20 मई 2024

wealth management

वेल्थ मैनेजमेंट को इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है, एक ऐसी समग्र दृष्टिकोण है जिसमें व्यक्तिगत या पारिवारिक सम्पत्ति का प्रबंधन और वृद्धि शामिल है। इसका उद्देश्य केवल सम्पत्ति का संरक्षण और संवर्धन ही नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति और जीवन की गुणवत्ता को सुधारना भी है। वेल्थ मैनेजमेंट में वित्तीय योजना, निवेश प्रबंधन, कर नियोजन, रिटायरमेंट प्लानिंग, और एस्टेट प्लानिंग जैसी विभिन्न सेवाएं और रणनीतियाँ शामिल होती हैं। 

साधारण शब्दों में, वेल्थ मैनेजमेंट का मतलब उन सभी वित्तीय सेवाओं और परामर्शों का समूह है जो किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को बढ़ाने, संरक्षित करने और अंततः हस्तांतरित करने में मदद करते हैं। इसमें एक वित्तीय सलाहकार या वेल्थ मैनेजर द्वारा कस्टमाइज्ड सलाह और समाधान दिए जाते हैं ताकि सम्पत्ति धारक के वित्तीय उद्देश्यों और जीवन शैली की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

## वेल्थ मैनेजमेंट के मुख्य घटक

### 1. वित्तीय योजना (Financial Planning)
वित्तीय योजना वेल्थ मैनेजमेंट का मूल आधार है। यह आपकी वित्तीय स्थिति का एक समग्र आकलन है और आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की रणनीति तैयार करती है। इसमें आय, व्यय, बचत, निवेश और संपत्ति का मूल्यांकन शामिल होता है। एक मजबूत वित्तीय योजना न केवल वर्तमान वित्तीय स्थिति को सुधारती है बल्कि भविष्य के वित्तीय जोखिमों से भी सुरक्षा प्रदान करती है।

### 2. निवेश प्रबंधन (Investment Management)
निवेश प्रबंधन वेल्थ मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में निवेश का चयन, प्रबंधन और निगरानी शामिल होती है। निवेश प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य दीर्घकालिक सम्पत्ति वृद्धि और जोखिम प्रबंधन होता है। एक कुशल निवेश प्रबंधक बाजार की स्थितियों का विश्लेषण करता है और निवेश पोर्टफोलियो को विविधीकृत करता है ताकि उच्चतम संभव रिटर्न प्राप्त हो सके।

### 3. कर नियोजन (Tax Planning)
कर नियोजन वेल्थ मैनेजमेंट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उद्देश्य कर को कम से कम करना और कर लाभ का अधिकतम उपयोग करना होता है। यह विभिन्न कराधान नियमों और कानूनी प्रावधानों का लाभ उठाकर किया जाता है। सही कर नियोजन रणनीतियाँ आपकी सम्पत्ति को संरक्षित करने और आपकी वित्तीय स्थिति को सुधारने में सहायक हो सकती हैं।

### 4. रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning)
रिटायरमेंट प्लानिंग आपकी सम्पत्ति का एक और महत्वपूर्ण घटक है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि आपके रिटायरमेंट के बाद भी आपके पास पर्याप्त धनराशि हो ताकि आप अपनी जीवन शैली को बनाए रख सकें। इसमें रिटायरमेंट खाते, पेंशन योजनाएं और निवेश विकल्प शामिल होते हैं जो रिटायरमेंट के बाद स्थिर आय प्रदान कर सकते हैं।

### 5. एस्टेट प्लानिंग (Estate Planning)
एस्टेट प्लानिंग आपके सम्पत्ति और संपत्ति को आपके उत्तराधिकारियों को बिना किसी कानूनी उलझन के स्थानांतरित करने की प्रक्रिया है। इसमें वसीयत, ट्रस्ट, और अन्य कानूनी दस्तावेज शामिल होते हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि आपकी संपत्ति का प्रबंधन और वितरण आपकी इच्छानुसार हो।

## वेल्थ मैनेजमेंट के लाभ

### 1. वित्तीय सुरक्षा
वेल्थ मैनेजमेंट आपके वित्तीय संसाधनों को संरक्षित करने और बढ़ाने में मदद करता है, जिससे आपकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ती है। यह आपको अप्रत्याशित वित्तीय संकटों से निपटने में सक्षम बनाता है।

### 2. लक्ष्यों की प्राप्ति
वेल्थ मैनेजमेंट आपकी वित्तीय योजना को संरचित करता है और आपके दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीतियाँ तैयार करता है। यह आपको वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करता है।

### 3. कर लाभ
एक सक्षम वेल्थ मैनेजर कर नियोजन के माध्यम से आपकी कर देनदारी को कम कर सकता है और आपको अधिकतम कर लाभ दिला सकता है।

### 4. समग्र वित्तीय प्रबंधन
वेल्थ मैनेजमेंट आपको एक समग्र वित्तीय दृष्टिकोण प्रदान करता है जो आपके सभी वित्तीय निर्णयों को एकीकृत करता है। यह आपके निवेश, खर्च, बचत और कर योजनाओं को एक सामंजस्यपूर्ण ढंग से संचालित करता है।

## वेल्थ मैनेजर की भूमिका

वेल्थ मैनेजर का काम आपके वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन और संवर्धन करना है। वे वित्तीय योजनाओं को विकसित करते हैं, निवेश रणनीतियाँ तैयार करते हैं, और वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आपको मार्गदर्शन करते हैं। एक वेल्थ मैनेजर आपके वित्तीय स्थिति का गहन विश्लेषण करता है और आपके लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर एक व्यक्तिगत योजना तैयार करता है। वे निरंतर आपके पोर्टफोलियो की निगरानी करते हैं और बाजार की स्थितियों के अनुसार उसमें बदलाव करते हैं।

## वेल्थ मैनेजमेंट रणनीतियाँ

### 1. पोर्टफोलियो विविधीकरण (Portfolio Diversification)
पोर्टफोलियो विविधीकरण निवेश जोखिम को कम करने का एक प्रभावी तरीका है। इसमें विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में निवेश शामिल है, जैसे स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, और रियल एस्टेट। यह रणनीति किसी एक निवेश में नुकसान होने पर आपके समग्र पोर्टफोलियो को स्थिर रखती है।

### 2. जोखिम प्रबंधन (Risk Management)
जोखिम प्रबंधन वेल्थ मैनेजमेंट की एक महत्वपूर्ण रणनीति है। इसमें आपके निवेश के जोखिम को पहचानना, मूल्यांकन करना, और उसे कम करने के उपाय शामिल हैं। सही जोखिम प्रबंधन से आप अपने निवेश को संभावित नुकसान से सुरक्षित रख सकते हैं।

### 3. संपत्ति संरक्षण (Asset Protection)
संपत्ति संरक्षण आपकी संपत्ति को कानूनी दावों और देनदारियों से सुरक्षित रखने का एक तरीका है। इसमें ट्रस्ट्स, बीमा योजनाएं, और कानूनी संरचनाएं शामिल होती हैं जो आपकी संपत्ति को सुरक्षित रखती हैं।

### 4. दीर्घकालिक दृष्टिकोण (Long-term Perspective)
वेल्थ मैनेजमेंट में एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए, दीर्घकालिक निवेश रणनीतियाँ आपके निवेश को समय के साथ स्थिरता और वृद्धि प्रदान कर सकती हैं।

### 5. सक्रिय प्रबंधन (Active Management)
अधिकांश वेल्थ मैनेजर सक्रिय प्रबंधन का अनुसरण करते हैं, जिसमें बाजार की स्थितियों के अनुसार निवेश पोर्टफोलियो में बदलाव करना शामिल होता है। यह रणनीति बाजार में आने वाले अवसरों का लाभ उठाने और संभावित नुकसान से बचने में सहायक होती है।

## निष्कर्ष

वेल्थ मैनेजमेंट एक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण है जो आपके वित्तीय संसाधनों का कुशल प्रबंधन और संवर्धन करता है। इसमें वित्तीय योजना, निवेश प्रबंधन, कर नियोजन, रिटायरमेंट प्लानिंग, और एस्टेट प्लानिंग जैसी सेवाएं शामिल होती हैं। एक कुशल वेल्थ मैनेजर आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है और आपको वित्तीय सुरक्षा और स्वतंत्रता प्रदान कर सकता है। सही वेल्थ मैनेजमेंट रणनीतियों का पालन करके आप अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित और समृद्ध बना सकते हैं।

15 मई 2024

जानकारी से होगी समाज में निवेश की चेतना विकसित

समाज में निवेश को लेकर जानकारी का बेहद अभाव है। निवेश के नाम पर हम परंपरागत तरीके को ही जानते हैं । निवेश वह विवेकपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें धन या संसाधनों को किसी ऐसे विकल्प में लगाया जाता है जो भविष्य में वित्तीय सुरक्षा, आय वृद्धि या आर्थिक लाभ प्राप्ति की संभावनाओं को बढ़ाता है । यह एक महत्वपूर्ण उपाय है जो प्रत्येक समझदार लोग अपनी वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनाते हैं।

निवेश के प्रकार

निवेश कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि:

 शेयर बाजार(Stock Market): 

शेयर मार्केट एक वित्तीय बाजार होता है जहाँ विभिन्न कंपनियों के Shares खरीदे और बेचे जाते हैं। यह एक प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है जहाँ Investors शेयरों को खरीद सकते हैं और जिसका मूल्य निर्धारित होता है।  शेयर मूल्य कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है । शेयर मार्केट एक अहम वित्तीय संसाधन के रूप में गिना जाता है, जो आर्थिक विकास और निवेश को समर्थन करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन होता है।

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए आपको पहले एक डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलना होगा, जो एक ब्रोकर के माध्यम से किया जा सकता है। फिर आप अपने निवेश के लक्ष्यों, धन की अवधि और रिस्क के साथ एक निवेश योजना बना सकते हैं। ब्रोकर के माध्यम से आप शेयर्स, म्यूचुअल फंड्स, या अन्य निवेश संबंधित उत्पादों में निवेश कर सकते हैं। ध्यान दें कि शेयर बाजार वोलेटाइल होता है, इसलिए निवेश करने से पहले समझ लें कि आपका निवेश अपनी आर्थिक स्थिति और लक्ष्यों के साथ मेल खाता है।शेयर बाजार में निवेश करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरण हैं:

