सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

समस्या प्रोग्रामिंग में होती है, प्रिंटआउट में नहीं

  यह चार आयामी  दुनिया क्या है ? कैसे यह एक दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं ? मै समझाने की कोशिश करूंगा।  यह चार आयामी दुनिया है भौतिक जगत, मानसिक जगत भावनात्मक जगत और आध्यात्मिक जगत। लेकिन हम रहते सिर्फ एक जगत में वह है भौतिक जगत। बाकी तीनों जगह हमारे अंदर की दुनिया है। भौतिक दुनिया में हमारी हालात कैसे हैं,यह डिपेंड करता है हमारी आंतरिक दुनिया पर। हम कभी यह समझ ही नहीं पाते कि भौतिक दुनिया हमारी आंतरिक दुनिया की प्रिंटआउट मात्र है।  चलिए इसको हम एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए हम अपने कंप्यूटर पर एक चिट्ठी टाइप करी। प्रिंट बटन दबाकर उसका प्रिंट आउट भी निकाल लिया। प्रिंट आउट निकालने के बाद पता चला कि इसमें एक गलती हुई है। चलिए हम देखते हैं कि जीवन में हुई गलतियों के प्रकृति को समझे बिना ही हल करने की कैसी कैसी कोशिशें करते हैं ? कोई भरोसेमंद इरेज़र ले करके प्रिंटआउट में हुई गलती को मिटा देते हैं। प्रिंट बटन दबाकर दोबारा प्रिंट आउट निकाल लेते हैं। इस बार फिर से गलती जस का तस है, कोई सुधार नहीं हुआ। फिर हम सोचते हैं कि इसको तो अभी हमने मिटाया था, फिर मिटा क्यों नहीं? फिर

जैसा जड़ वैसा फल

 कल्पना कीजिए कि जीवन एक पेड़ है।पेड़ में लगे फल की तुलना उस परिणाम से कीजिए जिसको कि हमने अपने जीवन के विभिन्न पड़ावों में प्राप्त किया है। इस फल को लेकर हमारी अक्सर यह शिकायत रहती है कि फल कम है, हमें और मिलना चाहिए था, आकार में भी काफी छोटा है , स्वाद भी कुछ खास नहीं है। अक्सर हम ऊपर देखने वाली फल की ही चर्चा करते हैं और यह हमेशा भूल जाते हैं कि फल तो बीज और जड़ों के कारण उत्पन्न होती है। जो की जमीन के नीचे दबी हुई होती है, दिखाई नहीं पड़ती। कहने का मतलब साफ है कि अगर गुणवत्तापूर्ण दिखाई देने वाली फल की चाह रखते हैं,तो सबसे पहले दिखाई नहीं देने वाली बीज और जड़ के बेहतरी के लिए काम करना होगा ।फल तो अपने आप ही उनके मुताबिक बदल जाएगा। हम अक्सर दिखाई देने वाली चीजों को ही सच मान बैठते हैं जो कि बिल्कुल ही गलत है। जो चीजें हमें दिखाई नहीं देती उसके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर देते हैं। मै कुछ उदाहरण प्रस्तुत करना चाहूंगा। बिजली हमें दिखाई नहीं देती है। लेकिन उसके शक्ति के बारे में हम सभी परिचित हैं और हम बिल भी पे करते हैं। किसी चुंबक की चुम्बकीय शक्ति हमें दिखाई नहीं देती लेकिन उसी अदृश

