सरना बिल्ली का मतलब ज्ञान के उस दीपक से है जो समाज में फैले अज्ञानता के अँधेरे को ज्योतिर्मय करता है और ज्ञान के प्रकाश को फैलता है I
20 मई 2024
wealth management
15 मई 2024
जानकारी से होगी समाज में निवेश की चेतना विकसित
निवेश के प्रकार
अध्ययन करें: शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले हमें बाजार की समझ और बाजार के नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि बाजार कैसे काम करता है। सबसे अच्छा तब होगा जब हम खुद इसके बारे में अध्ययन करें। बहुत सारे ऐसे वीडियो और वेबसाइटस हैं जो हमें शेयर मार्केट के बारे में बहुत अच्छे से जानकारी देते हैं।
निवेश की राशि का निर्धारण करें: शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि हमारे निवेश करने की क्षमता कितनी है। आपके निवेश की अवधि क्या होगी ।
ब्रोकर का चयन करें: हमें यह पता होना चाहिए कि हम डायरेक्ट शेयर मार्केट में इन्वेस्ट नहीं कर सकते, इसके लिए हमें एक अच्छे और विश्वसनीय ब्रोकर चुनने की जरूरत पड़ेगी। मार्केट में बहुत सारे ब्रोकर अपनी सेवाएं देते हैं। ब्रोकर की सेवाओं, शुल्कों, और सुविधाओं की तुलना करें और फिर अपने आवश्यकताओं के अनुसार एक चयन करें।
शेयर का चयन करें: निवेश के लिए शेयर का चयन करते समय,हमें विभिन्न उद्योगों, कंपनियों, और उनकी वित्तीय स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए। हमें उन कंपनियों का चयन करना चाहिए जिनके वित्तीय परिणाम अच्छे हैं और जो हमारे निवेश के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम प्रतीत होते हों।
निवेश आदेश दें: चयनित शेयर को खरीदने के लिए अच्छे समय का इंतज़ार करना चाहिए। सही समय आने पर अपने ब्रोकर को निवेश आदेश दें। निवेश करने से पहले, शेयर मूल्यों का अध्ययन करना बेहद ज़रूरी है।
निवेश को ट्रैक करें: एक बार जब आपने निवेश किया है, तो आपको निवेश को निरंतर ट्रैक करना चाहिए। शेयर मूल्यों का अध्ययन करें, विभिन्न आर्थिक गतिविधियों का ध्यान दें, और अपने निवेश के उद्देश्यों को पुनः समीक्षा करें।
बैंक जमा(Bank Deposits):
सुरक्षा: बैंक डिपॉजिट सुरक्षित निवेश होता है क्योंकि बैंक संबंधित नियमों के अनुसार निगरानी के तहत काम करते हैं और आमतौर पर सरकार द्वारा सुरक्षित होते हैं।
लिक्विडिटी: बैंक डिपॉजिट को आसानी से निकासी की अनुमति होती है, जिससे इसे लिक्विड निवेश के रूप में भी जाना जाता है।
नियमित आय: बैंक डिपॉजिट पर ब्याज के रूप में नियमित आय प्राप्त होती है, जो निवेशक को निश्चित रूप से उत्पन्न होती है।
न्यूनतम निवेश की आवश्यकता: बैंक डिपॉजिट के लिए आमतौर पर न्यूनतम निवेश की आवश्यकता होती है, जिससे व्यक्ति छोटे राशि में भी निवेश कर सकता है।
आवासीय निवेश(Real Estate):
संचित धनराशि: आवासीय निवेश में प्रॉपर्टी की मूल्य में वृद्धि के साथ-साथ संचित धनराशि के रूप में भी लाभ मिलता है।
नियमित आय:यदि प्रॉपर्टी को किराए पर दिया जाता है, तो आवासीय निवेश से नियमित आय प्राप्त होती है।
अतिरिक्त आय: प्रॉपर्टी के मूल्य में वृद्धि के साथ-साथ, यदि आप इसे बाद में बेचते हैं, तो आपको अतिरिक्त आय भी मिल सकती है।
