आओ सहयोग का महत्व को जानें
कहा जाता है कि यदि बहुत से पंखों को सही दिशा में उड़ान मिले तो वह किसी एक पक्षी की तुलना में दोगुनी दूरी तय कर सकते हैं । संगठित लोगों के द्वारा एकीकृत कार्य से बड़े कार्य की सिद्धि होती है।
सहयोग एक ऐसा हथियार है जिसके माध्यम से हम बड़े से बड़े काम को बड़ी ही आसानी से मंजिल तक पहुंचा सकते हैं। जिस काम को करने में एक अकेले आदमी को महीनों , सालों लग जाता है। उसी काम को पारस्परिक सहयोग के माध्यम से आसानी से कर सकते हैं। सहयोग को अमलीजामा पहनाने के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों, समूह ,संगठन की जरूरत पड़ती है।
यदि गौर से देखा जाए तो सहयोग कोई दया नहीं है। यह तो सामाजिक अपलिफ्टमेंट का सशक्त माध्यम है। हम किसी का सहयोग करके उस व्यक्ति को हमेशा के लिए अपना सहयोगी बना लेते हैं। यदि ज्यादा से ज्यादा लोगों का सहयोग करना हमसे नहीं बन पाता है तो कम से कम एक आदमी का तो सहयोग कर ही सकते हैं। जब सहयोग करने के महत्व की समझ लोगों में होती है तो कभी न समाप्त होने वाली सहयोग की एक श्रृंखला का निर्माण होता जाता है।
सहयोग का भी अनेकों रूप हैं।सहयोग के लिए बहुत ज्यादा धन की भी आवश्यकता नहीं होती।
जो लोग दूसरे व्यक्तियों को सहयोग देते हैं , वह कालांतर में सहयोग पाते भी हैं।सहयोग देने के अनुसार हम अपने मन की ऊर्जा का प्रयोग करते हुए सद्भाव के स्पंदन तथा कार्य के लिए विशुद्ध भावनाएं उत्पन्न करते हैं।
मनुष्य की उपलब्धि ऐसी होती है मानो किसी खड़ी चट्टानों, चट्टानों के नुकीले हिस्सों, ढलानों व घाटियों से होते हुए पर्वत शिखर तक जाना हो। शिखर तक जाने के लिए पर्वतारोही के पास आंतरिक साहस व संकल्प शक्ति के साथ-साथ आवश्यक कौशल तथा ज्ञान भी होना चाहिए। कोई भी आरोहण के लिए सहयोग की सुरक्षा रस्सी के बिना पूरा नहीं हो सकता। पर्वतारोही का प्रत्येक कदम उस को आगे बढ़ने के योग्य बनाता है। चाहे वह कदम कितना भी छोटा क्यों ना हो। प्रत्येक कदम का सामूहिक परिणाम ही सफलता के शिखर तक पहुंचने में योगदान प्रदान करता है ।
सहयोग का अर्थ यही है कि हम आपस में मिलकर एक सामूहिक लक्ष्य के लिए काम करें। इसके लिए हमें अपने स्वार्थों से परे जाना होगा। सहयोग या सहकारिता प्रत्येक का उत्तरदायित्व है। हालांकि इसे देने के लिए साहस व आंतरिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है। कई बार जब हम यह उत्तरदायित्व लेते हैं तो हम अपमान व निंदा का शिकार हो जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में हमें अपने बचाव के लिए एक आंतरिक बचाओ तंत्र विकसित करना होगा। यदि स्नेही व निष्पक्ष रहते हुए बाहरी परिस्थितियों के बजाय अपने आंतरिक सार मूल्यों से प्रभावित रहेंगे तो विवेक के रूप में गुप्त सहयोग सामने आएगा।
सहयोग के लिए हमें प्रत्येक व्यक्ति द्वारा निभाई जा रही अनूठी भूमिका की प्रशंसा करनी होगी । और उसके प्रति एक गंभीर व सकारात्मक रवैया विकसित करना होगा।
हम समय के साथ सहयोग करते हुए तथा जीवन व घटनाओं के प्राकृतिक व्यवस्थाओं को स्वीकार करने के साथ सहनशीलता विकसित करते हैं।
समय मूल्यवान है क्योंकि यह सदा हमें बेहतर व अनिवार्य परिणाम पाने के लिए असाधारण अवसर प्रदान करता है । जब हमें समय की कद्र होने लगती है तो वह भी हमें अपना सहयोग प्रदान करता है।
हम सभी आपस में सहयोग देते हुए वास्तव में अपने समाज में एक बेहतर बदलाव ला सकते हैं । जिसके लिए हमें तन मन धन से सेवा करनी होगी। अगर हम सभी एक छोटी उंगली के बराबर भी बल लगा दें तो मिलकर पूरा पर्वत उठा सकते हैं।
धन्यवाद
जय धर्मेश जय सरना ।
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