अध्ययन करें: शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले हमें बाजार की समझ और बाजार के नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि बाजार कैसे काम करता है। सबसे अच्छा तब होगा जब हम खुद इसके बारे में अध्ययन करें। बहुत सारे ऐसे वीडियो और वेबसाइटस हैं जो हमें शेयर मार्केट के बारे में बहुत अच्छे से जानकारी देते हैं। 

निवेश की राशि का निर्धारण करें: शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि हमारे निवेश करने की क्षमता कितनी है। आपके निवेश की अवधि क्या होगी । 

ब्रोकर का चयन करें: हमें यह पता होना चाहिए कि हम डायरेक्ट शेयर मार्केट में इन्वेस्ट नहीं कर सकते, इसके लिए हमें एक अच्छे और विश्वसनीय ब्रोकर चुनने की जरूरत पड़ेगी। मार्केट में बहुत सारे ब्रोकर अपनी सेवाएं देते हैं। ब्रोकर की सेवाओं, शुल्कों, और सुविधाओं की तुलना करें और फिर अपने आवश्यकताओं के अनुसार एक चयन करें।

शेयर का चयन करें: निवेश के लिए शेयर का चयन करते समय,हमें विभिन्न उद्योगों, कंपनियों, और उनकी वित्तीय स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए। हमें उन कंपनियों का चयन करना चाहिए जिनके वित्तीय परिणाम अच्छे हैं और जो हमारे निवेश के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम प्रतीत होते हों। 

 निवेश आदेश दें: चयनित शेयर को खरीदने के लिए अच्छे समय का इंतज़ार करना चाहिए। सही समय आने पर अपने ब्रोकर को निवेश आदेश दें।  निवेश करने से पहले, शेयर मूल्यों का अध्ययन करना बेहद ज़रूरी है।

 निवेश को ट्रैक करें: एक बार जब आपने निवेश किया है, तो आपको निवेश को निरंतर ट्रैक करना चाहिए। शेयर मूल्यों का अध्ययन करें, विभिन्न आर्थिक गतिविधियों का ध्यान दें, और अपने निवेश के उद्देश्यों को पुनः समीक्षा करें।

यदि आप अच्छे तरीके से शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो एक वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें।

बैंक जमा(Bank Deposits):

बैंक डिपॉजिट एक प्रमुख और सुरक्षित निवेश विकल्प है। इसमें व्यक्ति अपने पैसे को बैंक में जमा करता है, जहाँ उसके द्वारा जमा किए गए धन को बैंक उसके लिए सुरक्षित रखता है और उसे ब्याज के रूप में देता है। इस प्रकार का निवेश विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो सुरक्षित और निश्चित आय की खोज में हैं। 

बैंक डिपॉजिट निवेश के कुछ मुख्य विशेषताएं हैं:

सुरक्षा: बैंक डिपॉजिट सुरक्षित निवेश होता है क्योंकि बैंक संबंधित नियमों के अनुसार निगरानी के तहत काम करते हैं और आमतौर पर सरकार द्वारा सुरक्षित होते हैं।

 

 लिक्विडिटी: बैंक डिपॉजिट को आसानी से निकासी की अनुमति होती है, जिससे इसे लिक्विड निवेश के रूप में भी जाना जाता है।

 

 नियमित आय: बैंक डिपॉजिट पर ब्याज के रूप में नियमित आय प्राप्त होती है, जो निवेशक को निश्चित रूप से उत्पन्न होती है।

 

 न्यूनतम निवेश की आवश्यकता: बैंक डिपॉजिट के लिए आमतौर पर न्यूनतम निवेश की आवश्यकता होती है, जिससे व्यक्ति छोटे राशि में भी निवेश कर सकता है।

इसके अलावा, बैंक डिपॉजिट निवेश के कुछ हानियां भी हो सकती हैं, जैसे कि कम ब्याज दर और इन्फ्लेशन के खिलाफ प्रतिक्रिया में भविष्य में कमाई की कमी। इसलिए, निवेशकों को अपने निवेश और वित्तीय लक्ष्यों के संदर्भ में बैंक डिपॉजिट की विभिन्न पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है।

 आवासीय निवेश(Real Estate): 

आवासीय निवेश एक प्रकार का निवेश है जिसमें व्यक्ति आवासीय संपत्ति के रूप में प्रॉपर्टी खरीदता है। यह निवेश विभिन्न रूपों में हो सकता है, जैसे कि घर, फ्लैट, अपार्टमेंट, विला, या कोई व्यावासिक प्रॉपर्टी।

आवासीय निवेश के कुछ मुख्य लाभ हैं:

 संचित धनराशि: आवासीय निवेश में प्रॉपर्टी की मूल्य में वृद्धि के साथ-साथ संचित धनराशि के रूप में भी लाभ मिलता है।

नियमित आय:यदि प्रॉपर्टी को किराए पर दिया जाता है, तो आवासीय निवेश से नियमित आय प्राप्त होती है।

अतिरिक्त आय: प्रॉपर्टी के मूल्य में वृद्धि के साथ-साथ, यदि आप इसे बाद में बेचते हैं, तो आपको अतिरिक्त आय भी मिल सकती है।

वित्तीय सुरक्षा आवासीय: निवेश एक वित्तीय सुरक्षित निवेश हो सकता है, जिसमें निवेशक के पास एक निश्चित संपत्ति होती है।

आवासीय निवेश के रूप में प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले, आपको बाजार की समीक्षा करनी चाहिए, संभावित आय की गणना करनी चाहिए, और बॉटम लाइन पर कैसे वित्तीय लाभ होगा यह ध्यान में रखना चाहिए।

 निवेश निधि(Mutual Fund): 

 म्युचुअल फंड वह फंड है जहां बहुत सारे लोगों का पैसा एक साथ लगा हुआ होता है। फिर, एक निवेश प्रबंधक(Fund Manager) उन पैसों को एक साथ लेकर विभिन्न जगहों में निवेश करता है, जैसे कि शेयर बाजार या बॉन्ड। इसका मतलब है कि जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आप वास्तव में किसी अन्य व्यक्ति के साथ पैसा जमा कर रहे होते हैं और उन्हीं के द्वारा प्रबंधित होते हैं। निवेश प्रबंधक आपके पैसे को बाजार की समझदारी के आधार पर निवेश करता है ताकि आपको मुनाफा मिल सके।

म्यूचुअल फंड इन्वेस्ट में कई फायदे हो सकते हैं। यहाँ कुछ मुख्य फायदे हैं:

1. समझदारी पूर्ण निवेश: म्यूचुअल फंड में निवेश एक्सपर्ट फंड मैनेजर के द्वारा किया जाता है, जो बाजार की गहरी जानकारी के साथ निवेश का निर्णय लेता है।

2. विभिन्न निवेश विकल्प: म्यूचुअल फंड विभिन्न निवेश विकल्पों में निवेश करने का सुविधाजनक माध्यम प्रदान करते हैं, जैसे कि शेयर बाजार, बॉन्ड, और सामग्री का निवेश।

3. निवेश का प्रबंधन: निवेश प्रबंधक का कार्य निवेशकों के लिए निवेश का प्रबंधन करना होता है, जिससे निवेशकों को बाजार की उन्नतियों का लाभ मिल सके।

4. लिक्विडिटी: म्यूचुअल फंड निवेश को खरीदने और बेचने के लिए आसान लिक्विडिटी प्रदान करते हैं, जिससे निवेशक अपने पैसे को आसानी से निकाल सकते हैं।

5. विनियमित निवेश: म्यूचुअल फंड निवेश करने से निवेशकों को नियमित रूप से निवेश करने की आवश्यकता नहीं होती है, जैसे कि SIP (Systematic Investment Plan) के माध्यम से निवेश किया जा सकता है।

 पेंशन योजना(Pension Plan) : 

भारत में विभिन्न प्रकार की पेंशन योजनाएं उपलब्ध हैं जो विभिन्न आयु और आय वर्ग के लोगों की जरूरतों को पूरा करती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पेंशन योजनाओं का विवरण दिया गया है:

1.अटल पेंशन योजना (APY)
   यह योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए है।
   इसमें 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन मिलती है, जो ₹1000 से ₹5000 प्रति माह तक हो सकती है।
   इस योजना में सरकार भी योगदान करती है।

2.राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS)
   यह योजना संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के लिए है।
    इसमें आप अपने कामकाजी जीवन के दौरान नियमित योगदान करते हैं और 60 वर्ष की आयु के बाद एक निश्चित पेंशन प्राप्त करते हैं।
  NPS में दो प्रकार के खाते होते हैं: Tier I (प्रारंभिक खाता) और Tier II (स्वैच्छिक खाता)।
   
3. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
    यह एक दीर्घकालिक निवेश योजना है जो पेंशन के रूप में भी काम कर सकती है।
    इसमें कर लाभ भी मिलते हैं और इसका लॉक-इन पीरियड 15 साल का होता है।
    यह योजना सुरक्षित और स्थिर रिटर्न प्रदान करती है।

4. एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF)
    यह योजना संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए है।
   इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों नियमित रूप से योगदान करते हैं।
    सेवानिवृत्ति के समय, जमा राशि और ब्याज एकमुश्त मिलते हैं।

5. वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS)
    यह योजना वरिष्ठ नागरिकों के लिए है जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के होते हैं।
    इसमें नियमित ब्याज भुगतान की सुविधा होती है और यह 5 साल की अवधि के लिए होती है, जिसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

6. प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM)
    यह योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए है जिनकी आयु 18 से 40 वर्ष के बीच है।
    60 वर्ष की आयु के बाद एक निश्चित मासिक पेंशन मिलती है।

इन पेंशन योजनाओं का उद्देश्य विभिन्न वर्गों के लोगों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है ताकि वे अपने बुढ़ापे में आर्थिक रूप से स्वतंत्र रह सकें। प्रत्येक योजना की अपनी पात्रता शर्तें और लाभ होते हैं, इसलिए व्यक्तिगत आवश्यकताओं और वित्तीय स्थिति के आधार पर सही योजना का चयन करना महत्वपूर्ण है।