वित्तीय सुरक्षा आवासीय: निवेश एक वित्तीय सुरक्षित निवेश हो सकता है, जिसमें निवेशक के पास एक निश्चित संपत्ति होती है।
निवेश निधि(Mutual Fund):
पेंशन योजना(Pension Plan) :
कमोडिटी मार्केट मे निवेश :-
कमोडिटी वे उत्पाद होते हैं जो व्यापारिक रूप से बाजार में व्यापार किए जाते हैं, जैसे कि कृषि उत्पाद (अनाज, चीनी, तेल), धातु (सोना, चांदी), ऊर्जा (पेट्रोलियम, बिजली), और अन्य कच्चे माल (कच्चा तेल, गैस,लकड़ी)। ये सभी माल प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त किए जाते हैं और बाजार में व्यापार होते हैं। व्यापारिक कमोडिटी बाजार उन्हें खरीदने और बेचने का मंच प्रदान करता है।
क्रिप्टोकरंसी निवेश:-
कारपोरेट बॉन्ड्स(Corporate Bonds):
12 मई 2024
कल को हम आज कैसे नष्ट कर रहें हैं।
कल को नष्ट करने के बजाय, आज को सही से जीने का समय है। आप अपने आज को बेहतर बनाएं और अपने लक्ष्यों की ओर प्रगति करें।
इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं ,
एक उदाहरण है कि मान लीजिए आप आज से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए आप सुबह व्यायाम कर सकते हैं, स्वस्थ भोजन खा सकते हैं और अपने मन को शांत और प्रसन्न रखने के लिए ध्यान कर सकते हैं। इससे आपका आज बेहतर और संतुलित होगा, और आने वाले कल को भी प्रभावित करेगा। आप आज के दिन में अपने कार्यक्रमों को संगठित रूप से पूरा कर सकते हैं। अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, समय प्रबंधन करें और अपने लक्ष्यों की दिशा में प्रगति करें। यह आपको न केवल आज को बेहतर बनाएगा, बल्कि आपके भविष्य को भी सशक्त बनाएगा।
आप अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिता सकते हैं। उनके साथ बातचीत करना, उनका साथ लेकर कुछ मजेदार कार्यों में भाग लेना और उनके साथ साझा करना आपको आज को यादगार बना सकता है। इससे आपके संबंध मजबूत होते हैं और आपका मन भी प्रसन्न रहता है। आप आज को किसी नए कौशल का सीखने का मौका भी देख सकते हैं। यह आपके जीवन में नए दरवाजे खोल सकता है और आपको नई स्थितियों में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
बहुत सच है कि कई लोग कल को आज ही बर्बाद कर रहे हैं। यह कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं:
- कम्फर्ट जोन : कुछ लोग अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने में कठिनाई महसूस करते हैं और उनकी यह स्थिति उन्हें आज को सही से नहीं जीने देती है।
- भविष्य की चिंता: कई लोग अपने भविष्य की चिंता करते हैं और इसके चलते वे आज के मौके का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
- प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना: कई बार लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके आज को प्रभावित कर सकती है।
- समय का बर्बाद: अव्यवस्थित लोग अपने समय को अप्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं। वे अपने कार्यों को टालते रहते हैं, जिससे उन्हें काम करने के लिए कम समय मिलता है और उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता है।
