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बच्चों में आत्मविश्वास कैसे विकसित करें ?
बच्चों में आत्मविश्वास (self-confidence) विकसित करना एक महत्वपूर्ण और सतत प्रक्रिया है।यह एक दिन का काम नहीं है। यहाँ हम उन कुछ प्रभावी तरीकों को जानने का प्रयास करेंगे जो बच्चों को self- confident बनाने की दिशा में हमें मदद कर सकता है।
प्रोत्साहन और सराहना (Encouragement and Appreciation)
बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए सबसे पहले उनकी छोटी छोटी उपलब्धियों की सराहना करना बहुत ही जरूरी है। भले ही वह उपलब्धियां उम्मीद के मुताबिक संतोषजनक न हो।
सही दिशा में उनके छोटे-छोटे प्रयासों के लिए भी तारीफ और प्रयासों को मान्यता मिलनी चाहिए। उनकी हर छोटी-मोटी उपलब्धियां के लिए पुरस्कृत करना चाहिए। भले ही उसका पुरस्कार एक टॉफी ही क्यों ना हो । इससे उन्हें आत्मविश्वास मिलता है और वे और बेहतर करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसके अलावा, बच्चों को समय-समय पर छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करके उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करें।
बच्चों को उनके रुचि के क्षेत्रों में सक्रिय रूप से शामिल होने के पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए। इससे उन्हें अपनी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने का अवसर मिलता है। इससे उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
उनकी भावनाओं और विचारों को समझने और सुनने के लिए भी हमें समय निकालना चाहिए। हमें बच्चों को प्रेरणादाई कहानी सुननी चाहिए ताकि बच्चे उनके जैसा बनने के लिए प्रेरित हों।
अंत में, बच्चों को प्रेरित करने के लिए उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी ध्यान में रखना चाहिए। एक स्वस्थ और खुशहाल बच्चे को नई चुनौतियों का सामना करने और उन्हें सफलतापूर्वक पूरा करने में अधिक आनंद और उत्साह मिलता है।
रोल मॉडल बनें
बच्चों में देखकर सीखने और नकल करने की प्रवृत्ति होती है। हर वह चीज करना चाहते हैं जो वे अपने आस पास देखते हैं। बच्चों पर अभिभावकों का, परिवार जनों का, और शिक्षकों के व्यक्तित्व का गहरा असर पड़ता है। बच्चों में आत्मविश्वास की भावना विकसित करने के लिए सबसे पहले स्वयं को आत्मविश्वासी बनना पड़ेगा। बच्चों के सामने सकारात्मक आत्मविश्वास का उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। अधिकांश मामलों में जो गुण आप में होगा वही गुण बच्चों में विकसित होता है। स्वयं आत्मविश्वासी बने और दिखाएं की आत्मविश्वास कैसे प्रकट होता है।
समस्याओं का सामना करने दें
अपने सुपर विजन में बच्चों को समस्याओं का सामना करने देने से उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास विकसित होता है। बच्चों को उनकी समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। उनकी बातें ध्यान से सुनें और उन्हें यह महसूस कराएं कि उनकी चिंताओं को समझा जा रहा है। इसके बाद, उन्हें विभिन्न समाधान प्रस्तुत करने और उनके संभावित परिणामों पर विचार करने के लिए प्रेरित करें। इस प्रक्रिया में उनका मार्गदर्शन करें ।
गलतियों से सीखना विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब बच्चे गलतियां करते हैं, तो उन्हें आलोचना करने के बजाय, उन्हें सिखाएं कि वे इन गलतियों से क्या सीख सकते हैं और अगली बार कैसे बेहतर कर सकते हैं।
जब बच्चे अपनी समस्याओं को खुद सुलझाने का प्रयास करते हैं, तो वे महत्वपूर्ण जीवन कौशल सीखते हैं जैसे समस्या-समाधान, निर्णय लेने की क्षमता, और तनाव प्रबंधन। यह अनुभव उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है।
स्वतंत्रता और जिम्मेवारी