कमोडिटी मार्केट मे निवेश :-

कमोडिटी वे उत्पाद होते हैं जो व्यापारिक रूप से बाजार में व्यापार किए जाते हैं, जैसे कि कृषि उत्पाद (अनाज, चीनी, तेल), धातु (सोना, चांदी), ऊर्जा (पेट्रोलियम, बिजली), और अन्य कच्चे माल (कच्चा तेल, गैस,लकड़ी)। ये सभी माल प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त किए जाते हैं और बाजार में व्यापार होते हैं। व्यापारिक कमोडिटी बाजार उन्हें खरीदने और बेचने का मंच प्रदान करता है।

क्रिप्टोकरंसी निवेश:-

क्रिप्टोकरेंसी निवेश का मतलब है वर्चुअल या डिजिटल मुद्रा के माध्यम से निवेश करना है। ये निवेश विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी जैसे कि बिटकॉइन, एथेरियम, लाइटकॉइन, और अन्य डिजिटल मुद्राओं में किया जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी निवेश का प्रमुख लक्ष्य मुद्रा के मूल्य में वृद्धि करना होता है। इसके अलावा, कुछ निवेशक क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करके लंबे समय तक धन की सुरक्षा या निवेश का उत्तरदायित्व उठाते हैं। यह निवेश बहुत उत्साही हो सकता है, लेकिन इसमें अधिक जोखिम भी होता है, जो की मूल्य की अचानक गिरावट के रूप में प्रकट हो सकता है।

कारपोरेट बॉन्ड्स(Corporate Bonds):

बॉन्ड्स पर निवेश एक विश्वसनीय तथा सुरक्षित निवेश विकल्प हो सकता है। बॉन्ड्स एक प्रकार का कर्ज होता है जिसमें निवेशक सरकार, कंपनी, या अन्य संस्थान से नियमित ब्याज के साथ निवेश करता है। इनमें निवेशक को नियमित ब्याज के साथ निवेश की रकम की वापसी मिलती है, साथ ही निवेश के अंत में मूल रकम की भी वापसी होती है। बॉन्ड्स की स्थिरता और नियमित ब्याज की वजह से यह निवेश विकल्प आमतौर पर निवेशकों के बीच लोकप्रिय है। 

NFO में निवेश

NFO का मतलब "न्यू फंड ऑफर" होता है। यह एक ऐसा ऑफर होता है जिसके तहत म्यूचुअल फंड कंपनी अपने नए म्यूचुअल फंड स्कीम को पहली बार लॉन्च करती है और निवेशकों को इसमें निवेश करने का मौका देती है। 

NFO का उद्देश्य निवेशकों को उस फंड में शुरुआती चरण में निवेश करने का मौका देना होता है, जिससे वे उस फंड के प्रारंभिक लाभ उठा सकें। यह एक तरीके का आईपीओ (Initial Public Offering) के समान होता है, लेकिन यह म्यूचुअल फंड्स के लिए होता है।

IPO में निवेश

IPO का मतलब "Initial Public Offering" होता है। यह एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक निजी कंपनी पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने शेयर जारी करती है और शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो जाती है। IPO के माध्यम से कंपनी अपने शेयर निवेशकों को बेचकर पूंजी जुटाती है।


शेयर मार्केट को लेकर आमतौर पर कई गलत धारणाएँ होती हैं। इन्हें सरल और स्पष्ट तरीके से समझाते हैं:

1. शेयर मार्केट जुआ है
शेयर मार्केट जुआ नहीं है। यह एक निवेश का साधन है, जहां आप किसी कंपनी में हिस्सेदारी खरीदते हैं। अगर आपने सही जानकारी और रिसर्च के आधार पर निवेश किया है, तो यह दीर्घकालिक संपत्ति बना सकता है।


2. यह केवल अमीरों के लिए है
यह धारणा गलत है। आज के समय में आप 100 रुपये जैसी छोटी राशि से भी निवेश शुरू कर सकते हैं। निवेश हर किसी के लिए है, बस सही समझ और योजना की जरूरत है।


3.शेयर मार्केट में पैसे हमेशा डूबते हैं
शेयर मार्केट में पैसे तभी डूबते हैं जब आप बिना जानकारी और जल्दबाजी में निवेश करते हैं। धैर्य और सही रणनीति से आप अच्छा लाभ कमा सकते हैं।


4.यह तुरंत अमीर बनाने की जगह है
शेयर मार्केट आपको रातों-रात अमीर नहीं बना सकता। यह दीर्घकालिक निवेश का साधन है, जो समय के साथ अच्छा रिटर्न देता है।


5.शेयर मार्केट समझना बहुत मुश्किल है
यह पूरी तरह सच नहीं है। थोड़ा समय देकर और बेसिक चीजें समझकर आप शेयर मार्केट को आसानी से समझ सकते हैं। आज ऑनलाइन कोर्स और मोबाइल एप्लिकेशन इसे और भी आसान बना देते हैं।

सारतत्व
शेयर मार्केट सही जानकारी, धैर्य और समझदारी से निवेश करने की जगह है। अगर आप इसे जुआ समझते हैं या जल्दबाजी करते हैं, तो जोखिम ज्यादा होगा। लेकिन सही दृष्टिकोण अपनाकर आप अपने भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं।

12 मई 2024

कल को हम आज कैसे नष्ट कर रहें हैं।

कल को नष्ट करने के बजाय, आज को सही से जीने का समय है। आप अपने आज को बेहतर बनाएं और अपने लक्ष्यों की ओर प्रगति करें।

इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं ,

एक उदाहरण है कि मान लीजिए आप आज से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए आप सुबह व्यायाम कर सकते हैं, स्वस्थ भोजन खा सकते हैं और अपने मन को शांत और प्रसन्न रखने के लिए ध्यान कर सकते हैं। इससे आपका आज बेहतर और संतुलित होगा, और आने वाले कल को भी प्रभावित करेगा। आप आज के दिन में अपने कार्यक्रमों को संगठित रूप से पूरा कर सकते हैं। अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, समय प्रबंधन करें और अपने लक्ष्यों की दिशा में प्रगति करें। यह आपको न केवल आज को बेहतर बनाएगा, बल्कि आपके भविष्य को भी सशक्त बनाएगा।

आप अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिता सकते हैं। उनके साथ बातचीत करना, उनका साथ लेकर कुछ मजेदार कार्यों में भाग लेना और उनके साथ साझा करना आपको आज को यादगार बना सकता है। इससे आपके संबंध मजबूत होते हैं और आपका मन भी प्रसन्न रहता है। आप आज को किसी नए कौशल का सीखने का मौका भी देख सकते हैं। यह आपके जीवन में नए दरवाजे खोल सकता है और आपको नई स्थितियों में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

बहुत सच है कि कई लोग कल को आज ही बर्बाद कर रहे हैं। यह कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं:

  • कम्फर्ट जोन : कुछ लोग अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने में कठिनाई महसूस करते हैं और उनकी यह स्थिति उन्हें आज को सही से नहीं जीने देती है।
  • भविष्य की चिंता: कई लोग अपने भविष्य की चिंता करते हैं और इसके चलते वे आज के मौके का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
  • प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना: कई बार लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके आज को प्रभावित कर सकती है।

अव्यवस्था और अनियमितता: कुछ लोगों की अव्यवस्था और अनियमितता उन्हें आज को सही से नहीं जीने देती है, क्योंकि वे अपने समय को सही ढंग से प्रबंधित नहीं कर पाते हैं।यह सभी कारण लोगों को आज के मौके का उपयोग करने में बाधा डाल सकते हैं और उन्हें कल को बर्बाद करने में सहायक हो सकते हैं।अव्यवस्था और अनियमितता वाले लोग अक्सर आज को सही से नहीं जीते हैं क्योंकि उनकी दिनचर्या में निर्धारितता और संगठन की कमी होती है। इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि:

  • समय का बर्बाद: अव्यवस्थित लोग अपने समय को अप्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं। वे अपने कार्यों को टालते रहते हैं, जिससे उन्हें काम करने के लिए कम समय मिलता है और उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता है।

  • स्थितिगत चिंता: अव्यवस्थित लोगों को अक्सर चिंता होती है कि क्या करना है और कैसे करना है। इससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित होती है और वे अपने कामों में उत्साह नहीं दिखाते हैं।

  • कार्य दक्षता में कमी: अनियमित और अव्यवस्थितता के कारण, अव्यवस्थित लोग अक्सर अपने कार्यों में प्रभावी नहीं होते हैं। इससे उनकी कार्यदक्षता में कमी आती है और उन्हें सफलता प्राप्त करने में मुश्किलें होती हैं।

  • संबंधों में अस्थिरता: अव्यवस्थित और अनियमितता के कारण, इन्हें अक्सर अपने संबंधों में भी अस्थिरता महसूस होती है। वे अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने में कम सक्षम होते हैं, जिससे उनके संबंध कमजोर हो सकते हैं।इसलिए, संगठन और नियमितता को अपने जीवन में शामिल करके लोग अपने आज को सही से जी सकते हैं और कल की भी तैयारी कर सकते हैं।
  • अप्रभावी विनियोजन: समय का अप्रभावी विनियोजन करना, जैसे कि अत्यधिक समय तक टीवी देखना, सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करना, या अनावश्यक गपशप करना।अप्रभावी कार्यक्रम: कई बार हम अप्रभावी कार्यक्रमों में समय बर्बाद करते हैं, जैसे कि बिना वजह लंबे धीमे चल रहे मीटिंग्स या अनपेक्षित शौकों में समय बिताना।

  • स्थितिगत आवश्यकताओं की अनधिकरण: हम अक्सर समय को स्थितिगत आवश्यकताओं के लिए खो देते हैं, जैसे कि अत्यधिक समय तक ट्रैफिक में खड़े रहना, व्यावसायिक यात्राओं में अधिक समय लगाना इत्यादि।उत्पीड़न या निराशा: कई बार हम अपने आप को उत्पीड़ित या निराश महसूस करके समय को बर्बाद करते हैं, जिससे कि हम अपने कार्यों में ध्यान नहीं दे पाते हैं।