- स्थितिगत चिंता: अव्यवस्थित लोगों को अक्सर चिंता होती है कि क्या करना है और कैसे करना है। इससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित होती है और वे अपने कामों में उत्साह नहीं दिखाते हैं।
- कार्य दक्षता में कमी: अनियमित और अव्यवस्थितता के कारण, अव्यवस्थित लोग अक्सर अपने कार्यों में प्रभावी नहीं होते हैं। इससे उनकी कार्यदक्षता में कमी आती है और उन्हें सफलता प्राप्त करने में मुश्किलें होती हैं।
- संबंधों में अस्थिरता: अव्यवस्थित और अनियमितता के कारण, इन्हें अक्सर अपने संबंधों में भी अस्थिरता महसूस होती है। वे अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने में कम सक्षम होते हैं, जिससे उनके संबंध कमजोर हो सकते हैं।इसलिए, संगठन और नियमितता को अपने जीवन में शामिल करके लोग अपने आज को सही से जी सकते हैं और कल की भी तैयारी कर सकते हैं।
- अप्रभावी विनियोजन: समय का अप्रभावी विनियोजन करना, जैसे कि अत्यधिक समय तक टीवी देखना, सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करना, या अनावश्यक गपशप करना।अप्रभावी कार्यक्रम: कई बार हम अप्रभावी कार्यक्रमों में समय बर्बाद करते हैं, जैसे कि बिना वजह लंबे धीमे चल रहे मीटिंग्स या अनपेक्षित शौकों में समय बिताना।
- स्थितिगत आवश्यकताओं की अनधिकरण: हम अक्सर समय को स्थितिगत आवश्यकताओं के लिए खो देते हैं, जैसे कि अत्यधिक समय तक ट्रैफिक में खड़े रहना, व्यावसायिक यात्राओं में अधिक समय लगाना इत्यादि।उत्पीड़न या निराशा: कई बार हम अपने आप को उत्पीड़ित या निराश महसूस करके समय को बर्बाद करते हैं, जिससे कि हम अपने कार्यों में ध्यान नहीं दे पाते हैं।
निजी सामान को इधर-उधर रखना भी समय का एक तरीका है। यह बाधक हो सकता है क्योंकि जब हम अपने सामान को इधर-उधर रखते हैं, तो हमें फिर उसे ढूंढ़ने में समय लगता है। इससे हमारी काम की प्रक्रिया में विघ्न आता है और हमें अनावश्यक समय बर्बाद होता है।इस समस्या को सुलझाने के लिए, यह उपयुक्त हो सकता है कि हम अपने निजी सामान के लिए एक निर्धारित स्थान निर्धारित करें और उसे वहाँ ही रखें। इसके लिए व्यक्तिगत आयामों के आधार पर अलग-अलग संगठन और स्टोरेज समाधानों का उपयोग किया जा सकता है।साथ ही, हमें अपने सामान को वापस उसी स्थान पर रखने की आदत डालनी चाहिए, ताकि हमें बार-बार उसे खोजने की जरूरत न हो। इस तरह, हम समय को सही से प्रबंधित कर सकते हैं और अपने काम को स्मूथली और अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं।
अव्यवस्था और अनियमितता एक गलत आदत होती है जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। यह आदत हमें अपने कामों को समय पर नहीं करने की प्रवृत्ति देती है, जिससे हमारे लक्ष्यों तक पहुंचने में बाधा होती है। इससे हमें अपने कामों में प्रतिबद्धता कम होती है और हमें समय प्रबंधन में समस्याएँ होती हैं।अव्यवस्था और अनियमितता के कारण हम अपने लक्ष्यों को समाप्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं और अक्सर हमें अपने कार्यों को टालने की आदत होती है। इससे हमारे परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और हम अपनी कार्यदक्षता में कमी महसूस करते हैं।इस गलत आदत के कारण हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में भी संघर्षमय स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। अव्यवस्था और अनियमितता से निपटने के लिए हमें संगठन और नियमितता को अपने जीवन में स्थापित करने की आवश्यकता होती है।