बच्चों को उनकी आयु , योग्यता और रुचि के अनुसार छोटी-छोटी कार्य करने की जिम्मेवारी दें, ताकि वे काम को अपने तरीके से पूरा कर सके। जब बच्चों को जिम्मेवारी दी जाती है, तो वे समस्याओं का समाधान करना सीखते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है कि वे चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।स्वतंत्रता से बच्चे स्वयं ही छोटे-छोटे निर्णय लेने लगते हैं, जिससे उनकी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और आत्मविश्वास विकसित होता है। स्वतंत्रता मिलने से बच्चों को अपनी क्षमताओं पर भरोसा होता है, जिससे वे अपने प्रयासों में अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं।
स्वतंत्रता और जिम्मेवारी बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
नेगेटिविटी से दूर रखें।
लोगों के सामने बच्चों को नकारात्मक टिप्पणी न करें और ना ही उनकी आलोचना करें। नकारात्मकता से बच्चों में आत्म संदेह की भावना पैदा होती है जो उन्हें कमजोर बनाती है ।दूसरे बच्चों से उनकी तुलना तो बिल्कुल ही ना करें। हर बच्चा अपने आप में अनूठा होता है इसीलिए उनकी तुलना किसी और से हो ही नहीं सकता।
हर बच्चे की अपनी अलग व्यक्तित्व, क्षमताएं, और दृष्टिकोण होते हैं जो उन्हें अन्यों से अलग करती हैं। इसलिए, हमें हर बच्चे को उनके विशेषता को समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता है। इससे बच्चों का आत्मविश्वास बूस्ट होता है
निष्कर्ष
बच्चों में आत्मविश्वास विकसित करना एक दिन का काम नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें माता-पिता, परिवारजनों और शिक्षकों का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रोत्साहन, एक अच्छा माहौल, स्वतंत्रता, उचित मार्गदर्शन और जिम्मेवारी देने से बच्चों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। आत्मविश्वासी बच्चे न केवल व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
20 मई 2024
wealth management
15 मई 2024
जानकारी से होगी समाज में निवेश की चेतना विकसित
निवेश के प्रकार
अध्ययन करें: शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले हमें बाजार की समझ और बाजार के नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि बाजार कैसे काम करता है। सबसे अच्छा तब होगा जब हम खुद इसके बारे में अध्ययन करें। बहुत सारे ऐसे वीडियो और वेबसाइटस हैं जो हमें शेयर मार्केट के बारे में बहुत अच्छे से जानकारी देते हैं।
निवेश की राशि का निर्धारण करें: शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि हमारे निवेश करने की क्षमता कितनी है। आपके निवेश की अवधि क्या होगी ।
ब्रोकर का चयन करें: हमें यह पता होना चाहिए कि हम डायरेक्ट शेयर मार्केट में इन्वेस्ट नहीं कर सकते, इसके लिए हमें एक अच्छे और विश्वसनीय ब्रोकर चुनने की जरूरत पड़ेगी। मार्केट में बहुत सारे ब्रोकर अपनी सेवाएं देते हैं। ब्रोकर की सेवाओं, शुल्कों, और सुविधाओं की तुलना करें और फिर अपने आवश्यकताओं के अनुसार एक चयन करें।
शेयर का चयन करें: निवेश के लिए शेयर का चयन करते समय,हमें विभिन्न उद्योगों, कंपनियों, और उनकी वित्तीय स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए। हमें उन कंपनियों का चयन करना चाहिए जिनके वित्तीय परिणाम अच्छे हैं और जो हमारे निवेश के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम प्रतीत होते हों।
निवेश आदेश दें: चयनित शेयर को खरीदने के लिए अच्छे समय का इंतज़ार करना चाहिए। सही समय आने पर अपने ब्रोकर को निवेश आदेश दें। निवेश करने से पहले, शेयर मूल्यों का अध्ययन करना बेहद ज़रूरी है।
निवेश को ट्रैक करें: एक बार जब आपने निवेश किया है, तो आपको निवेश को निरंतर ट्रैक करना चाहिए। शेयर मूल्यों का अध्ययन करें, विभिन्न आर्थिक गतिविधियों का ध्यान दें, और अपने निवेश के उद्देश्यों को पुनः समीक्षा करें।
बैंक जमा(Bank Deposits):
सुरक्षा: बैंक डिपॉजिट सुरक्षित निवेश होता है क्योंकि बैंक संबंधित नियमों के अनुसार निगरानी के तहत काम करते हैं और आमतौर पर सरकार द्वारा सुरक्षित होते हैं।
लिक्विडिटी: बैंक डिपॉजिट को आसानी से निकासी की अनुमति होती है, जिससे इसे लिक्विड निवेश के रूप में भी जाना जाता है।