अपनी क्षमता अपने को ही पता नहीं

आपकी आमदनी सिर्फ उसी हद तक बढ़ सकती है जिस हद तक आप बढ़ते हैं । जीवन में अक्सर कभी ना कभी हम सभी आर्थिक तंगी के हालात का सामना करते हैं। कई एक बार हमारे पास बहुत सारा धन, आ तो जाता है, मगर गंवा देते है।हमारे पास बेहतरीन अवसर होने के वाउजुद सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। आखिर इसका वजह क्या है ? इसको अपना बदकिस्मती कहें , बुरी अर्थव्यवस्था कहें या फिर गलत पार्टनर ।  चाहे जो मर्ज़ी कह लें। यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि धन को लेकर हमारे अंतःकरण में क्या  चल रहा है।  हमारे पास बहुत सारा धन आ भी जाए , मगर  धन को ले कर हमारे पास कोई योजना नहीं हैं। यूं कहें कि हम भीतर से तैयार नहीं है।तो इस बात की पक्की संभावना है कि धन हमारे पास ज्यादा देर तक नहीं टिकने वाली।हम उसे गंवा देंगे।  इसको हम एक उदाहरण से समझते है।  जैसे चिकित्सीय कार्य में चिकित्सक और आधुनिक चिकित्सीय उपकरण की जरूरी होती हैं। बेहतरीन उपकरण ज़रूरी हैं, लेकिन उन उपकरणों का कुशलता से प्रयोग कर सकने वाला बेहतरीन चिकित्सक बनना उनसे भी ज्यादा ज़रूरी है।  हम ज्यादातर लोगों के पास बहुत सारे पैसे बनाने और उसे रखने की आंतरिक क्षमता नहीं होती

आंख खुले रखने की जरूरत

शक्ति अर्जित करने के लिए लोग क्या करते हैं। दुनिया में हमें कोई भी ऐसा आदमी नहीं मिलेगा जिसे शक्तिहीन, गरीब और कमजोर होना पसंद हो। असहाय असक्त या लाचार होने पर सभी दुखी होते हैं। सभी चाहते हैं कि वे परिपूर्ण हो ,शक्ति संपन्न हो,  एक अलग पहचान हो।  कभी अपना शक्ति घटाना नहीं चाहते। दिन-रात शक्ति बढ़ाने में  लगे ही रहते हैं। शक्ति बढ़ाने की भूख कभी कम ही नहीं होती। रोज नई नई दांव पेंच सीखते रहते हैं।  हमेशा यह ध्यान देते हैं कि शक्ति अर्जित करने की जो गुप्त  दांव पेच है किसी को नज़र ना आये। न्याय संगत और नेक लगे।  शक्ति पाने के सूक्ष्म दाँव-पेंचों आजमाइश होती रहती है।सफलता का सूत्र यह है कि चालाक होने के बावजूद हम नेक और प्रजातांत्रिक दिखने की कोशिश करते हैं। नोर्मल दुनिया के परे एक दुनिया सतत छल-कपट का यह खेल शक्ति के उसी खेल की तरह है, जो पुराने जमाने के सामती दरबारों में खेला जाता था। पूरे इतिहास में शक्तिशाली व्यक्ति महाराजा, महारानी या सम्राट के चारों तरफ हमेशा एक दरबार लगा रहता था। दरबारी अपने स्वामी के निकट आने की कोशिश तो करते थे, लेकिन वे जानते थे कि अगर वे खुलकर चापलूसी करेंगे य

एक और एक कितने होते हैं

यूनिटी का इम्पोर्टेंस बड़ा goal (लक्ष्य) achieve (प्राप्त) करना हो ना , तो उसका मात्र एक ही सिद्धांत होता है।- teamwork और coordination। कोई कहे कि उसे टीम, संस्था, ग्रुप या समूह की आवश्यकता नहीं है। जान जाइए कि वह इंसान आपसे झूठ बोल रहा है या वह अनभिज्ञ है या लक्ष्य बड़ा नहीं है। इंडिविजुअलिटी में अपनी कोई पहचान नहीं होती।  मान लीजिए कोई आदमी बहुत अच्छा गायक है । लेकिन उसको कोई सुनने वाला ही नहीं तो गायकी किस काम का।बहुत अच्छा खिलाड़ी है लेकिन टीम ही नहीं है।बहुत अच्छा डॉक्टर है लेकिन कोई पेशेंट नहीं। बड़ा बाजार है लेकिन कोई खरीदार नहीं।  कहने का मतलब है हम सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से , सभी आपस में जुड़े हुए हैं। आप हैं तो मैं हूं। श्रोता है तो गायक है। खेल है तो खिलाडी है। पेशेंट है तो डॉक्टर है। और ना जाने कितने ही। समूह से शक्ति का विस्तारण   अगर आपसे कोई पूछे कि 1 और 1 कितना होता है तो आपका क्या जवाब होगा। हम मैथमेटिकली उन्हें बताएंगे कि 1 और 1 दो होता है। क्योंकि हमने यही सीखा है। थियोरेटिकली बिल्कुल सही भी है। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है। जिसमें एक और एक दो नहीं , बल्क