05 मई 2024
प्रकृति तब भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी
01 अप्रैल 2024
एक संदेश समाज के नाम
पेड़ लगाकर हों किसी भी कार्यक्रम का शुभ आरंभ
अपने सुपर फूड का संवर्धन करें
आदिवासी Millets(श्री अन्न )
बेटी के पढ़ाई में ध्यान नहीं देना
गुणवत्ता रहित मानव संसाधन
देश को आपकी ईमानदारी और सादगी पसंद है।
यूनीफामिटी के बिना आदिवासी डांस संभव नहीं
हम अपने पुरखों के बताये रास्ते के उलट चल रहें हैं।
नशीली पेय को लेकर मिस परसेप्सनस क्यों है
प्रकृति का संरक्षण में ही हमारी अस्तित्व है।
19 जून 2023
ईश्वर के लिए सब एक हैं
04 मई 2023
अंधविश्वास।
अंधविश्वास क्या है।
अंधविश्वास इतना प्रचलित क्यों है।
अंधविश्वास से कौन लोग ज्यादा प्रभावित हैं
अंधविश्वास और काम मे प्रभाव
अंधविश्वास और व्यक्तित्व
अंधविश्वास और मानसिक जडता
अंधविश्वास को बल
अंधविश्वास से प्रेरित अपराध
- आदिवासी समुदाय से हम क्या सीख सकते हैं।
- सुविधाएं कैसे काम करती है।
- अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल बने ।
- सामाजिक पिछड़ेपन के कारण।
- एक और एक कितने होते हैं ।
- तनाव की प्रकृति को कैसे समझें।
- गुड टच और बैड टच क्या है।
- अभी नहीं तो फिर कभी नहीं ।
- समाज से परे रहना नामुमकिन।
- अच्छे कामों को आसान और बुरे कामों को मुश्किल बनाएं। सामाजिक नशाखोरी।
- मेले के बाद का मेला।
- छोटे बदलाव का जादू।
- सफलता से दो कदम दूर।
- ऐसे होती है समस्याओं का मल्टीप्लिकेशन।
- धीरे चले पर पिछड़े नहीं।
- स्वयं को जीतना दुनिया जीतने के बराबर।
- लक्ष्य प्राप्ति के प्रोसेस को याद रखें लक्ष्य को नहीं।
- बड़े बदलाव की शुरुआत छोटे बदलाव से होती है।
- सहयोग के महत्व को समझें ।
- समस्या प्रोग्रामिंग में होती है प्रिंटआउट में नहीं।
- जैसा जड़ वैसा फल।
- समस्याओं के मूल कारण को खोजना ही समस्या का हल है।
- अपनी क्षमता को हम ही नहीं पहचान पाते।
- आंखें खुले रखने की जरूरत।
- सामाजिक नशाखोरी-I
- सामाजिक नशाखोरी-II
- सामाजिक नशाखोरी-III
01 मई 2023
आदिवासियों से दुनियां क्या सीख सकती है।
अगर दुनिया को बचाना है तो हमें आदिवासियों की तरह प्रकृति प्रेमी होना पड़ेगा। हमें प्रकृति के साथ सह अस्तित्व की जीवन शैली अपनानी होगी। आदिवासियों का प्रकृति प्रेम जीवन के प्रारंभ से लेकर जीवनपर्यंत तक रहता है। सच मायने में अगर देखा जाए तो एक सच्चा आदिवासी एक प्रकृति विज्ञानी से कम नहीं होता। उन्हें अपने वातावरण के सम्पूर्ण पेड़ पौधों की उपयोगिता और उनकी महत्व के बारे में जानकारी जन्म से ही होती है। क्योंकि उनके पूर्वजों के द्वारा ये जानकारी उन्हें स्वता ही मिल जाती है। पेड़-पौधे का कौन सा भाग खाया जाता है ? कौन सा भाग औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है कब खाया जाता है कैसे खाया जाता है उन्हें सब कुछ पता होता है। ऐसे ऐसे चीजों के बारे में उन्हें पता होता है जिनके बारे में लगभग पूरे दुनिया के लोगों को पता नहीं होता है। आदिवासी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट के समान है।