नियमित आय: बैंक डिपॉजिट पर ब्याज के रूप में नियमित आय प्राप्त होती है, जो निवेशक को निश्चित रूप से उत्पन्न होती है।
न्यूनतम निवेश की आवश्यकता: बैंक डिपॉजिट के लिए आमतौर पर न्यूनतम निवेश की आवश्यकता होती है, जिससे व्यक्ति छोटे राशि में भी निवेश कर सकता है।
आवासीय निवेश(Real Estate):
संचित धनराशि: आवासीय निवेश में प्रॉपर्टी की मूल्य में वृद्धि के साथ-साथ संचित धनराशि के रूप में भी लाभ मिलता है।
नियमित आय:यदि प्रॉपर्टी को किराए पर दिया जाता है, तो आवासीय निवेश से नियमित आय प्राप्त होती है।
अतिरिक्त आय: प्रॉपर्टी के मूल्य में वृद्धि के साथ-साथ, यदि आप इसे बाद में बेचते हैं, तो आपको अतिरिक्त आय भी मिल सकती है।
वित्तीय सुरक्षा आवासीय: निवेश एक वित्तीय सुरक्षित निवेश हो सकता है, जिसमें निवेशक के पास एक निश्चित संपत्ति होती है।
निवेश निधि(Mutual Fund):
पेंशन योजना(Pension Plan) :
कमोडिटी मार्केट मे निवेश :-
कमोडिटी वे उत्पाद होते हैं जो व्यापारिक रूप से बाजार में व्यापार किए जाते हैं, जैसे कि कृषि उत्पाद (अनाज, चीनी, तेल), धातु (सोना, चांदी), ऊर्जा (पेट्रोलियम, बिजली), और अन्य कच्चे माल (कच्चा तेल, गैस,लकड़ी)। ये सभी माल प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त किए जाते हैं और बाजार में व्यापार होते हैं। व्यापारिक कमोडिटी बाजार उन्हें खरीदने और बेचने का मंच प्रदान करता है।
क्रिप्टोकरंसी निवेश:-
कारपोरेट बॉन्ड्स(Corporate Bonds):
12 मई 2024
कल को हम आज कैसे नष्ट कर रहें हैं।
कल को नष्ट करने के बजाय, आज को सही से जीने का समय है। आप अपने आज को बेहतर बनाएं और अपने लक्ष्यों की ओर प्रगति करें।
इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं ,
एक उदाहरण है कि मान लीजिए आप आज से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए आप सुबह व्यायाम कर सकते हैं, स्वस्थ भोजन खा सकते हैं और अपने मन को शांत और प्रसन्न रखने के लिए ध्यान कर सकते हैं। इससे आपका आज बेहतर और संतुलित होगा, और आने वाले कल को भी प्रभावित करेगा। आप आज के दिन में अपने कार्यक्रमों को संगठित रूप से पूरा कर सकते हैं। अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, समय प्रबंधन करें और अपने लक्ष्यों की दिशा में प्रगति करें। यह आपको न केवल आज को बेहतर बनाएगा, बल्कि आपके भविष्य को भी सशक्त बनाएगा।
आप अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिता सकते हैं। उनके साथ बातचीत करना, उनका साथ लेकर कुछ मजेदार कार्यों में भाग लेना और उनके साथ साझा करना आपको आज को यादगार बना सकता है। इससे आपके संबंध मजबूत होते हैं और आपका मन भी प्रसन्न रहता है। आप आज को किसी नए कौशल का सीखने का मौका भी देख सकते हैं। यह आपके जीवन में नए दरवाजे खोल सकता है और आपको नई स्थितियों में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
बहुत सच है कि कई लोग कल को आज ही बर्बाद कर रहे हैं। यह कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं:
- कम्फर्ट जोन : कुछ लोग अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने में कठिनाई महसूस करते हैं और उनकी यह स्थिति उन्हें आज को सही से नहीं जीने देती है।
- भविष्य की चिंता: कई लोग अपने भविष्य की चिंता करते हैं और इसके चलते वे आज के मौके का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
- प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना: कई बार लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके आज को प्रभावित कर सकती है।
- समय का बर्बाद: अव्यवस्थित लोग अपने समय को अप्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं। वे अपने कार्यों को टालते रहते हैं, जिससे उन्हें काम करने के लिए कम समय मिलता है और उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता है।