समस्याओं के मूल कारण को खोजना ही समस्या का हल है

समस्या को एक चिकित्सक की तरह देखें किसी भी समस्या को हल करने से पहले हमें समस्या को देखने की नजरिया को बदलना होगा। समस्या के उत्पत्ति के कारणों को जानना होगा। जैसे कि एक पेशेवर चिकित्सक किसी बीमारी के सभी संभावित कारणों के बारे में पता लगाने की कोशिश करता है। बीमारी के लक्षणों के आधार पर सभी उपयोगी इन्वेस्टिगेशन कराता है। इन्वेस्टिगेशन  रिपोर्ट्स के आधार पर बीमारी के मूल कारण तक पहुंचने की कोशिश करता है। बीमारी के मूल कारण का पता लग जाने पर उपयोगी योग्य दवा देता है।  बीमारी का सही दवा, सही समय पर , दिए जाने पर तुरंत ठीक भी होने लग जाती है।  कंपनियां ऐसे करती समस्या का निदान इसी तरह कोई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी सही समय तक इच्छित परिणाम हासिल करने में नाकामयाब रहता है। इच्छित परिणाम हासिल ना कर पाने की, सभी संभावित कारणों का एक सर्वे कराता है। सर्वे के रिपोर्ट के अनुसार सभी कमियों को एनालिसिस करके , उपयोगी सुधार को अमल में लाता है। अगले प्रोजेक्ट में उन कमियों पर विशेष ध्यान रखता है और अपने इच्छित लक्ष्य की प्राप्ति करता है। समस्या का मूल कारण में छिपी है हल साफ शब्दों में कहें तो हमें हम

मनोरम झलकियां प्राकृतिक पर्व सरहुल की

ASSRB द्वारा प्राकृतिक पर्व सरहुल मानने का  नायाब तरीका पहान बाबा द्वारा पूजा अर्चना ASSRB सैनिकों द्वारा बनाया गया एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। सेवारत और सेवानिवृत सैनिक इसके सदस्य है। सैनिक जिस कर्तव्य परायणत ,अनुशासन , कर्मनिष्ठता और मनोयोग से देश की सेवा में अपने बहुमूल्य समय देते है उसी तर्ज पर सामाजिक कल्याण का काम करना चाहते है। इस तरह के भावनाओं का उद्गमन अपने आप में अनूठा है। मुख्य अतिथि श्री जितबहान उरांव (DSP) मैं आप को एक बात से अवगत कराना चाहूंगा कि सरहुल पर्व आदिवासियों का सबसे बड़ा प्राकृतिक पर्व है। यह पर्व तब मनाया जाता है जब पृथ्वी हरियाली का आवरण ओ‌‌ढ़ रही होती है। रंग बिरंगी फूलों से सज रही होती है। यूं कहें की नया रूप धारण कर रही होती है। यही मौसम भारतीय आदिवासियों का नया साल का होता है। प्रकृति के बिना इस पृथ्वी पर मनुष्य जाति का अस्तित्व संभव नहीं है। आदिवासी समाज इस को बखूबी समझती है। इसीलिए प्रकृति के संरक्षण संवर्धन और उनके पोषित के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है। मंच में मुख्य और विशिष्ट अतिथि गन ASSRB इस पर्व को एक कदम और आगे ले गई । समाज में जितने भी सेवानिवृत सैनि