अपने आप में ही वे ऑटोनॉमस बॉडी है। हमें बहुत नजदीक से प्रकृति से उनके जुड़ाव को सीखने की जरूरत है।मौसमों के बदलाव का असर उनके शरीर पर बहुत कम होता है।इसको पूरा दुनिया मानती है।आदिवासी हार्ड इम्युनिटी वाले होते है। उन्हें कोई गंभीर बीमारियों की समस्या भी बहुत ही कम होती है। आदिवासी बहुत बड़े प्रकृति पूजक होते हैं। उनके सारे के सारे पर्व त्यौहार प्रकृति से ही जुडी हुई होती हैं । हमेशा से ही प्रकृति को बचाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।प्रकृति को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं बल्कि उनका संरक्षण और संवर्धन करते हैं।क्योंकि उन्हें बखूबी पता है कि प्रकृति है तो हम हैं। प्रकृति के बिना धरती पर मनुष्य जाति का अस्तित्व ही नहीं है।
आदिवासी गाँवों के नाम होते बहुत ख़ास है।
आदिवासियों के जीवन में प्रकृति से जुड़वों की घनिष्ठता इतनी प्रबल है कि उनके गाँवों के नामों में भी इसका असर दिखता है। पेड़ पौधों से इनका संबंध बहुत गहरा है। और हो भी क्यों न। क्योकिं प्रकृति हमें जीवन देती है। इसी लिए वे प्रकृति का संरक्षण भी करते है। अक्सर देखा ये जाता है कि किसी भी जगह ,गाँव, कस्बा या शहर का नाम हमेशा किसी व्यक्ति विशेष, लैंड मार्क , ऐतिहासिक या धार्मिक महत्व के आधार पर रखा हुआ होता है। लेकिन आपको यह जान कर बड़ा अचंभा होगा कि अक्सर उनके गाँवों का नाम पेड़ों के नाम पर होता है। अगर किसी गाँव में पीपल का पेड़ ज्यादा होगा तो उस गाँव का नाम पीपल/पिपर टोली होगा। बांस ज्यादा होने पर बांस टोली होगा। इसी तरह से बर (बरगद) टोली, जामुन टोली, आम्बा(आम) टोली, करंज टोली, तेतर टोली(इमली),सेंबर टोली(सेमल) आदि। और ना जाने कितने ही ऐसे गाँवों के नाम होंगे जो कि पेड़ों के नाम पर रखा हुआ है। और खास बात यह है कि जिस गांव का नाम जिस पेड़ के नाम से पड़ा हुआ होता है, उस गांव के लोग उनका यह परम कर्तव्य होता है कि उस प्रजाति के पेड़- पौधों का संरक्षण करें । वे उस विशेष प्रजाति के पेड़ का संरक्षण भी करते हैं। इस तरह का परंपरा शायद ही कहीं देखने सुनने को मिलती है। हमें ऐसी परंपरा को बनाये रखने और फैलाने की जरूरत है ताकि प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन हो सके।
आदिवासियों के सरनेम होते बड़े ख़ास
इनमें से एक तरीका है, अपने नाम के साथ पेड़ पौधों, पक्षियों, जानवरों, सरीसृपों, जालीय जीव और धातुओं के नामों को जोड़ना। जैसे- टोप्पो, खलखो, मिंज, लकड़ा, किसपोट्टा,धान, आदि। इसी प्रकार से और भी कई एक सरनेम हैं जिसका संबंध जीव जंतुओं या पेड़ पौधों से हैं । प्राकृतिक सरनेम रखने के पीछे आदिवासियों का main moto प्रकृति संरक्षण और एको सिस्टम को कायम रहना है । इसको हम इस तरह से समझते है। पक्षी की एक विशेष प्रजाति का नाम टोप्पो होता है। टोप्पो सरनेम वाला व्यक्ति उस पक्षी विशेष का संरक्षण करेगा। उसको कभी भी क्षति नही करेगा।अगर कोई व्यक्ति क्षति पहुँचाने की कोशिश करता है तो उसको रोकेगा। उस जीव विशेष का भक्षण जीवन में वह कभी नही करेगा। एको सिस्टम में महत्व रखने वाले लगभग सभी जीव जंतुओं के नाम से उनके सरनेम हैं। दर्जनों सरनेम का मतलब, दर्जनों जीव जंतुओं और वनस्पतियों का संरक्षण और संवर्धन । प्रकृति को बचाए रखने और एको सिस्टम को कायम रखने का यह तरीका बहुत ही प्रभावशाली है।
