मै आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहा हूं जो सबों के माननीय है। इनकी उम्र लगभग पचपन साल है। सुखी संपन्न और बड़ा परिवार का मुखिया है।गांव के सभी लोग उनका कहना मानते हैं। गांव में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे, समझदार और सुलझे हुए आदमी है। हर विषय की थोड़ी ना थोड़ी जानकारी जरुर होती है उनके पास ।गांव के सभी लोग सलाह मशवरा के लिए उनके पास आया करते हैं। गांव में सबों के साथ बड़ा प्रेम भाव से मिला करते हैं। मिलनसार प्रवृति के होने के कारण सभी लोग उन्हें पहचानते हैं। जीवन यापन के लिए वह व्यवसाय के साथ खेती किसानी किया करता है। उनकी दुकान में हमेशा भीड़ लगी ही रहती हैं। तीन चार लोग उनके under काम करते हैं।वे खुद ही बहुत मेहनत से काम करते है। एक बार की बात है, उनके रिश्तेदारों के यहां बड़ा मेला लगा। सपरिवार जाने का अमंत्रणा भी आ गया। परिवार के सभी लोग बड़ा खुश हुए और जाने को राजी हो गए। जब परिवार के मुखिया से पूछा गया तो बोले कि मेरा उम्र मेला सेला देखने का अब नहीं है ।मै तो बूढ़ा हो गया हूं। तुमलोगों का समय है, तुमलोग जाओ।मै तो मेले के बाद जाऊंगा। क्या था ? बच्चे सब चले गए। फिर क्या था
सरना बिल्ली का मतलब ज्ञान के उस दीपक से है जो समाज में फैले अज्ञानता के अँधेरे को ज्योतिर्मय करता है और ज्ञान के प्रकाश को फैलता है I