सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

लक्ष्य प्राप्ति के प्रोसेस को याद रखें लक्ष्य को नहीं

यह सुनने में बड़ा अटपटा लगता है कि कोई लक्ष्य तय कर के ,लक्ष्य को ही भूल जाएं।यह बातें इसीलिए कहीं गई है क्योंकि जब कभी भी हम अपना लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं। उसके बाद में हम काम ना भी करें तो क्या फर्क पड़ने वाला है। हमें तो अचीवमेंट मिल चुका ना।
इसे हम ऐसे समझते हैं। हम एक चुस्त-दुरुस्त तंदुरुस्त बॉडी पाने का लक्ष्य तय करते हैं। उस लक्ष्य के अनुरूप काम करना भी शुरू कर देते हैं।महीनों या सालों की मेहनत के बाद वह मनोवांछित परिणाम हमें मिल भी जाती है। इच्छित परिणाम की प्राप्ति के उपरांत हम थोड़े ढीले पड़ जाते हैं । उस प्रोसेस या तरीके को भूल जाते हैं जिसका अनुसरण करते हुए इच्छित फल की प्राप्ति करते हैं। इसीलिए यहां पर इस बात पर जोर देकर कहीं गई है कि,लक्ष्य को भूल कर उस प्रोसेस पर ध्यान दें जिसकी वजह से हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन  आ रही है ।

 लक्ष्य से वह परिणाम है जिसे कि हम सभी पाना चाहते हैं। और व्यवस्था वह प्रक्रिया  या तरीका है जिसकी वजह से हम सफलता की ओर ले अग्रसर होते हैं।
  
इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। रेस में भागने वाले सभी खिलाड़ी का एक ही लक्ष्य होता है जीतना। 
लेकिन जीतता तो वही है जिसने लगातार इसकी अभ्यास की हो,और जिसका दौड़ने का तरीका सही हो।

 हमें अक्सर लगता है कि नतीजा सही हो। जब की समस्या नतीजे नहीं है। समस्या वह कार्यप्रणाली है जो हमें इस तरह के नतीजे तक लाए हैं।बेहतरी के लिए सुधार करना है तो उस व्यवस्था के स्तर तक आप को सुधार करना होगा।
 इनपुट में सुधार करना होगा, परिणाम खुद ब खुद सुधर जाएगा। यह व्यवहार की ही ताकत है कि एक समय में एक कदम परिवर्तन लाते हैं। और यह परिवर्तन हमारे जीवन का हिस्सा बन जाए। आपका व्यवहार ही एक दिन आपका पहचान बन जाता है।

हम अपने बारे में जिस तरह से सालों तक सोचते रहते हैं । हम उसी तरह से बनते भी जाते हैं।
जैसे कि हम अक्सर बोलते है । अरे भाई हमें तो यह याद नहीं रहता । मैं तो हमेशा लेट हो जाता हूं । हमसे यह तो बिल्कुल नहीं होगा ।यह काम तो बहुत कठिन है।
 यह सब कुछ अपने आप को मानसिक सांचे में ढालने जैसा है। यह वह कहानी है जिसको कि आप वर्षों से रची है ।और हालात अब यह है कि अब इसी को सच मान बैठे हैं।इसी के चलते एक समय बाद हम इन सब कामों को करने के बारे में सोच भी नहीं सकते। हमें यह चीज माननी पड़ेगी कि हमारे आदतों से ही हमारी पहचान होती है। हम पहले से ही तय धारणाओं के साथ पैदा तो नहीं होते हैं। आज हम जो कुछ भी मानते हैं, वे हालात और अनुभव के आधार पर हमने सीखा है।

जितनी ज्यादा हम अपना व्यवहार दोहराएंगे उतनी ही तेजी से उस पहचान से आप जुड़ते जाएंगे। हम कौन हैं ? इसे बदलने का सबसे सही और आसान तरीका है कि हम जो कुछ भी करते हैं ।उसे हम बदलने का कोशिश करें। बहुत ही छोटे इकाई से शुरू करें।