आदिवासी superfood
आदिवासियों के खानपान में सम्मिलित खाद्य पदार्थ अन्यों से बिलकुल ही भिन्न हैं । दुनिया का ध्यान कभी इनके फूडिंग हैबिट्स (Fooding habits ) पर गया ही नहीं । इनके superfood की जानकारी इन्टरनेट तक में भी उपलब्ध नही है। यह अभी तक commercialized हुआ नही हैं । लोगों को इनके बारे में जानकारी नही होने के कारण availability सिर्फ limited क्षेत्रों में ही हैं जहाँ ये रहते हैं । सभी फूड्स इम्युनिटी बूस्टिंग (immunity boosting) हैं। यही वजह है कि इनको use करने वाले लोग बीमार बहुत कम पड़ते हैं और यदि बीमार पड़ भी गये तो बहुत जल्द रिकवर हो जाते हैं। इनके सभी superfood पूर्ण रूप वनस्पतिक हैं । उनमे से कुछ एक की जानकारी निम्न हैं।
जैसे फुटकल साग ,कोयनर साग ,टूम्पा साग ,कटाई साग ,तीसरी साग ,धेपा साग ,सनई साग , चिमटी साग ,बेंग साग। लेकिन आधुनिकता की असर इसमें बहुत ज्यादा पड़ा है। उन सब चीजों का खानपान में चलन कम होता जा रहा है ।कुछ चीजों का वर्णन करने जा रहा हूँ । हमें इनको बचाकर रखने की जरुरत है। फुटकल साग झारखंड में निवास करने वाले लगभग सभी आदिवासियों को इसके बारे में जानकारी है। इन्हें बनाने की कई एक विधियां है। जिन्होंने भी इसको खाया है वह इन्हें कभी भूल नहीं सकता। यह खटाई के लिए जानी जाती है। इनमें कई एक औषधीय गुण पाए जाते हैं। इनका आचार भी बनाया जाता है।चटनी बहुत लाजवाब होता है। दुनिया इसकी स्वाद को अभी तक चखा ही नहीं होगा। यह किसी सुपर फूड से कम नहीं है। एक बार आप सभी इसका स्वाद जरूर लें।
सादगी के मूरत
सादगी और ईमानदारी आदिवासियों की पर्याय होती है। बेईमानी धोखाधड़ी और छल कपट इन से कोसों दूर है। आदिवासी विश्वास के पर्याय हैं। बहुसंख्यक आदिवासी सादा जीवन जीते हैं। ये बहुत शांतिप्रिय और अपने एरिया में रहना पसंद करते हैं। उनकी रहन-सहन मान्यताएं और खानपान और से बिल्कुल भिन्न है। यह प्रकृति के बहुत बड़े उपासक होते हैं। अपने आप को प्रकृति पूजक कहते हैं। और हो भी क्यों ना क्योंकि इनकी सारी धार्मिक मान्यता है प्रकृति से जुड़ी हुई है। यह अपने पुरखों से प्राप्त ज्ञान का अनुसरण करते हैं। पुरखों से प्राप्त सारा ज्ञान इनके गीतों में समाहित है। इनकी इतिहास गीतों में ही लिखी है। हर मौसम के लिए अलग गीत और नृत्य है। गीत संगीत और नृत्य इनके जहन में रचा बसा है।
दहेज़ प्रथा
आदिवासी समाज की सबसे अच्छी बात दहेज प्रथा का प्रचलन में नहीं होना है। दहेज प्रताड़ना की घटना कभी सुनने को नहीं मिलती। दहेज के लिए कोई भी बेटियाँ सताई या मारी नहीं जाती।बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। बेटियां कभी बोझ नहीं मानी जाती। बेटियों के विवाह को लेकर कभी कोई समस्या नहीं होती। आदिवासी समाज में कभी कन्या भ्रूण की घटना देखने सुनने को नहीं मिलती।
आदिवासी महिला