- स्थितिगत चिंता: अव्यवस्थित लोगों को अक्सर चिंता होती है कि क्या करना है और कैसे करना है। इससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित होती है और वे अपने कामों में उत्साह नहीं दिखाते हैं।
- कार्य दक्षता में कमी: अनियमित और अव्यवस्थितता के कारण, अव्यवस्थित लोग अक्सर अपने कार्यों में प्रभावी नहीं होते हैं। इससे उनकी कार्यदक्षता में कमी आती है और उन्हें सफलता प्राप्त करने में मुश्किलें होती हैं।
- संबंधों में अस्थिरता: अव्यवस्थित और अनियमितता के कारण, इन्हें अक्सर अपने संबंधों में भी अस्थिरता महसूस होती है। वे अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने में कम सक्षम होते हैं, जिससे उनके संबंध कमजोर हो सकते हैं।इसलिए, संगठन और नियमितता को अपने जीवन में शामिल करके लोग अपने आज को सही से जी सकते हैं और कल की भी तैयारी कर सकते हैं।
- अप्रभावी विनियोजन: समय का अप्रभावी विनियोजन करना, जैसे कि अत्यधिक समय तक टीवी देखना, सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करना, या अनावश्यक गपशप करना।अप्रभावी कार्यक्रम: कई बार हम अप्रभावी कार्यक्रमों में समय बर्बाद करते हैं, जैसे कि बिना वजह लंबे धीमे चल रहे मीटिंग्स या अनपेक्षित शौकों में समय बिताना।
- स्थितिगत आवश्यकताओं की अनधिकरण: हम अक्सर समय को स्थितिगत आवश्यकताओं के लिए खो देते हैं, जैसे कि अत्यधिक समय तक ट्रैफिक में खड़े रहना, व्यावसायिक यात्राओं में अधिक समय लगाना इत्यादि।उत्पीड़न या निराशा: कई बार हम अपने आप को उत्पीड़ित या निराश महसूस करके समय को बर्बाद करते हैं, जिससे कि हम अपने कार्यों में ध्यान नहीं दे पाते हैं।
निजी सामान को इधर-उधर रखना भी समय का एक तरीका है। यह बाधक हो सकता है क्योंकि जब हम अपने सामान को इधर-उधर रखते हैं, तो हमें फिर उसे ढूंढ़ने में समय लगता है। इससे हमारी काम की प्रक्रिया में विघ्न आता है और हमें अनावश्यक समय बर्बाद होता है।इस समस्या को सुलझाने के लिए, यह उपयुक्त हो सकता है कि हम अपने निजी सामान के लिए एक निर्धारित स्थान निर्धारित करें और उसे वहाँ ही रखें। इसके लिए व्यक्तिगत आयामों के आधार पर अलग-अलग संगठन और स्टोरेज समाधानों का उपयोग किया जा सकता है।साथ ही, हमें अपने सामान को वापस उसी स्थान पर रखने की आदत डालनी चाहिए, ताकि हमें बार-बार उसे खोजने की जरूरत न हो। इस तरह, हम समय को सही से प्रबंधित कर सकते हैं और अपने काम को स्मूथली और अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं।
अव्यवस्था और अनियमितता एक गलत आदत होती है जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। यह आदत हमें अपने कामों को समय पर नहीं करने की प्रवृत्ति देती है, जिससे हमारे लक्ष्यों तक पहुंचने में बाधा होती है। इससे हमें अपने कामों में प्रतिबद्धता कम होती है और हमें समय प्रबंधन में समस्याएँ होती हैं।अव्यवस्था और अनियमितता के कारण हम अपने लक्ष्यों को समाप्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं और अक्सर हमें अपने कार्यों को टालने की आदत होती है। इससे हमारे परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और हम अपनी कार्यदक्षता में कमी महसूस करते हैं।इस गलत आदत के कारण हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में भी संघर्षमय स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। अव्यवस्था और अनियमितता से निपटने के लिए हमें संगठन और नियमितता को अपने जीवन में स्थापित करने की आवश्यकता होती है।
05 मई 2024
प्रकृति तब भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी
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परिचय: तकनीकी युग में बच्चों का बचपन आज का युग डिजिटल क्रांति का है, जहां तकनीक ने हमारे जीवन के हर हिस्से को बदल कर रख दिया है। बच्चे, जो क...
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पढ़ाई का बीच में छूट जाना आदिवासी समाज चूंकि हमेशा से ही पढ़ाई लिखाई से वंचित रहा हैै। शायद इसीलिए समाज में कभी शैक्षणिक माहौल नहीं बन पाया।...