्मी पापा या अभिभावकों को बताना जरूरी है।
- बच्चों में अनजान लोगों को परखने की समझ विकसित करें।
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धन्यवाद।
टिप्पणियाँ
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