निजी सामान को इधर-उधर रखना भी समय का एक तरीका है। यह बाधक हो सकता है क्योंकि जब हम अपने सामान को इधर-उधर रखते हैं, तो हमें फिर उसे ढूंढ़ने में समय लगता है। इससे हमारी काम की प्रक्रिया में विघ्न आता है और हमें अनावश्यक समय बर्बाद होता है।इस समस्या को सुलझाने के लिए, यह उपयुक्त हो सकता है कि हम अपने निजी सामान के लिए एक निर्धारित स्थान निर्धारित करें और उसे वहाँ ही रखें। इसके लिए व्यक्तिगत आयामों के आधार पर अलग-अलग संगठन और स्टोरेज समाधानों का उपयोग किया जा सकता है।साथ ही, हमें अपने सामान को वापस उसी स्थान पर रखने की आदत डालनी चाहिए, ताकि हमें बार-बार उसे खोजने की जरूरत न हो। इस तरह, हम समय को सही से प्रबंधित कर सकते हैं और अपने काम को स्मूथली और अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं।


अव्यवस्था और अनियमितता एक गलत आदत होती है जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। यह आदत हमें अपने कामों को समय पर नहीं करने की प्रवृत्ति देती है, जिससे हमारे लक्ष्यों तक पहुंचने में बाधा होती है। इससे हमें अपने कामों में प्रतिबद्धता कम होती है और हमें समय प्रबंधन में समस्याएँ होती हैं।अव्यवस्था और अनियमितता के कारण हम अपने लक्ष्यों को समाप्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं और अक्सर हमें अपने कार्यों को टालने की आदत होती है। इससे हमारे परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और हम अपनी कार्यदक्षता में कमी महसूस करते हैं।इस गलत आदत के कारण हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में भी संघर्षमय स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। अव्यवस्था और अनियमितता से निपटने के लिए हमें संगठन और नियमितता को अपने जीवन में स्थापित करने की आवश्यकता होती है।



05 मई 2024

प्रकृति तब भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी

प्रकृति तब भी थी, जब हम मे से कोई नहीं थे। प्रकृति अभी भी हैं, जब हम सभी हैं। प्रकृति तब भी रहेगी, जब हम मे से कोई भी  नहीं होंगा। एक प्रकृति ही है जो हमेशा ही रहने वाली है। ब्रह्माण्ड में जब तक पृथ्वी अस्तित्व मे रहेगी, प्रकृति की अस्तित्व जुड़ी हुई रहेगी। प्रकृति सिर्फ़ और सिर्फ देना जानती है, लेना नहीं। बावजूद इसके, प्रकृति को सिर्फ़ हमने लूटा बहुत है।  संतुलन को हम बिगड़ रहे है। प्रकृति संवर्धन करने के ऊपर हमने कभी ध्यान दिया ही नहीं। हमारे समाज में एक बहुत ही अच्छी कसौटी काम करती है चाहे आप किसी भी परिवेश में हो। वह कसौटी है गिव एंड टेक(Give and take) अगर आपको समाज से कुछ लेना है तो पहले आपको कुछ देना पड़ेगा। अगर आपको सिर्फ लेना आता हो और देना नहीं आता, तो रिश्ते समाप्त होने में ज्यादा टाइम नहीं लगता। गिव एंड टेक की कसौटी हमारे और प्रकृति के बीच भी  same तरीके से काम करती है। प्रकृति से हमने तो सिर्फ ले ही रहें हैं, बदले में कुछ नहीं दिया। बदले का मतलब प्राकृतिक संवर्धन के ऊपर काम नहीं कर रहे हैं जिस लेवल से काम होनी चाहिए। 

विकास के नाम पर हम प्राकृतिक संसाधनों का बेइंतीहा दोहन कर रहे हैं।विकास करना भी  जरूरी है लेकिन किस कीमत पर।इनमें से ज्यादातर ऐसे संसाधन हैं जो दुबारा नहीं बनने वाले और ना ही मिलने वाले। हमे ग्रीन एनर्जी, रीसाइक्लिंग और इको सिस्टम पर ध्यान देना होगा।जियो और जीने दो की नीति अपनानी होगी जहाँ तक संभव हो। पेड़ कट रहे हैं,जंगल के जंगल साफ़ हो रहें। माना की जरूरत है। लेकिन जिस अनुपात में कटे, उसका भरपाई भी तो होना चाहिए। वृक्षारोपण की दर ,कटने की दर से ज्यादा भी हो लेकिन कितने पौधे हैं जो पेड़ बने। पौधे लग तो गए पर पेड़ बन नहीं पाए। 

प्रकृति के चार सबसे बड़े अंग हैं जो सीधे हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। मिट्टी, पानी, हवा और पेड़ पौधे। 
जीवन का शुरुआत प्रकृति से ही होता है। प्रकृति से ही हम सभी जीवों का भरण - पोषण होता है। अंत में प्रकृति में ही विलीन हो जाते हैं। सच मायने में अगर बोला जाए तो हम सभी प्रकृति के ही तो अंश हैं। 

प्रकृति ही हमारे जीवन का आधार है। रहना, खाना, पानी और हवा प्रकृति से ही हमें मिल रही है। यह हमेशा ही रहने वाली है, शाश्वत हैं। प्रकृति  जैसा है, वैसे ही बचा कर रखना, हम सबकी, सबसे बड़ी परम कर्तव्य होनी चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कितने ही लोग हैं जो प्रकृति के ऊपर बात करते हैं। यह तो प्रत्येक इंडिविजुअल व्यक्ति की जिम्मेवारी होनी चाहिए। हम में से बहुत ही कम ऐसे लोग होंगे जो कभी प्रकृति संरक्षण के ऊपर कुछ भी काम किया हो। हमें तो जरा भी एहसास नहीं होता है कि हम प्रकृति को किस कदर  नुकसान पहुंचा रहे हैं। 

मिट्टी प्रकृति का सबसे महत्वपूर्ण अंग है । बाकी के जितने भी प्रकृति के अंग हैं सभी मिट्टी से ही जुड़े हुए हैं।  जनसंख्या बढ़ती ही जा रही है और उसका बोझ मिट्टी पर पड़ रहा है। रहने के लिए घर चाहिए। खाने के लिए अन्न चाहिए। खेती योग्य जमीन सीमित हो रही है। प्रति इकाई क्षेत्रफल पर ज्यादा से ज्यादा पैदावार चाहिए लगातार। पैदावार अच्छी और ज्यादा हो, इसके लिए  लगातार रसायनिक खादों और कीटनाशी का उपयोग कर रहे हैं। मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता समाप्त हो रही है। मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता बढ़ाने वाली सूक्ष्म जीव, जो कि मिट्टी में ही पाई जाती है, नष्ट हो रही है। अब स्थिति यह है कि बिना रासायनिक खादों के फसल हो ही नहीं सकती। 

इससे भी ज्यादा नुकसान मिट्टी को कारखानों से निकलने वाली शोधन रहित रसायन युक्त पानी से होती है। यह मिट्टी को पूरी तरह से उसर बना देती है। इसके अलावा शहरों एवं कस्बों से निकलने वाली टार जैसे दिखने वाली  बदबूदार काला पानी से होती है। इस पानी का जल जमाव जहां भी होता है यह मिट्टी के ऊपरी परत को पूरी तरह से ढक देती है । यह मिट्टी को दलदल बना देता है। यह मिट्टी बाद में फिर किसी काम की नहीं रह जाती।मिट्टी के बनने में सालों का समय लगता है। इस समय को हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक कचरा बढ़ा देता है। यह प्लास्टिक कचरा कभी नहीं सड़ती और मिट्टी की संगघ टन को बिगाड़ देती है। 

पानी जो कि प्रकृति में जीवन देने का काम करता है, इसकी स्वच्छता के बारे में कोई नहीं सोचता। हाउसहोल्ड और छोटी बड़ी सभी फैक्ट्रियां पानी को दूषित करती है। यह पानी इतनी दूषित हो जाती हैं कि जलीय जीव और जलीय पौधे तक मर जाते हैं। ऊपर से जितने भी सड़ने गलने वाली कचरा होते हैं उनको भी पानी में ही डाल देते हैं। हमने अपने जीवन को सुगम बनाने के लिए प्रकृति के स्वास्थ्य को बिल्कुल ही बिगाड़ के रखा हुआ है। हम पानी को जितना उपयोग नहीं करते उससे कहीं ज्यादा पानी को दूषित करते हैं।जल ही जीवन कहा  तो जाता है लेकिन हमारे पास उपलब्ध ज्यातर पानी हमारे किसी काम का नहीं। रीसाइक्लिंग और फिल्ट्रेशन की कोई कार्य योजना नहीं है। 

घर से निकलने वाली कचरे के निपटारण का कोई कार्य योजना हमारे पास नहीं है। दिनों दिन कचरे का पहाड़ बड़ा होता जा रहा है। कचरा सेरिगेशन का कोई तरीका काम नहीं करता। विदेश में जिस तरह से कचरा का प्रबंध किया जाता है और उसका उपयोग सड़क बनाने में की जाती है हमारे यहां इस तकनीक पर तो कोई काम ही नहीं होता। हमारे यहां  कचरा का निपटारण उसके ऊपर आग जलाकर कर दी जाती है। न जाने कितने महीने वह जलती ही रहती है और धुवें से वह इलाका  टप जाता है। प्रकृति के स्वच्छ अबो हवा को हम दूषित करते रहे हैं। इसके लिए दोषी कौन है। दूषित तो प्रकृति हो रही है ना प्रकृति किसका है जो किसी को कोई दिक्कत हो। हमारा घर का थोड़ी है प्रकृति। प्रकृति को ठीक रखने का जिम्मेवारी सरकार का है या फिर प्रत्येक इंडिविजुअल का। 

फौज में साफ सफाई और एरिया मेंटेनेंस को लेकर एक बहुत ही अच्छी बात है। वह बात है, सप्ताह में एक दिन अपने लाइन एरिया, बैरक एरिया और रेजिडेंशियल एरिया में  साफ़ सफाई होती जरूर है। और एक सक्षम अधिकारी उसे साफ सफाई का रिपोर्ट जरूर लगता है। दोषी कार्मिक के ऊपर कुछ ना कुछ दंडात्मक कार्रवाई जरूर होती है। प्रकृति का मतलब हम कुछ और ही समझ लेते हैं। हम अपने चारों ओर से प्रकृति और प्राकृतिक चीजों से गिरे हुए हैं। अगर हम प्रत्येक लोग अपने ही घर , कार्यालय , दुकान और फैक्ट्री के चारों ओर साफ सफाई रखें और कचरे का सही निपटारण करें तो प्रकृति अपने आप साफ हो जाएगी। 