आदिवासी अर्थव्यवस्था में महिलाओं का भागीदारी बराबरी का होता है।परिवार चलने में घर की महिलाओं की अहम भागीदारी होती है। हर काम में महिलाएं हाथ बटाती हैं।आदिवासी महिला सशक्त और मजबूत होती हैं। धार्मिक क्रियाकालापों में महिलाएं एक्टिवली भाग लेती हैं।
ज्ञान का केंद्र
धर्मकुड़िया आदिवासियों का सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यह आदिवासियों की बहुउद्देशीय शैक्षणिक संस्थान है। यहां पर हर विधा की जानकारी दी जाती हैं। चाहे वह धार्मिक हो, सांस्कृतिक हो, कानून व्यवस्था की हो, आर्ट ऑफ लिविंग हो या समय के मांग के हिसाब से कोई जरूरी चीज ही क्यों ना हो, की जानकारी दी जाती है। सप्ताह में एक दिन यहां पर धार्मिक सभाएं आयोजित की जाती है। उस दिन धर्म की बातें कही, सुनाई और बताई जाती है। गांव का शासन व्यवस्था किस तरह से हो इसके बारे में पहले से मौजूद नियम की जानकारी दी जाती है या तो फिर जरूरत पड़े तो नया नियम बनाए जाते हैं । जिसे सबको मानना होता है। जब इनका विशेष त्यौहार आने वाला होता है, तो उस त्यौहार की तैयारी के लिए, उस त्यौहार में उपयोग होने वाले गीतों का रिहर्सल होता है । नृत्य का रिहर्सल होता है।नई generation अपनी धार्मिक परंपरा की जानकारी हासिल करती है।
विवादों का निपटारा भी धूमकुरिया में ही होता है। बच्चों को शिक्षित करने के लिए रात्रि पाठशाला चलाई जाती हैं। यह आदिवासियों के लिए ज्ञान का केंद्र होता है।
चुनाव प्रक्रिया
आदिवासी समाज में चुनाव की प्रक्रिया सबसे अलग है। समाज में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित पद पाहान का होता है। बाकी सब उनके सहयोगी होते हैं। इस चुनाव प्रक्रिया को लेकर कभी विवाद नहीं होता। पद को चुनने की उनकी पारंपरिक विधि है। इसमें किसी एक व्यक्ति को चुनकर उनके आंखों में काली पट्टी बांधी जाती है। धार्मिक अनुष्ठान के बाद उस व्यक्ति को गांव के बीच में लाकर छोड़ दिया जाता है। आंखों में पट्टी बंधा व्यक्ति जिस किसी के घर में जाकर घुसता है, उसी घर के व्यक्ति को तीन वर्ष के पाहान के रूप में चुन लिया जाता है। गांव के सभी बड़े काम उनके आदेश से होंगे।
आदिवासी विद्रोह
भारत के प्रसंग में यदि बात करें, तो 1857 के सिपाही विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई माना जाता है। लेकिन 1857 के पहले भी अंग्रेजों के विरुद्ध आदिवासियों द्वारा कई लड़ाइयां लड़ी गई। पराधीनता आदिवासियों को कभी भी मंजूर नहीं था। आदिवासी कभी अंग्रेजों के गुलाम नहीं रहे । जल जंगल जमीन भाषा संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए हमेशा अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते रहे । तिलका मांझी के नेतृत्व में 1785 की तिलकामांझी विद्रोह। वीर बुधु भगत के नेतृत्व में 1832 की लार्का विद्रोह।तिरोत गाओ की खासी विद्रोह 1833। तेलंगा खरिया की नेतृत्व में 1850 की तेलंगाना खरिया विद्रोह। सिद्धू और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में 1855 की संथाल विद्रोह। निलंबार और पीतांबर का विद्रोह 1857। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इनको वह जगह नहीं मिल पाई जो कि मिलनी चाहिए थी ।
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- अंधविश्वास
