पेड़ लगाकर हों किसी भी कार्यक्रम का शुभ आरंभ जो प्रकृतिवादी हैं, जो अपने आपको प्रकृति पूजक कहते हैं , उनका तो प्रकृति संरक्षण में सबसे बड़ा हाथ होना चाहिए । हर पर्व - त्योहार या किसी भी कार्यक्रम का शुरूवात पेड़ लगाकर करना चाहिए। चाहे वह शादी - विवाह हो, त्योहार हो या जन्म दिन हो। इन सब मौकों का शुरूवात वृक्षारोपण के साथ करना चाहिए। क्यों कि वृक्ष ही प्रकृति का गहना होता है। शृंगार को बनाएं रखना हमारे अस्तित्व को बनाएं रखने जैसा है। तभी हम सही मायने में प्रकृति पूजक कहे जाएंगे। अपने सुपर फूड का संवर्धन करें जिस लजीज प्राकृतिक खान पान के कारण हमारे पूर्वज तंदुरुस्त और निरोग हुआ करते थे । आज हमें उसका स्वाद पसंद नहीं है। हमारे बच्चों ने तो उसका स्वाद चखा ही नहीं कभी और न हमने कभी बताना ज़रूरी ही समझा। जैसे कि कटाई साग, फुटकल साग, कोईनार साग, बेंग साग, चाकोड साग, और न जाने कितने ही है। फिलहाल यह हमारे मेनू से गायब है। यह आदिवासी सुपर फूड हमारे प्रति रक्षा प्रणाली को बूस्ट करने का काम करती है। यह सुपर फूड विटामिन और मिनरल्स का भंडार है। अब यह हमारी जिम्मेवारी है कि इन सुपर फूड का संवर्धन
सरना बिल्ली का मतलब ज्ञान के उस दीपक से है जो समाज में फैले अज्ञानता के अँधेरे को ज्योतिर्मय करता है और ज्ञान के प्रकाश को फैलता है I