हमारी एक बहुत बड़ी गलत आदत है की बाहरी साफ सफाई की पूरी जिम्मेदारी सरकार के ऊपर छोड़ देते हैं। सरकार बिना आम आदमी के सहभागिता के कुछ भी नहीं कर सकती। बाहरी साफ सफाई को लेकर हम एक दूसरे का आसरा जोहाेते  हैं। हमारे घर के चारों ओर गंदगी पसरी हुई हो, नाली का पानी सड़क में जा रही हो, लेकिन हम इसी नर्क में रहने के लिए अपने आप को अभयस्थ कर लेते हैं मग़र सफाई मे कोई पहल नहीं करते। क्योंकि हमें अपने वातावरण और अपने परिवेश की कोई कदर ही नहीं है। 

हमारी सरकार ने साफ सफाई को लेकर, सफाई अभियान के नाम पर बहुत अच्छा मोहिम चलाया है। ताकि देश की जनता, अपने परिवेश की साफ सफाई को लेकर जागरूक हों । लेकिन हमने साफ सफाई के इस मोहिम को गलत समझा। यह मोहिम कैमरा तक ही सीमित रह गई। कैमरे में बहुत सफाई हुई और बहुत पेड़ लगाए गए। लेकिन परिणाम क्या मिला। हमें पर्यावरण के प्रति सच्चा प्रेम और लगाव होना चाहिए। सिर्फ दिखावा के लिए नहीं । असली सफाई तब मानी जायेगी ,जब  कैमरे की नजर आप पर ना हो और आप सफाई कर रहे हो। 

आज की भाग दौड़ वाली जिंदगी में मनोरंजन के लिए अनेक भौतिक साधन हमारे पास उपलब्ध है। इन साधनों का उपयोग कर, हम अपने मन की थकावट को दूर करने की कोशिश करते हैं। इन सब के बावजूद मन की थकावट दूर नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में हमें अक्सर हरे पेड़ पौधों की हरियाली,   पशु पक्षियों की गूंजती किलकारियां, सुनसान छायादार सड़के, बादल ओढें पहाड़, बर्फ की सफेद चादर, कल कल करती नदियां, झरने, ताल, सागर हमें अपनी ओर खींचती हैं। जो शांति और सुकून की अनुभूति प्रकृति की गोद में हमें मिलती है वह अद्वितीय है। वह कहीं और नहीं मिलेगी। हमारी सारी मानसिक थकान इस प्राकृतिक माहौल में विलीन हो जाती है। हमारा मन मस्तिष्क पूरी तरह से फ्रेश और रिचार्ज हो जाता है। 
जब आप दुखी और निराश हो तो प्रकृति के शरण में चले जाओ। अकेले में प्रकृति के बीच में बैठो। जब आप वहां से लौटोगे तब आप वह नहीं होंगे जो आप पहले थे। आप अपने आप को पूरी तरह से बदला हुआ महसूस करोगे। मन में गजब की स्फूर्ति आ जाएगी। उस वजह को भूल जाओगे जिस वजह से आपको मानसिक थकान हुई थी। 
जिससे हमारी स्वास्थ्य सुधरती है ,उसका स्वास्थ्य को हम क्यों बिगड़ रहे हैं। 

दुनियां में आदिवासी समाज ही एक ऐसी समाज है जो हमेशा से ही जल जंगल और ज़मीन की लडाई लड़ते आ रहे हैं। क्योकि वो ये बखूबी जानते हैं कि प्रकृति क्या है और मानव के लिए इसकी importance क्या है। इस लडाई को अभी तक,कभी भी किसी और का साथ नहीं मिला।प्रकृति को बचाने के लिए धरती के हर कोने पर अकेला ही लड़ता रहा। इस लडाई के पीछे की वजह क्या है , का जवाब समय एक दिन हमे जरूर देगा। दुनिया को एक बार जरूर प्रकृति को आदिवासियों की नज़र से देखनी चाहिए। 

ऐसे पर्व त्योहार और कार्यक्रम जो प्रकृति संरक्षण की बात करता हों, जिसमे प्रकृति की महत्व की गुणगान हो। ऐसे पर्व त्योहार और कार्य क्रम को सरकार के बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आदिवासियों के द्वारा मनाये जाने वाले ज्यादातर त्यौहार प्रकृति पर ही आधारित होती है। इन त्योहारों को बड़े धूमधाम से मनाया भी जाता है। 

हमें प्रकृति संरक्षण के ऊपर छोटे-छोटे स्पेशल कोर्स डेवलप करना चाहिए। इस कोर्स को करना सबके लिए अनिवार्य हो। नियमित प्राकृतिक संरक्षण के ऊपर कार्यशाला का आयोजन होते रहना चाहिए। हम अपने हाइजीन एंड सेनिटेशन के ऊपर ध्यान तो खूब देते हैं लेकिन प्रकृति के हाइजीन एंड सैनिटेशन के ऊपर हमारा ध्यान बिल्कुल भी नहीं है। हम अपने घर को साफ रखना तो जानते हैं लेकिन बाहर गंदगी फैलाते हैं।

हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली घरेलू कचरा प्रकृति के स्वास्थ्य को बिगड़ती है। एक ऐसी अथॉरिटी की जरूरत हैं, जो गंदगी फैलाने वालों के ऊपर सुपरविजन रखें। एक ऐसी व्यवस्था हो जो गंदगी फैलाने वाले के ऊपर जुर्माना लगा सके। जैसी की  ट्रैफिक पुलिस यातायात के नियमों को तोड़ने वालों के ऊपर चलन करता है। ऐसे नियम शक्ति से पालन हों। 

अगर हमें प्रकृति को स्वच्छ रखना है तो ऊर्जा के जो मुख्य स्रोत (कोयला और पेट्रोलियम )हैं उस पर हमारी निर्भरता कम हो। इनके इस्तेमाल से हमें ऊर्जा ज्यादा तो मिलती है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस भी उत्पन्न होती है जो कि प्रकृति के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इसे हमारी पृथ्वी गर्म हो रही है। मौसम चक्र में इसका असर दिख रहा है। ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों के ऊपर निर्भरता को धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए। ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना चाहिए। हमें ऐसी तकनीक को विकसित करना चाहिए जिससे ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों से ही हमें अधिक से अधिक ऊर्जा मिल सके। सरकार को चाहिए कि जो लोग ग्रीन एनर्जी का ज्यादा उपयोग करते हैं उसको ट्रैक्स में छूट दिया जाए या फिर उन्हें सम्मानित किया जाए। 
प्रकृति हमें अपने ओर खींचती है। 
क्योंकि हम प्राकृतिक तत्वों के साथ गहरा संबंध रखते हैं। और हमारे जीवन के लिए प्राकृतिक माहौल अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यहां कुछ कारण हैं:
आराम और शांति: 
प्रकृति का साथ हमें शांति और सकारात्मकता की अनुभूति कराता है। जंगलों, पहाड़ों, नदियों, और समुद्रों के माध्यम से हम आराम और चैन का अनुभव करते हैं।
स्वास्थ्य लाभ: 
प्रकृति में समय बिताने से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लाभ होता है। सूर्य की रोशनी, हवा का शुद्धिकरण, और प्राकृतिक वातावरण में गतिविधियों का हिस्सा बनने से हमें उत्तेजना और स्वस्थ रहने का अनुभव होता है।
संतुलन और उत्साह:
 प्रकृति हमें संतुलन और सहयोग की अनुभूति कराती है। विभिन्न प्राकृतिक दृश्य और वातावरण हमें उत्साहित करते हैं और हमारे जीवन में संतुलन को स्थापित करने में मदद करते हैं।
संवेदनशीलता और सम्बंध: 
प्रकृति हमें संवेदनशीलता की अनुभूति कराती है और हमें हमारे पर्यावरण के साथ संबंध बनाने में मदद करती है। इससे हम प्राकृतिक संबंधों को महसूस करते हैं और अपने पर्यावरण के प्रति सावधान और सहयोगी बनते हैं।

सरकारी संस्थानों, गैर सरकारी संस्थानों, शैक्षिक संस्थानों और धार्मिक संगठनों के द्वारा समय- समय पर वृक्षारोपण करते रहती है। लेकिन उचित देखरेख के अभाव में पौधे बडे नहीं हो पाते। वृक्षारोपण करना जितना ज़रूरी है, उससे भी कहीं ज्यादा ज़रूरी उनका देख रेख करना है। 



हमें एक ऐसी नीति पर काम करना होगा, जिस नीति के तहत पेड़ भी कटे, खनन  भी हो, उद्योग धंधे भी चले,मशीनें भी चले, विकास का कार्य भी हों, लेकिन इस बात पर पूरी ध्यान रखा जाए कि प्राकृतिक संतुलन के ऊपर कोई आंच ना आ पाए। इको सिस्टम हमें विकसित करनी ही पड़ेगी। विकास हमें करनी है लेकिन प्रकृति को दांव में लगाकर नहीं। 



 





01 अप्रैल 2024

एक संदेश समाज के नाम

पेड़ लगाकर हों किसी भी कार्यक्रम का शुभ आरंभ

जो प्रकृतिवादी हैं, जो अपने आपको प्रकृति पूजक कहते हैं , उनका तो प्रकृति संरक्षण में सबसे बड़ा हाथ होना चाहिए । हर पर्व - त्योहार या किसी भी कार्यक्रम का शुरूवात पेड़ लगाकर करना चाहिए। चाहे वह शादी - विवाह हो, त्योहार हो या जन्म दिन हो। इन सब मौकों का शुरूवात वृक्षारोपण के साथ करना चाहिए। क्यों कि वृक्ष ही प्रकृति का गहना होता है। शृंगार को बनाएं रखना हमारे अस्तित्व को बनाएं रखने जैसा है। तभी हम सही मायने में प्रकृति पूजक कहे जाएंगे। 

अपने सुपर फूड का संवर्धन करें

जिस लजीज प्राकृतिक  खान पान के कारण हमारे पूर्वज तंदुरुस्त और निरोग हुआ करते थे । आज हमें उसका स्वाद पसंद नहीं है। हमारे बच्चों ने तो उसका स्वाद चखा ही नहीं कभी और न हमने कभी बताना ज़रूरी ही समझा। जैसे कि कटाई साग, फुटकल साग, कोईनार साग, बेंग साग, चाकोड साग, और न जाने कितने ही है। फिलहाल यह हमारे मेनू से गायब है। यह आदिवासी सुपर फूड हमारे प्रति रक्षा प्रणाली को बूस्ट करने का काम करती है। यह सुपर फूड विटामिन और मिनरल्स का भंडार है। अब यह हमारी जिम्मेवारी है कि इन सुपर फूड का संवर्धन करें और इन्हें बचा कर रखें। और इससे भी ज्यादा जरूरी का बात यह है कि इसे अपने मेनू में शामिल करें।