रोज एक पेज लिखने से हम लेखक बन जाते हैं। रोज तेज दौड़ने से  एथलीट बन जाते हैं । रोज गाने से एक अच्छा गायक बन जाते हैं।  रोज  चित्रकारी करने से पेंटर। हमें सीखना होगा कि प्रत्येक दिन एक प्रतिशत अच्छा करके एक साल में हम कितना प्रतिशत सीख जाएंगे। 
अपनी बुरी आदतों को छोड़े और अच्छे लोगों से जुड़े रहे।आदतों को बदलते समय जो ज्यादातर गलतियां होती हैं , उससे बचने का प्रयास करें। प्रेरणा और इच्छाशक्ति की कमी को दूर करें। एक मजबूत पहचान विकसित करें ।खुद पर विश्वास करें। नई आदतों के लिए समय निकालें। 
सफलता को आसान बनाने के लिए अपने परिवेश को डिजाइन करें। बड़े परिणाम देने वाले छोटे और आसान बदलाव करें।इन सब को करते हुए रास्ते से थोड़ा सा इधर उधर भी हो जाए तो पुनः अपने पटरी पर वापस चले आए। इससे भी ज्यादा इंपॉर्टेंट चीज है जो चीज भी आप सीख रहे हैं उसको अपने रोजमर्रा के जीवन में अपनाएं।

धन्यवाद

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ट्रस्ट का bylaws कैसे बनायें

न्यास –विलेख (TRUST DEED ) यह ट्रस्ट प्रलेख आज दिनांक .................................... को निम्न प्रकार से निष्पादित   किया गया   :- (1)श्री ...............................................    उम्र ...........................सुपुत्र श्री   ............................................जाति ............................ पेशा .....................ग्राम .................पोस्ट ....................थाना .......................जिला .................... राज्य .................   भारतीय नागरिक I आधार नं. ............... पैन नं.............. मो . नं...................   ,(2) श्री ...............................................    उम्र ...........................सुपुत्र श्री   ............................................जाति ............................ पेशा .....................ग्राम .................पोस्ट ....................थाना .......................जिला .................... राज्य .................   भारतीय नागरिक I आधार नं. ............... पैन नं.............. मो . नं..................

आदिवासियों से दुनियां क्या सीख सकती है।

     अगर दुनिया को बचाना है तो हमें आदिवासियों की तरह प्रकृति प्रेमी होना पड़ेगा। हमें प्रकृति के साथ सह अस्तित्व की जीवन शैली अपनानी होगी। आदिवासियों का प्रकृति प्रेम जीवन के प्रारंभ से लेकर जीवनपर्यंत तक रहता है। सच मायने में अगर देखा जाए तो एक सच्चा आदिवासी एक प्रकृति विज्ञानी से कम नहीं होता। उन्हें अपने वातावरण के सम्पूर्ण पेड़ पौधों की उपयोगिता और उनकी महत्व के बारे में जानकारी जन्म से ही होती है। क्योंकि उनके पूर्वजों के द्वारा ये जानकारी उन्हें स्वता ही मिल जाती है।  पेड़-पौधे का कौन सा भाग खाया जाता है ? कौन सा भाग औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है कब खाया जाता है कैसे खाया जाता है उन्हें सब कुछ पता होता है। ऐसे ऐसे चीजों के बारे में उन्हें पता होता है जिनके बारे में लगभग पूरे दुनिया के लोगों को पता नहीं होता है। आदिवासी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट के समान है।अपने आप में ही वे ऑटोनॉमस बॉडी है। हमें बहुत नजदीक से प्रकृति से उनके जुड़ाव को सीखने की जरूरत है।मौसमों के बदलाव का असर उनके शरीर पर बहुत कम होता है।इसको पूरा दुनिया मानती है।आदिवासी हार्ड इम्युनिटी वाले होते है। उन्हें

क्यों जरूरी है ख़ुद से प्यार करना ?

अ पने आप से प्यार करने का मतलब है खुद को सम्मान देना, खुद को स्वीकार करना, और अपनी भलाई का ख्याल रखना। यह एक ऐसी भावना है जो हमें आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास से भर देती है। इसका मतलब है कि हम अपने अच्छाइयों और बुराइयों को बिना किसी शर्त के स्वीकारते हैं और अपने आप को बेहतर बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहते हैं।  अपने आप से प्यार करना यह भी दर्शाता है कि हम अपनी जरूरतों और इच्छाओं को समझते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए समय निकालते हैं। हम अपनी भावनाओं और विचारों को महत्व देते हैं और खुद के प्रति दयालुता की भावना रखते हैं। Self love की भावना हमारे छोटे-छोटे कार्यों से भी झलकता है, जैसे कि समय पर आराम करना, अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना, और खुद के लिए समय निकालना आदि। सेल्फ लव का मतलब स्वार्थी होना कतई नहीं है। अपने लिए क्या अच्छा है और बुरा , की जानकारी हम सभी को होनी चाहिए।  यह समझना कि हम पूर्ण नहीं हैं, लेकिन फिर भी हम अपने आप को संपूर्णता में स्वीकार करते हैं, अपने आप से प्यार करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें आंतरिक शांति और संतोष प्रदान करत