- सुविधाएं कैसे काम करती है।
- अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल बने ।
- सामाजिक पिछड़ेपन के कारण।
- एक और एक कितने होते हैं ।
- तनाव की प्रकृति को कैसे समझें।
- गुड टच और बैड टच क्या है।
- अभी नहीं तो फिर कभी नहीं ।
- समाज से परे रहना नामुमकिन।
- अच्छे कामों को आसान और बुरे कामों को मुश्किल बनाएं। सामाजिक नशाखोरी।
- मेले के बाद का मेला।
- छोटे बदलाव का जादू।
- सफलता से दो कदम दूर।
- ऐसे होती है समस्याओं का मल्टीप्लिकेशन।
- धीरे चले पर पिछड़े नहीं।
- स्वयं को जीतना दुनिया जीतने के बराबर।
- लक्ष्य प्राप्ति के प्रोसेस को याद रखें लक्ष्य को नहीं।
- बड़े बदलाव की शुरुआत छोटे बदलाव से होती है।
- सहयोग के महत्व को समझें ।
- समस्या प्रोग्रामिंग में होती है प्रिंटआउट में नहीं।
- जैसा जड़ वैसा फल।
- समस्याओं के मूल कारण को खोजना ही समस्या का हल है।
- अपनी क्षमता को हम ही नहीं पहचान पाते।
- आंखें खुले रखने की जरूरत।
- सामाजिक नशाखोरी-I
- सामाजिक नशाखोरी-II
- सामाजिक नशाखोरी-III
28 अप्रैल 2023
सुविधाएं कैसे काम करती है?
सुविधाएं उत्पादकता बढ़ाती है
सुविधाएं हमारी कार्य क्षमता को बढ़ाती है। जिसके परिणाम स्वरूप प्रोडक्टिविटी बढ़ती है। सुविधाएं ऐसे औजार या साधन होते हैं जो काम हम कर रहे होते हैं उस काम को बेहतर और सुंदर ढंग से कम समय में करने के लिए हमारा सहायक होता है। आधुनिक युग में हम सुविधाएं प्रदान करने वाली साधनों से गिरे हुए हैं। आधुनिक युग में हम मनुष्य का जीवन इस तरह से बदल चुका है कि सुविधाओं के बिना जीवन की कल्पना करना एकदमएकदम ही मुश्किल है। जीवन इसके बिना एकदम से रुक जाएगी। जीवन में हर वो काम जो हमें जीवित रहने के लिए करना पड़ता है उन सभी चीजों को करने के लिए साधन उपलब्ध है। सुविधाएं हम मनुष्य जीवन को चमत्कारिक रूप से बदल दिया है। सबों को सभी सुविधाएं उपलब्ध हो यह जरूरी नहीं है। सभी को सब कुछ प्राप्त नहीं है। उनके लिए एक निश्चित धनराशि जो चुकानी पड़ती है। सुविधाओं के साधन हमारे समय को काफी बचा दिया है। दिनों का काम घंटों में हो जा रहा है। और घंटों का काम मिनटों में सटीकता के साथ हो रहा है। हम मनुष्य का जीवन पूरी तरह से सुविधाओं के साधनों पर निर्भर हो गया है। हम पूरी तरह से सुविधाओं के साधनों से गरे हुए हैं।जानिए ChatGPT के सभी टूल्स और उनके कमाल के उपयोग
आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि एक जरिया बन चुका है अपने काम को स्मार्ट, तेज़ और प्रभा...
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अ पने आप से प्यार करने का मतलब है खुद को सम्मान देना, खुद को स्वीकार करना, और अपनी भलाई का ख्याल रखना। यह एक ऐसी भावना है जो हमे...
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परिचय: तकनीकी युग में बच्चों का बचपन आज का युग डिजिटल क्रांति का है, जहां तकनीक ने हमारे जीवन के हर हिस्से को बदल कर रख दिया है। बच्चे, जो क...
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पढ़ाई का बीच में छूट जाना आदिवासी समाज चूंकि हमेशा से ही पढ़ाई लिखाई से वंचित रहा हैै। शायद इसीलिए समाज में कभी शैक्षणिक माहौल नहीं बन पाया।...