आदिवासी Millets(श्री अन्न )

आज से दो दसक पहले  तक हम अपने खेतों में  Millets का भरपुर उत्पादन किया का करते थे।बाजारीकरण और low demand के कारण उत्पादन ख़तम हो गया । अभी स्थिति यह है कि ये Millets हमारे थाली से गायब है। हमारे पूर्वज इसकी उपयोगिता बखूबी समझते थे। वे Millets हैं मडुवा, गोडा(रेड rice) , गोंदली और करहाईन धान(ब्राउन राइस)  जो कि हमारे क्षेत्र में बहुत तायत में उगाई जाती थी। कहाँ चले गये ये सब। लाइफ़स्टाइल मोडिफिकेशन के कारण बहुत बड़ी जनसंख्या ओबिसिटी, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्रॉल ,  ट्राइग्लिसराइड और ब्लड सुगर से जूझ रही है। आदिवासी मिलेट्स इन बीमारियों में फूड सप्लीमेंट के रूप में सबसे अच्छा विकल्प है। हमारे पूर्वज इन बीमारियों से कभी पीड़ित नहीं हुए। हमारे पूर्वज श्रीअन्न को, अन्न के रूप में खाते थे और हम अभी दवाइयां को अन्न रूप में खा रहे हैं। इसकी इंपॉर्टेंस को समझते हुए हमारी सरकार ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मना रहा है । अपने प्रति रक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए अपने पूर्वजों के बताएं फूड को अपने मेनू में शामिल करना होगा। 

बेटी के पढ़ाई में ध्यान नहीं देना

बेटे की चाह में बेटियों की संख्या को बढ़ा देना। आखिर बेटे की ही चाह क्यों। जबकि सेंस ऑफ रिस्पांसिबिलिटी लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में ज्यादा होती है। जब बात पढ़ाई की आती है तो हम बेटियों के ऊपर कम ध्यान देते हैं बेटों की अपेक्षा। जब परिवार बेटों में बटती हैं तो माता-पिता का सेवा सबसे अच्छा बेटियां ही करती है। जागरूक बेटियों से जागरूक समाज का निर्माण होता है। हमें बेटों और बेटियों दोनों को ही आगे बढ़ने का बराबर मौका देना चाहिए।

गुणवत्ता रहित मानव संसाधन

जब गुणवत्ता पूर्ण मानव संसाधन निर्माण का समय होता है। तब हमारे समाज की युवा शक्तियां गलत आदतों और नशा पान के गिरफ्त में आ जाते हैं। हमारे समाज ने ड्रिंक एंड ड्राइव के कारण कई एक जिंदगियां खोई है। कई एक ऐसे फूल थे जो खेलने से पहले ही मुरझा गए। 
गुणवत्ता रहित मानव संसाधन एक मजदूर समाज का निर्माण loudकरता है। स्किल्ड वर्कर नहीं होने के कारण हम हमेशा प्राथमिक कार्यों में ही लगे रह जाते हैं। और समाज गरीबी के जंजाल में फंस जाता है जो फिर कभी जीवन के उच्चतर स्तर को छू नहीं पता । गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन से परिपूर्ण समाज को ही देश दुनिया पूछती है।

देश को आपकी ईमानदारी और सादगी पसंद है।

 ईमानदारी सादगी और उदारता हम आदिवासियों मे कूट कूट कर भरी हुई है।ये हम आदिवासियों के मुख्य आभूषण है। पूरी दुनिया इन गुणों का सम्मान करती है। हमारे इन्हीं गुणों का जरूरत देश के विकास में भी है। तो क्या आपको मुझे और हम सभी को देश विकास में इन गुना का उपयोग नहीं करना चाहिए? लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हम मानव संसाधन विकास के ऊपर ध्यान नहीं देते और मुख्य धारा में जुड़ नहीं पाते और अपनी बुनियादी कामों में लगे रहते हैं। देश को वह गुण नहीं मिल पाती जो आप में है।

यूनीफामिटी के बिना आदिवासी डांस संभव नहीं

आदिवासी नृत्य बिना यूनीफामिटी के संभव ही नहीं है। आदिवासी सांस्कृतिक नृत्य एक अकेले का नहीं होता। आदिवासी नृत्य लोगों  के समूह का नृत्य है। समूह के बिना नृत्य हो ही नहीं सकती।यह नृत्य समूह का पूरक है। आदिवासी नृत्य सोलो डांस परफॉर्मेंस नहीं है। नृत्य में सिंक्रोनाइजेशन की जरूरत पड़ती है। एक साथ आगे बढ़ा जाता है।एक साथ पीछे लौट जाता है।एक साथ झुक जाता है। एक साथ खड़ा हुआ जाता है।  नृत्य में  कोऑर्डिनेशन ऐसा है की ना तो किसी का हाथ लड़ता है ।ना तो किसी का पैर लड़ता है ना कोई खींचातानी होती है और न कोई टक्कर ही होती है। आदिवासी नृत्य भीड़ कितनी है, में मैटर नहीं करता।
आदिवासी नृत्य सामूहिक एकता, कोऑर्डिनेशन और सिंक्रनाइजेशन का बहुत ही बेहतर उदाहरण है। 
लेकिन हम आदिवासियों में यह गुण क्यों नहीं है। लोगों के बीच वैचारिक विविधता क्यों है। लोगों के बीच में परस्पर एकता का अभाव क्यों है। हमें हमारे पूर्वजों से प्राप्त सांस्कृतिक विरासत से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।

हम अपने पुरखों के बताये रास्ते के उलट चल रहें हैं। 

इस संदर्भ में मैं आपको हमारे समाज में गाए जाने वाली पवित्र प्रार्थना(सिरा सीता नाले) की एक लाइन की चर्चा करने जा रहा हूं। वह लाइन इस प्रकार से हैं। नमहय पुरखर नशा पानी मला ओना लग गीयर। आर गुशन सादा धरम रहे चा। ईमन धरम रहेचा। सीधे-सीधे धर्मेश सीन पूजा नना लागियर। 
यह लाइन हम सबको याद तो होगा ही। वर्तमान परिदृश्य में इस लाइन की कितनी प्रासंगिकता है हमारे समाज में। तो क्या हमें नहीं लगता है कि हम अपने पूर्वजों के बताएं रास्ते के उलट है। इस बात से यह साबित होता है कि हमारे पूर्वज नशाखोरी के खिलाफ में थे। तब फिर ,नशाखोरी कैसे, कब, क्यों और किसके द्वारा हमारे संस्कृति का अटूट हिस्सा बन गया। आप हमें बताइए नशाखोरी की पैठ हमारे समाज में कहां तक है। जन्म मे, शादी विवाह में, पर्व त्यौहार में, धार्मिक अनुष्ठानों में और दुःख में। इसकी पहुँच कहाँ नहीं है। सच मायने में अगर कहा जाय तो हमारा समाज नशाखोरी के जबड़े में है। 

नशीली पेय  को लेकर मिस परसेप्सनस क्यों है 

हमारे आदिवासी समाज में नशीली पेय पदार्थ के रूप में हडिया और महुआ का दारू का प्रचालन है। सबसे बड़ी ताजुब की बात यह है की हड़िया को हमने कभी शराब माना ही नहीं। और इसको संस्कृति के साथ जोड़ दिया। हडिया अन्न के फर्मेंटेशन से बनता है। महुआ का दारू फूलों से डिस्टलेशन प्रक्रिया से बनता है। यह दोनों ही शराब है और दोनों का में कंटेंट अल्कोहल है। जिस पेय पदार्थ से नशा हो उसमें अल्कोहल है। अगर बात करें अल्कोहल सांद्रता की तो हडिया में दो से तीन पर्सेंट अल्कोहल है और महुआ में 15 से 20%।

हमारे समाज में बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो नशापन छोड़ने के नाम पर हडिया और महुआ का दारू नहीं पीते हैं लेकिन विदेशी शराब(ललका) मिलने से बड़े चाव से पीते हैं। यह सभी शराब है। सभी में मुख्य कंटेंट के रूप में अल्कोहल है जिसका अनुचित उपयोग हमारे लिए हानिकारक है।

प्रकृति का संरक्षण में ही हमारी अस्तित्व है।

जब आज हम सभी सरहुल पर्व मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह हम सभी को पता है कि यह प्रकृति का महा पर्व है। प्रकृति ही सभी जीव जंतुओं का आवास है। प्रकृति के साथ ही हमारा अस्तित्व जुड़ी हुई है। हमारी सांसे प्रकृति से चलती है। प्रकृति ही हमारा भरण पोषण करती है। जिस तरह से हम अपनी जरूरतों के लिए प्रकृति का विनाश कर रहे हैं,प्रकृति हमे कभी माफ़ नहीं करेगी। प्रकृति को बचा कर रखना ही हम आदिवासियों की सबसे बड़ी ईश्वर भक्ति होगी। 














19 जून 2023

ईश्वर के लिए सब एक हैं

चलिए आज हम प्रकृति के ऐसे यूनिवर्सल प्राकृतिक शक्ति के बारे में बात करेंगे जो ब्रह्मांड के संपूर्ण वस्तु या जीव पर विद्यमान है। यह एक ऐसी शक्ति है जिसके बूते सारा ब्रह्मांड चलता है। यही बल सारा ब्राह्मणडीय पिंडों को व्यवस्थित रखता है। हमारा मनुष्य जीवन भी इससे अछूता कतई नहीं है। 

वह बल है गुरुत्वाकर्षण बल। किन्ही दो वस्तुओं के बीच लगने वाले बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं । यदि उनमे से एक पृथ्वी हो तो, ऐसी स्थिति में यह बल गुरुत्व बल कहलाता है। 
यहाँ पर इस शक्ति की व्याख्या हम गणितीय रूप मे नहीं करेंगे। मैं आपको यहां पर यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि किस तरह से प्राकृतिक शक्तियां किसी पर कोई भेद नहीं करती। चाहे वह जीव हो या निर्जीव, छोटा हो या बड़ा,अमीर हो या गरीब, विद्वान हो या मूर्ख। 

चलिए इसको समझने के लिए एक प्रयोग करते हैं। इस प्रयोग को करने के लिए हम कुछ चीजों की जरूरत पड़ेगी। 
1. दो किलो का एक पत्थर का टुकड़ा। 
2. एक किलो का एक लकड़ी का टुकड़ा। 
3. एक किलो रुई। 
4. एक किलो मिट्टी । 
5. एक पानी का बोतल भरा हुआ बिना वजन के। 

इन अलग अलग सामानों को पकड़ने के लिए पांच अलग अलग लोग चाहिए और एक कैमरामैन प्रयोग को रिकॉर्ड करने के लिए। टोटल छः लोग। पाँचों सामान लेकर छत में जाना होगा और कैमरामैन को जमीन में रहना होगा। सामानों को एक ही बार में छत से नीचे गिरना होगा और इसे कैमरे में रिकॉर्ड करना होगा। इस प्रयोग को तीन से चार बार दोहरना होगा। 

इस प्रयोग की कुछ शर्तें होंगी। 
1. जमीन से सामानों की दूरी/ऊंचाई फिक्स होगा। 
2. जमीन समतल होना चाहिए। 
3. सामान को गिराना है फेंकना नहीं है। 
4. सामान एक ही साथ एक ही ऊंचाई से गिराई गयी हों। 


निष्कर्ष से पहले हमारी सोच

इस प्रयोग का निष्कर्ष निकलने को यदि कहा जाए तो हम maximum लोगों का जवाब होगा
जो सामान जितना भारी होगा वह उतनी ही तेज़ी से नीचे को गिरेगा। 
हल्का सामान थोड़ा धीरे और बाद में नीचे गिरेगा।

इस प्रयोग का निष्कर्ष
1. किसी भी चीज़ का, चाहे वह सजीव हो या निर्जीव, ऊपर से नीचे गिरना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह कितना भारी है। 
2. ऊपर से नीचे गिरने की रफ़्तार एक सामान होगी। 
3. ऊपर से एक साथ नीचे गिराई गयी विभिन्न वस्तुएं जमीन से एक ही साथ टकराईगी और एक ही आवाज निकलेगी। मतलब टकराने की एक आवाज होगी आगे पीछे नहीं। 


Note:- प्रतिरोध रेट ऑफ फॉलिंग को प्रभावित कर सकता है। 

 
इस प्रयोग से यही साबित होता है कि ईश्वरीय या प्राकृतिक शक्तियां सबके लिए एक सी होती हैं। सबके ऊपर एक सा लागु होता है। नेचर अपना नेचर कभी नहीं बदलती। नेचर के अनुसार हमें ढलना पड़ता है। 

मान लीजिए आप बहती नदी में तैर रहे हैं। आपको तैरना नहीं आता तो आप अवश्य डूबेंगे। पानी आपकी दुश्मन  नहीं है । वह जानबूझकर हमें नहीं डूबाती।  पानी में तैरने और डूबने का एक नियम होता है । उसे  नियम को आपको जानना पड़ेगा। जब आपको वह नियम पता हो, तो आप कभी डूब ही नहीं सकते। यह नियम सिर्फ हम पर लागू नहीं होती । यह सभी जीव जंतुओं पर लागू होती है। 
इसी तरह जब कभी भी हम अपने जीवन में दुखों के जंजाल में फसते है। चुकी दुःख, हमारे जीवन का हिस्सा होता है। हम सभी अपने जीवन के अलग - अलग स्तर पर दुखों का सामना करते हैं। लेकिन दुखों के जंजाल से निकलने की प्रक्रिया सबकी अलग - अलग होती है। कोई जंजाल मे फँस जाता हैं तो कोई दुखों मे तैर कर और भी मज़बूत हो जाता है। 

प्रकृति का जो सार्वभौमिक नियम है वह सबके ऊपर बराबर लागू होता है। उनके लिए ना कोई प्रिय है और ना अप्रिय। तेज आंधी कभी भी किसी के साथ कोई भेद नहीं करती। रास्ते में आने वाले सभी वस्तुओं को वह एक समान धकेलती है। क्या जीव, क्या निर्जीव, क्या पेड़ ,क्या पौधे और क्या घर। 
लेकिन जब हमें आंधी के हवा को काटने का नियम पता हो, तो आंधी कितनी भी तेज क्यों ना हो,  उस आंधी का हमारे पर कोई असर नहीं पड़ता। प्रकृति मे survive करने के लिए प्राकृतिक नियम को समझना ज़रूरी है। 

ईश्वर ने हमारी रचना की। ईश्वर के कृत्य की यूनीफामिटी देखिए। चाहे वह मनुष्य किसी भी देश या किसी भी भूभाग का हो। आंतरिक संरचना और उनकी क्रियाविधि एक सी है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और चिकित्सीय परीक्षण एक सी हैं। हमने अलग अलग लोग बांटें। देश बांटें, ईश्वर बांटें, उपासना पद्धति बांटे, धर्म बांटें।  ईश्वर ने हमें कभी नहीं बाँटा। 
हम अक्सर कहते हैं कि इस पद्धति से ईश्वर की उपासना करो, ईश्वर जल्दी मिलेंगे और आपकी मनोकामनायें सिद्द होंगे। ईश्वर का हमारी स्तुति का सुनना इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आप कहाँ से (विशेष स्थान) कैसे (उपासना पद्धति) कर रहें हैं। अक्सर हम जिस विधि का उपयोग करके चीजो की कामना करते है वह कभी मिल ही नहीं सकती। ईश्वर स्तुति से भौतिक चीजो को प्राप्त करने के लिए  आन्तरिक ऊर्जा मिलती है। अगर हम किसी चीज की कामना करते है तो उस चीज को प्राप्त करने की जो क्रिया विधि है, जो प्रोसेस है उसे जानना होगा। 
आप स्टूडेंट हैं, और अच्छे अंक की कामना करते है तो आप को सम्पुर्ण पाठ्यक्रम को ठीक से जानना होगा। 
आप अच्छा स्वास्थ्य चाहते हैं तो अच्छी आहार और अच्छी आदतों को जानना होगा। 
ईश्वर के स्तुति करके हम चमत्कार की उम्मीद कर बैठते हैं जो कि कभी सिद्ध नहीं होगा। ईश्वर भी तभी आपके लिए कुछ करेगा जब आप कुछ करेंगे।
ईश्वर से जुड़ने का मतलब हमारे अंदर की आंतरिक शक्ति को जागृत करना है। हमारी आंतरिक मन ही उर्जा का कभी समाप्त ना होने वाला असीम श्रोत है। लेकिन हम ज्यादातर मनुष्य इसे कभी जान ही नहीं पाते। शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होने के बावजूद अगर आप मानसिक रूप से कमजोर हैं तो कोई भी काम सिद्ध नहीं होगा। शारीरिक शक्तियां तभी काम करती है जब वह आंतरिक ऊर्जा स्रोत से जुड़ी हुई हो। 

धन्यवाद।






 




04 मई 2023

अंधविश्वास।

 अंधविश्वास क्या है। 













ऐसे तर्कहीन धारणाएं, मान्यताएं या विश्वास , जिसका कोई  युक्ति संगत वैज्ञानिक आधार नहीं होता है। घटनाओं का कारण हमेशा पीछे छिपी, अदृश्य अलौकिक शक्तियों का ,हाथ होने की मनगढ़ंत, आधारहीन व्याख्या की जाती है ।  कारणों को लेकर हमेशा गलत अवधारणाएं होती हैं । अदृश्य , अलौकिक शक्तियों का अंजाना डर बना रहता है। और यह डर ,जीवन भर रहता है।  जब तक ज्ञान रूपी प्रकाश से अज्ञानता रूपी पर्दा हट नहीं जाता। 
हमारे जीवन में बहुत से ऐसी घटनाएं होती है ,जिन घटनाओं के कारणों के बारे  में हमें पता नहीं होता ,और उन कारणों के पीछे अज्ञानतावस हम अदृश्य शक्ति का होना मान लेते हैं। यह मन मस्तिष्क में ऐसे बैठ जाती है जो कभी जाते हीं नहीं। 

अंधविश्वास इतना प्रचलित क्यों है। 

विज्ञान का काम करने का एक तरीका होता है ।किसी भी घटनाओं को वैज्ञानिक कसौटी या सिद्धांतों से सिद्ध करने के लिए अनेक प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। सबसे पहले घटनाओं को बहुत ही बारीकी से अवलोकन किया जाता है। घटना की प्रकृति को समझने की कोशिश की जाती है।  घटनाओं से रिलेटेड सभी जरूरी जानकारी इकट्ठा की जाती है। एकत्रित डाटाओं विश्लेषण किया जाता है। विश्लेषण के आधार पर परीक्षण की जाती है। परीक्षणों से प्राप्त परिणामों के निष्कर्ष निकाला जाते हैं। निष्कर्ष के आधार पर यह तय होती है कि घटना की वास्तविकता क्या है। विज्ञान प्रयोगों से प्राप्त जानकारियां होती है। किसी भी तथ्य को वैज्ञानिक कसौटी से पास होने के लिए काफी लंबा समय, धन, एकाग्रता और निरंतर प्रयोग की आवश्यकता होती है। 

जबकि अंधविश्वास में किसी भी तथ्य को स्थापित होने के लिए कोई निश्चित मापदंड या तरीका नहीं है। इनकी व्याख्या मनगढ़ंत और अतार्किक होती है। किसी भी घटना के कारणों के बारे में अपने अनुभव के आधार पर अदृश्य शक्ति के साथ जोड़ देते हैं। यह बहुत ही सरल सिंपल , मुक्त और तीव्र है। 

अंधविश्वास विकास का सबसे बड़ा बाधक

अंधविश्वास और विज्ञान दोनों एक दूसरे के विपरीत ध्रुव हैं। एक ही घटनाओं को लेकर दोनों का नजरिया बिल्कुल भिन्न है । अशिक्षा और अंधविश्वास दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। जहां अंधविश्वास होगा वहां विकास की उत्कृष्टता हो ही नहीं सकती। अंधविश्वास की व्यापकता अशिक्षा पर ही निर्भर करता है। मनुष्य इस पृथ्वी पर सबसे ज्यादा विकसित और परिवर्तनशील प्राणी है । भारत के प्रसंग में अंधविश्वास की अगर बात करें तो बहुत बड़ा जनसंख्या अंधविश्वास के गिरफ्त में है। अंधविश्वास ऐसी मानसिक बीमारी है जो वास्तविक कारणों से कोसों दूर रखती है। सच्चाई तक कभी पहुंचने ही नहीं देती। यह नया कुछ जानने से रोकती है। वैचारिक जड़ता उत्पन्न होती है। यह हमें भाग्य के भरोसे जीना सिखाती है। जिस वजह से प्रोडक्टिविटी रुक जाती है। यह मन में अनिश्चितता और अनजान भय का माहौल उत्पन्न करती है। अंधविश्वास से ग्रसित आदमी हमेशा व्याकुल और डरा हुआ होता है। अंधविश्वास में लोग ऐसे ऐसे काम करते हैं जो हास्य का कारण बनता है। 

अंधविश्वास फैलती कैसे हैं

हमारे समाज में फैले ज्यादातर अंधविश्वास हानि रहित होता है।अंधविश्वास हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन गया है। यह सब हमें बिल्कुल नॉर्मल सी बात लगता है। बस हम उसके महत्व और कारण को जाने बगैर, अनुसरण करते ही चले जाते हैं । अंधविश्वास को या तो हम अपने समाज से सीखते हैं या फिर अपने परिवार से। लगातार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक बने रहने के कारण यह हमारे परंपरा का हिस्सा बन जाता है । इसी तरह से अगर कोई अंधविश्वास धर्म का हिस्सा बन जाता है तो, उस अंधविश्वास को, धर्म का सह मिल जाता है । जिस अंधविश्वास को धर्म का सपोर्ट मिलता है या धर्म का हिस्सा बन जाता है, फिर बाद मे यह संसय का कारण बन जाता है। 

भारत में प्रचलित कुछ हानिरहित अंधविश्वास के प्रकार

बिल्ली का रास्ता काटना। - अशुभ
रात को काली बिल्ली का आवाज। -अशुभ
बन रहे नये घर के बाहर झाड़ू, चप्पल, सूप या नागफनी के कांटे को टंगना। -टोटका
सुबह सुबह घर के बाहर कौवे का आवाज करना। -अशुभ समाचार
खाते समय छींकना। - किसी का याद करना
खड़ा होकर खाने से खाना घुटने में चला जाता है। -मिथ
कोई भी शुभ कार्य या परीक्षा में जाने से पहले दही खाकर निकलना। -शुभ
जोड़े में मैना का दिखना। -शुभ
सिक्के को नदी मे फेकना। शुभ
दक्षिण की ओर सिर करके नहीं सोना। -अशुभ
बच्चों में हिचकी को रोकने के लिए सूती कपड़े का गाँठ को माथे मे रखना। -टोटका
टूटी हुई आइना को देखना। -अशुभ
दाहिने आँख का फड़कना। 
हाथों में खुजली होना। 
खाते समय हिचकी का आना। -याद किये जाना। 
घर के बाहर नींबू मिर्च लटकाना। 

और ना जाने कितने ही ऐसे उदाहरण हैं। 

अंधविश्वास से कौन लोग ज्यादा प्रभावित हैं

अंधविश्वास का सीधा संबंध अज्ञानता से है। जहां शिक्षा की कमी होगी वहां अंधविश्वास होगा। ज्यादातर अशिक्षित लोग अंधविश्वास पर विश्वास करते हैं। कोई भी ऐसी घटना नहीं होती है जो बिना किसी कारण के घटित हो। हर घटना के पीछे कोई ना कोई कारण होती जरूर है। सभी घटनाओं के पीछे या तो भौतिक कारक होती हैं, रासायनिक कारक होती हैं या मनोवैज्ञानिक कारक। लेकिन अज्ञानता वस या जानकारी के अभाव में घटित घटनाओं के कारणों के पीछे, ऐसी शक्ति के ऊपर दोष  दिया जाता है जो exist ही नहीं करती । 

वैसे समुदाय जो मुख्यधारा से कटा हुआ होता है । जिनका अन्य लोगों के साथ मेल मिलाप या जुड़ाव नहीं हो । दूरदराज वाले इलाके, जहां सड़क कनेक्टिविटी और सरकारी योजनाओं की पहुँच बहुत कम हो । जाहिर सी बात है वहां शिक्षा का स्तर निम्न होगा। यहां अंधविश्वास से ज्यादा लोग घोषित होंगे। अंधविश्वास की घटनाएं यहां ज्यादा देखने और सुनने को मिलेंगी । 
यह तो सिर्फ कहने को है कि  गांव और अशिक्षित लोग ही अंधविश्वासी होते हैं। लेकिन आपको यह जानकर बड़ा ताज्जुब होगा कि पढ़े लिखे लोग भी अंधविश्वासी होते हैं और अंधविश्वास को फॉलो करते हैं । 

अंधविश्वास और काम मे प्रभाव

इस कथन को चरितार्थ करने वाली एक घटना की चर्चा करते हैं। यह बात बहुत पहले की है। किसी कालखंड में एक बड़ा प्रसिद्ध व्यापारी हुआ करता था। उनका बड़ा नाम था। उसे राजा के महल में किसी सामान की आपूर्ति के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिला। व्यापारी बहुत खुश था। उसने सामान एकत्रित करना शुरू कर दिया। निश्चित तयशुदा तारीख को विशेष अनुष्ठान के लिए सामान की डिलीवरी देनी थी। उसने सारा सामान बैलगाड़ी में लादकर सामान के डिलीवरी के लिए राजा के महल की ओर चल दिया। कुछ ही दूर गया होगा की एक बिल्ली ने रास्ता काट दिया। अशुभ संकेत मानकर व्यापारी वापस घर को लौट गया। उधर लोग व्यापारी का इंतजार करते रहे। नहीं आने के कारण को जानकर राजा ने उस व्यापारी को दिए सभी व्यापारिक कॉन्ट्रैक्ट, जुर्माना के साथ बंद करवा दिया ।  समाना पूर्ति के लिए राजा को तत्काल में किसी दूसरे व्यापारी से सम्पर्क करना पड़ा। राजा उनके काम से खुश होकर उन्हें ढेर सारे हीरे जवाहरात और उपहार दिए।
इसी तरह हमारे लाइफ में भी कई एक ऐसी घटनाएं होती है जिसको हम अशुभ संकेत मानकर अपना काम को छोड़ देते हैं या किसी और दिन के लिए टाल देते हैं। प्रोफेशनलिज्म को लेकर लोगों को हमारे ऊपर शक होने लगता है फिर भी हम से काम लेना बंद कर देते हैं। बहुत बार ऐसा होता है कि हमारे द्वारा छोड़ा गया काम फिर कभी शुरू हो ही नहीं पाता या फिर बहुत देर हो जाता है।

अंधविश्वास और व्यक्तित्व

अंधविश्वास के साए में रहने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व कमजोर, भयभीत और संकुचित मानसिकता वाला होता है। वह हमेशा झूठसच को, सच मान रहा होता है । सुनी सुनाई और मनगढ़ंत सच के उपर उसका अटूट विश्वास होता है। जब कभी भी उसका विश्वास टूटता है या विश्वास के खिलाफ कोई काम हो रहा होता है तो उसका विरोध करता है। आंखों में लगा पर्दा हटता है यह सच्चाई से रूबरू होता है तो बड़ा शर्मिंदगी महसूस करता है। फिर लोगों के लिए हास्य का कारण बनता है।

अंधविश्वास और मानसिक जडता

अंधविश्वास हमें कुछ नया करने से रोकती है। सदियों से चले आ रहे पारंपरिक तौर तरीके को बनाए रखने में जोर देती है । हमें सिर्फ जोन में रहने को मजबूर करती है। हमें सवाल करने से रोकती है। 

अंधविश्वास को बल

अंधविश्वास को मिलने वाला बल, सबसे ज्यादा इस बात पर निर्भर करता है कि उसका अनुसरण कितना प्रतिष्ठित व्यक्ति कर रहा है । चाहे वह प्रतिष्ठित व्यक्ति लोगों का दिल जीतने या उनसे जुड़ने के लिए  ही क्यों ना कर रहा हो , लेकिन इसका प्रभाव आम लोगों या fans के ऊपर बहुत ज्यादा पड़ता है । क्योंकि आम लोग प्रतिष्ठित लोगों को अनुसरण करना चाहते हैं। उन्हें रोल मॉडल मानते। वैसे प्रतिष्ठित लोगों को पब्लिकली अंधविश्वास को फॉलो करने से बचना चाहिए क्योंकि उन्हें फॉलो करने वाला बहुत होते हैं। चाहे वह राजनेता हो, फिल्म स्टार हो, टीवी एंकर हो,खिलाडी हो,शिक्षक हो या कोई famous personality हो। टीवी प्रोग्राम और फिल्मों के कुछ कंटेंट ऐसे होते हैं जो अंधविश्वास को पोषित करती हैं। ये कंटेंट जनमानस के मस्तिष्क में बैठ जाती हैं। 

अंधविश्वास से प्रेरित अपराध

अभी के दौर में जब विज्ञान ने हर क्षेत्र में इतना प्रगति किया है, लेकिन फिर भी,जब कभी अंधविश्वास से प्रेरित घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है, तो दिल को बड़ा आहत आहत पहुंचती है। जैसे कि काला जादू और डायन प्रथा। इस तरह की ज्यादातर घटनाएं सुदूरवर्ती इलाकों या ऐसे समुदाय में ज्यादा होता है जहां शिक्षा का स्तर बहुत कम या नहीं के बराबर होता है। किसी भी अप्रिय घटनाओं का कारण काला जादू या डायन प्रथा को माना जाता है। आरोपित व्यक्ति के साथ अज्ञानता वस मारपीट, लड़ाई झगड़ा और समाज से बहिष्कृत किया जाता है। जबकि उस आदमी विशेष का इस घटना के साथ कोई संबंध नहीं होता है। बहुत बार अप्रिय घटनाओं का संबंध पूर्व जन्म के पाप के साथ जोड़ा जाता है। 
विज्ञान के इस युग में अंधविश्वास से प्रेरित अपराध प्रगतिशील मानव समाज के लिए अभिशाप है।


लेख को सुनने के लिए इस लिंक पर click करें। https://youtu.be/lT9xrqbEOW0




ध्यान पूर्वक इस लेख को पढ़ने के लिए दिल से आभार व्यक्त करता हूं। आशा करता हूं इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी । प्रेरणादायक उपयोगी लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहे। 
धन्यवाद

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